लॉक डाउन के बाद रावण दहन पर लगी रोक से कई परिवारों के जीवन मे अंधेरा छाने के हालात

लॉक डाउन के बाद रावण दहन पर लगी रोक से कई परिवारों के जीवन मे अंधेरा छाने के हालात

लॉक डाउन के बाद रावण दहन पर लगी रोक से कई परिवारों के जीवन मे अंधेरा छाने के हालात

:बाँसड समाज के 150 परिवार पर रोजी रोटी का संकट

Ktg समाचार रिपोर्टर नरेश कुमार भोई डूंगरपुर, राज

डूंगरपुर।परंपरा और त्यौहार खुशियो के साथ रोजगार के अवसर भी लाते है इनके माध्यम से होने वाली आमदनी से कई परिवारों में सालभर खुशहाली रहती है।नगरपरिषद डूंगरपुर के पीछे बसी एक बस्ती बाँसड बस्ती जँहा करीब 150 घरो की बस्ती है । कोरोना काल मे लगे 2 लॉक डाउन से बनी बेरोजगारी ने उन परिवारों वालो की आर्थिक रूप से कमर तोड़ डाली थी जो घरेलू काम में आने वाली बाँस से बनी चीजें बना और बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करते है।दशहरे का त्यौहार बाँसड समाज के उन 150 घरो के परिवारों के जीवन मे पिछले कई बरसो से खुशहाली लाता आया है। खुशहाली लाने की मुख्य वजह रावण बनाने के काम से होने वाली कमाई से वर्षभर उन सभी बाँसड परिवारों में खुशहाली रहती थी, कोरोना काल मे सरकार द्वारा लगातार लगाए गए 2 लॉक डाउन से हुए मायूस परिवारों में इस बार प्रदेश में कोरोना के हालात बेहतर होने पर रावण बनाकर रोजगार पाने की एक आस जगी थी किन्तु सरकार द्वारा रावण दहन पर प्रतिबंध लगाने से बाँसड परिवारों के जीवन मे अंधेरा छाने जैसे हालात बन गए है। बाँसड परिवारों को साल भर परिवार के पालन पोषण की चिंताए सताने लगी है