*सरकार रेवड़ी बांटने में व्यस्त, भटकते किसानों की सरकार को सुध नहीं, पटवारियों की कलम बंद हड़ताल रुकने का नाम नहीं ले रही।*
लम्बे अरसे से उठ रही पटवारियों की आवाज अब अनिश्चित कालीन कलम बंद हड़ताल का रूप ले चुकी है जिससे किसानों के जमीनी संबंधी काम ढप्प पड़े हैं। किसान दर दर भटक रहा है परंतु किसानों की बात करने बाली मध्य प्रदेश सरकार के कान पर जुएं तक नहीं रिंग रहे।
KTG समाचार शिवपुरी ब्यूरो रिपोर्ट।
लम्बे अरसे से उठ रही पटवारियों की आवाज अब अनिश्चित कालीन कलम बंद हड़ताल का रूप ले चुकी है जिससे किसानों के जमीनी संबंधी काम ढप्प पड़े हैं। किसान दर दर भटक रहा है परंतु किसानों की बात करने बाली मध्य प्रदेश सरकार के कान पर जुएं तक नहीं रिंग रहे। इससे साबित होता है सरकार किसानों के प्रति कितनी सहानभूति रखती है। विधान सभा चुनाव नजदीक हैं इसी बीच सरकार बोटरों को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। सरकार लगातार घोषणाएं और बेफिजूल की योजनाओं में पैसे बर्बाद करती नजर आ रही है जिससे एमपी सरकार पर लगभग 5 लाख हजार करोड़ का कर्जा हो चुका है। अब ये लाड़ली बहना योजना और सिलेंडर के दामों में आई गिराबट चुनाव तक चलेगी या इससे आगे भी जारी रहेगी ये सरकार ही जाने। कर्ज में लदी सरकार को सिर्फ अपनी कुर्सी नजर आ रही है जो सरकारी खजाने को योजनाओं में लुटा रही है परंतु जहां पैसा सही जगह पहुंचना चाहिए वहां पहुंच ही नहीं पा रहा, वर्ग 2 टीचरों की भर्ती नहीं करने से बो भी सरकार से खफा नजर आ रहे हैं। पटवारियों की 2800 रु ग्रेट पे को लेकर हड़ताल पर बैठे ही हैं साथ ही में सरकार के द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की भी जनता खिल्ली उड़ा रही है जैसे लाड़ली बहना योजना, विद्यार्थियों को अब 60 प्रतिशत पर ही मिलेगा लैपटॉप जिससे शिक्षा के क्षेत्र में भी गिरावट आने वाली है क्यों कि 60 प्रतिशत अंक लाना कोई बड़ी बात नहीं है खासकर जिन स्कूलों में धड़ल्ले से नकल चल रही हो। आम तौर पर देखा जाए तो शिवराज सरकार से हर वर्ग खफा ही चल रहा है व्यापम घोटाले का कलंक माथे से हटा नहीं तब तक पटवारी घोटाला का कलंक लग गया है। हालाकी शिवराज सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं परंतु विद्यार्थियों का कहना है पहले की भांति इस बार भी नाम बदल दिया जायेगा पहले व्यापम से PEB रखा गया अब इस बार जांच के नाम पर कुछ और नाम बदल दिया जायेगा। बात करें भ्रष्टाचार की तो किसी भी दप्तर में बिना फाइल पर भजन दिए फाइल आगे खिसकती। वहीं दूसरी ओर ग्राम पंचायत सरपंचों का कहना है सरकार निर्माण कार्य के लिए पैसा नहीं दे रही क्योंकि खजाना खाली है परंतु चुनावी रैलियां, योजनाओं और जन आशीर्वाद यात्रा के साथ सभाओं के लिए सरकार के पास पैसा कहां से आ जाता है। सरकार की एक और योजना लाड़ली बहना आवास योजना की भी खूब खिल्ली उड़ाई जा रही है क्यों कि पिछली आवासें अभी तक किस्त नहीं आने से अनकंप्लीट पड़ी है। आवास योजना का लाभ ले रहे हितग्राहियों का कहना कि हमारा पहले कच्चा मकान था जिसमें हम खुस थे परंतु सरकार ने आवास का लालच देकर बो भी ध्वस्त करवा दिया और वर्तमान आवास पूरी ही नहीं हो पाई है उसी बीच में चुनावी दौर में लाड़ली बहना आवास योजना और ला दी है। जिन सड़कों की तुलना शिवराज सरकार अमेरिका से करते थे आज बही सड़कों की हालत पाकिस्तान जैसी पड़ी है।
*क्या कुछ मांगों पर बैठा है पटवारी वर्ग*
* 25 वर्षों से लंबित 2800 ग्रेट पे।
* वेतन विसंगति, समान वेतनमान।
* गृह भत्ता 258 रुपए से बढ़कर ₹3000 प्रति माह किया जाए।
* यात्रा भत्ता₹300 से बढ़कर ₹2000 प्रतिमा किया जाए।
* अतिरिक्त हल्का ₹500 से बढ़कर 25% किया जाए।
भ्रष्टाचार का एक कारण कम वेतन भी हो सकता है क्योंकि कम वेतन मान से महगांई भरी दुनियां में घर ग्रस्ति का खर्चा चलाना मुस्किल होता है जिससे ऊपरी कमाई करना कर्मचारियो की मजबूरी बन जाती है। परंतु दूसरी ओर यह भी देखा गया है कि जिन कर्कचारियों वा अधिकारिओं की वेतन मान अच्छी खासी होती है बो भी भ्रष्टाचार करते हैं। उपर्युक्त वेतन भक्तों से आप अनुमान लगा सकते हैं कि 258 रुपए में किराए पर कमरा कहां मिलता है?