नवी मुंबई हवाई अड्डे के नामकरण के विरोध में प्रदर्शन, हज़ारों की संख्या में लोग पहुंचे CIDCO भवन
नवी मुंबई हवाई अड्डे के नामकरण के विरोध में प्रदर्शन, हज़ारों की संख्या में लोग पहुंचे CIDCO भवन
नवी मुंबई हवाई अड्डे के नामकरण के विरोध में प्रदर्शन, हज़ारों की संख्या में लोग पहुंचे CIDCO भवन
KTG SAMACHAR Navi Mumbai
Navi Mumbai Airport: बीजेपी चाहती है कि एयरपोर्ट का नाम दिवंगत कार्यकर्ता डीबी पाटिल के नाम पर रखा जाए. लेकिन शिवसेना हवाई अड्डे का नाम पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे के नाम पर रखना चाहती है. लिहाज़ा गुरुवार को हज़ारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए.
मुंबई. नवी मुंबई में एयरपोर्ट (Navi Mumbai Airport) के नाम को लेकर हंगामा शुरू हो गया है. यहां के स्थानीय लोग और बीजेपी चाहती है कि एयरपोर्ट का नाम दिवंगत कार्यकर्ता डी बी पाटिल के नाम पर रखा जाए. लेकिन शिवसेना हवाई अड्डे का नाम पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे के नाम पर रखना चाहती है. लिहाज़ा गुरुवार को हज़ारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतार आए. ये सब सिडको भवन का घेराव करना चाहते थे. पुलिस ने पहले ही उन्हें वहां जाने से रोक दिया जिसके चलते ये सभी बेलापुर के नवी मुंबई महानगर पालिका कार्यालय के सामने इकट्ठा होकर एयरपोर्ट को दिनकर बालू एयरपोर्ट नाम देने की मांग करने लगे.
बीजेपी विधायक प्रशांत ठाकुर ने सिडको घेराव आंदोलन से पहले राज्य सरकार से निवेदन करते हुए कहा, 'सरकार हमारी मांग पर ध्यान दे और नवी मुंबई अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डे को दीनकर बालू पाटिल का नाम दे. उन्होंने अपने संपूर्ण जीवन में यहां के लोगों के लिए अनेकों काम किए थे, जिसके चलते उन्हें ये सम्मान दिया जाना चाहिए. काफी लंबे समय से ये मांग चल रही है सरकार उसे मान कर विवाद को खत्म कर सकती है.'
उधर बीजेपी के एक और विधायक महेश भलाड़ी ने कहा, 'बाला साहब का नाम और किसी जगह दीजिये , इस एयरपोर्ट डीवी पाटिल का नाम होना चाहिए. ये एयरपोर्ट पुणे और पालघर में होता तो हम मांग नहीं करते. नवी मुंबई का डेवलेपमेंट डीवी पाटिल जी की देन है. राजा को राजा जैसा रहना चाहिए था, उनको कोरोना काल में ये करने की जरूरत क्या थी.'
महाराष्ट्र सरकार और सिडको ने ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे का नाम बाल ठाकरे के नाम पर रखने की घोषणा की थी, लेकिन स्थानीय नेताओं की मांग है कि इसका नामकरण डी बी पाटिल के नाम पर किया जाए जिन्होंने लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया था. बता दें कि डीबी पाटिल उन किसानों और ज़मीन मालिकों के लिए खड़े होने वाले नेता थे. उन्होंने 1970 तथा 1980 के दौरान विकास के नाम पर सरकार के भूमि अधिग्रहण का विरोध किया था.