7 मेडिकल कॉलेजों एवं सभी जिला चिकित्सालयो में हैपेटाइटिस रोगियों की निःशुल्क जांच व उपचार - चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री

7 मेडिकल कॉलेजों एवं सभी जिला चिकित्सालयो में हैपेटाइटिस रोगियों की निःशुल्क जांच व उपचार - चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री

7 मेडिकल कॉलेजों एवं सभी जिला चिकित्सालयो में हैपेटाइटिस रोगियों की निःशुल्क जांच व उपचार - चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री

KTG समाचार रिपोर्टर नरेश कुमार भोई डूंगरपुर,राजस्थान डूंगरपुर।चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा ने कहा है कि प्रदेश में हैपेटाइटिस नियंत्रण के लिए गंभीरता से कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। प्रदेश के 7 मेडिकल कॉलेजों के अतिरिक्त सभी जिला चिकित्सालयों में हैपेटाइटिस रोगियों की निःशुल्क जांच व उपचार उपलब्ध करवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा निर्धारित वर्ष 2030 तक हैपेटाइटिस से मुक्ति का लक्ष्य अर्जित करने के लिए व्यापक कार्यक्रम संचालित किए जा रहे हैं। डॉ शर्मा बुधवार को विश्व हैपेटाइटिस दिवस के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय वर्चुअल सेन्सिटाइजेशन कार्यशाला को वर्चुअली सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विश्व हैपेटाइटिस दिवस के मौके पर इस वर्ष की थीम विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा भ्मचंजपजपे बंद’ज ूंपज निर्धारित की गई है। इसके तहत हैपेटाइटिस को लेकर जानकारी और तुरंत इलाज के लिए लोगों को लगातार जागरुक किया जा रहा है। टेस्टिंग की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान चिकित्सा मंत्री ने प्रदेश में हैपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत टेस्टिंग की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कहा कि प्रदेश के एसएमएस अस्पताल में हैपेटाइटिस बी एवं सी की वायरल लोड जांच भी प्रारंभ कर दी गई है। जोधपुर, अजमेर, कोटा, बीकानेर, उदयपुर एवं झालवाड़ जिलों में भी वायरल लोड जांच प्रारंभ करने के लिए 12 करोड़ रुपए की अतिरिक्त स्वीकृतियां आरएमएससीएल को जारी कर दी गई है। डॉ शर्मा ने कहा कि हैपेटाइटिस बी की दृष्टि से प्रमुख जोखिम वाले ग्रुप्स जेलबंदी, एचआईवी पॉजिटिव एवं ब्लड डोनर्स इत्यादि की हैपेटाइटिस की स्क्रीनिंग भी करवायी जा रही है। इसके लिए मेडिकल कॉलेजों के अतिरिक्त जिला अस्पतालों को भी स्क्रीनिंग किट उपलब्ध करवाएं गए हैं। उन्होंने कहा कि सभी विभागों से प्रभावी समन्वय स्थापित करने के लिए राज्य स्तरीय स्टेयरिंग कमेटी का भी गठन किया जा रहा है। नवजात शिशु की विशेष देखरेख कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के शासन सचिव श्री सिधार्थ महाजन ने कहा कि प्रदेश में गर्भवती महिलाओें की एएनसी जांच के दौरान ही हैपेटाइटिस बी की जांच भी आवश्यक कर दी गई है। हैपेटाइटिस बी पॉजिटिव महिलाओं की पहचान कर उनकी तथा नवजात शिशु की विशेष देखरेख की जाती है एवं नवजात को हैपेटाइटिस बी की बर्थ डोज लगाने की भी व्यवस्था की गई है। हैल्थ वकर्स को टीकाकरण की जरुरत सेमीनार में सम्मलित हुए आईएलबीएस के निदेशक एवं चिकित्सक डॉ एस के सरीन Hepatitis can*t wait थीम पर टेक्निकल प्रजेंटेशन भी दिया है। उन्होंने इस मौके पर हैपेटाइटिस रोग के कारण, बचाव व इलाज के सबंध में जानकारियां साझा की। उन्होंने कहा कि हैपेटाइटिस से मुक्ति के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किया गया है प्रदेश उसी के अनुसार अच्छा कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि हैपेटाइटिस के नियंत्रण के लिए जरुरी है कि हैल्थ वकर्स का भी पूर्ण रुप से टीकाकरण किया जाए। उन्होंने बताया कि हेपेटाईटिस बी और इसकी जटिलता के कारण प्रतिवर्ष दुनिया में बड़ी संख्या में लोगों की मौत होती है। इससे स्पष्ट है कि हेपेटाईटिस बी ख़तरनाक है। इससे संक्रमित व्यक्ति अनजाने में दूसरों को संक्रमित कर देता है। वर्चुअल सेमीनार में जिला स्तर से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ राजेश शर्मा, जिला प्रजनन शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कांति लाल पलात, उप मुख्य चिकित्सा एव स्वास्थ्य अधिकारी डॉ जयेश परमार, हैपेटाइटिस इनचार्ज डॉ. गुरू कुमार सेन, एपिडोमियोलांजिस्ट श्री शमशुद्दीन जोहा, डेटा मैनेजन श्री दुष्यन्त चास्टा व अन्य अधिकारी व कर्मचारी वर्चुअली विडियों कॉन्फ्रेन्स व यू.ट्यूब चैनल के माध्यम से जिले में जुडे।