थिएटर एवम सिनेमा सोसाइटी तथा सांस्कृतिक परिषद अंग्रेजी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में एक व्याख्यान माला का किया गया आयोजन 

थिएटर एवम सिनेमा सोसाइटी तथा सांस्कृतिक परिषद अंग्रेजी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में एक व्याख्यान माला का किया गया आयोजन 

रुद्रपुर...थिएटर एवम सिनेमा सोसाइटी तथा सांस्कृतिक परिषद अंग्रेजी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में एक व्याख्यान माला का आयोजन किया गया।

जिसके प्रथम वक्ता के रूप में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर कमल किशोर पांडे ने २२/१२/२१ को माइथॉलजी एवं साहित्य विषय पर अपने विचार व्यक्त किए । प्रो पांडे ने माइथॉलजी के प्रकार एवं समकालीन समाज एवं साहित्य में इसके उपयोग एवं भूमिका पर प्रकाश डाला उन्होंने कहा कि अगर आजादी की परिकल्पना की जाती है तो मस्तिष्क में सर्वप्रथम प्रोमिथियस अनबॉउंड की छवि आती है। फिर प्रो पांडे ने माइथॉलजी के प्रकार पर प्रकाश डालते हुए कहा की माइथॉलजी , सृष्टि के उद्भव का सिद्धांत देता है । अगले प्रकार के रूप में प्रो पांडे ने शिक्षाप्रद मेथेलॉजिकल स्टोरीज तथा साइक्लोजिकल माइथॉलजी पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय साहित्य , सिनेमा में मेथेलॉजिकल के उपयोग पर प्रकाश डालते हुए धर्मवीर भारती एवं रामधारी सिंह दिनकर की कृतियों की चर्चा की ।आजादी में हुई हिंसा का चित्रण करने के लिए दिनकर ने जिस प्रकार महाभारत की कहानी को मंच पर प्रस्तुत किया वह अपने आप में अद्वितीय है प्रो पांडे ने कहा की मेथेलॉजिकल स्टोरीज पीढ़ी दर पीढ़ी इसलिए आगे बढ़ती हैं क्योंकि वह शाश्वत सत्य को समय के साथ आगे बढ़ाती हैं एक ऐसा सत्य जो समय एवं स्थान नष्ट नहीं कर सकता इसलिए यूनानी कहानियां हिंदुस्तान में भी उतना ही सत्य है जितना विश्व के किसी और हिस्से में। कार्यक्रम का संचालन डॉ मनोज पांडे ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो शर्मिला सक्सेना के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में डॉ दिशा ने सहयोग प्रदान किया । 

व्याख्यानमाला की अगली कड़ी के रूप में कल २३/१२/२१ को सनातन धर्म डिग्री कॉलेज की प्राचार्य डॉक्टर सतविंदर कौर साहित्य एवं मानव मूल्य विषय पर अपना व्याख्यान दीया सतविंदर ने प्रेम को साहित्य का मूल तत्व कहा उन्होंने कहा की समस्त विश्व का साहित्य केवल दो तत्वों के इर्द-गिर्द घूमता है सत्य एवं प्रेम अनादि काल से सनातन साहित्य जो कि हम तक वाचक रेडिसन से पहुंचा है मैं सत्य का शोधन किया गया है आधुनिक साहित्य प्रेम को अपना मूल तत्व मांगता है सतविंदर ने कहा कि बदल रही रफ्तार के साथ साहित्य अपना लक्ष्य भूल चुका है जहां साहित्य का काम सत्य एवं समाज का चित्रण करना है वही समाज को दिशा दिखाना भी है अगर साहित्य समाज को दिशा नहीं दिखा सकता तो वह असफल साहित्य कहा जाएगा वार्षिक सहायक परंपरा के वेद साहित्य आज तक हमारा मार्गदर्शन करते आए हैं आज आवश्यकता है कि हम अपने आदि साहित्य को नूतन साहित्य से जोड़कर समाज का निर्माण करें व्याख्यान की अगली कड़ी प्रो शर्मिला ने कहा पूरा विश्व दो विश्व युद्ध की त्रासदी से था तब साहित्य ने मानव सभ्यता को इस त्रासदी से निकाला। कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ मनोज पांडे ने कहा कि बदलते समय के साथ साहित्य और कला को नए बिम्ब एवम नए ऊपमान तलासने होते हैं जो वह कर रहा है। कार्यक्रम में डॉ दिशा ने प्रबंधन किया। में डॉ स्वाति सिंह ने भी साहित्य में मानव मूल्य पर प्रकाश डाला ।कार्यक्रम में अलिशा, दिव्या, राखी, कोमल, सोनाली , रोहिता, भूपेंद्र, कृष्णा, रवि आदि उपस्थित थे।