जिला अस्पताल देवास में प्रतिदिन हो रहे है मोतियॉबिंद के निःशुल्क आपरेशन एवं लैंस प्रत्यारोपण।

जिले में दृष्ट्रिविहीनता नियंत्रण कार्यक्रम में आठ माह में 6 हजार 794 व्यक्तियों का मोतियॉबिंद आपरेशन हुआ निःशुल्क ।

जिला अस्पताल देवास में प्रतिदिन हो रहे है मोतियॉबिंद के निःशुल्क आपरेशन एवं लैंस प्रत्यारोपण।

जिला अस्पताल देवास में प्रतिदिन हो रहे है मोतियॉबिंद के निःशुल्क आपरेशन एवं लैंस प्रत्यारोपण।

जिले में दृष्ट्रिविहीनता नियंत्रण कार्यक्रम में आठ माह में 6 हजार 794 व्यक्तियों का मोतियॉबिंद आपरेशन हुआ निःशुल्क ।

KTG समाचार लखन दास बैरागी देवास मध्य प्रदेश

देवास । कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता के मार्गदर्शन में जिले में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग द्वारा नागरिकों स्वास्थ्य सेवाए निरन्तर प्रदान कि जा रही है। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग द्वारा राष्ट्रीय अंधत्व निवारण कार्यक्रम के तहत जिला चिकित्सालय देवास सहित अन्य स्वास्थ्य संस्थाअें मे आंखो की जॉच कर परामर्श व उपचार किया जा रहा है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एम पी शर्मा ने बताया कि जिले में दृष्ट्रिविहीनता नियंत्रण कार्यक्रम अंतर्गत आठ माह में अप्रैल से नवम्‍बर 2022 तक कुल 6 हजार 794 व्यक्तियों के मोतियॉबिंद के आपरेशन किये गये। जिला चिकित्सालय देवास नेत्र रोग विभाग में पहुँच कर अपनी आँखों की निःशुल्क जाँच अवश्य कराएं एवं पाए जाने पर समाधान के लिए परामर्श लें। अपने नजदीक के सरकारी अस्पताल में नेत्र विशेषज्ञ और नेत्र सहायक से जांच करा सकते हैं।

डॉ बसंत सारस्वत नेत्र रोग विशेषज्ञ द्वारा प्रतिदिन देवास जिला अस्पताल में 10 से 12 व्यक्तियों के मोतियॉबिंद के निःशुल्क आपरेशन कर लैंस प्रत्यारोपण किये जा रहे है। आमतौर पर मोतियाबिंद उम्र बढ़ने के कारण होता है और नजर कमजोर होने का कारण बन सकते हैं। अभी मोतियाबिंद का एकमात्र उपचार नेत्र शल्य चिकित्सा है। 

      डॉ सारस्वत नेत्र रोग विशेषज्ञ ने बताया कि मोतियाबिंद तब विकसित होता है जब आपकी आंख का लेंस धूमिल हो जाता है। आम तौर पर, हमारी आंखों के अंदर एक स्पष्ट लेंस होता है। यह लेंस प्रकाश की किरणों को रेटिना, आंख की प्रकाश संवेदनशील परत पर केंद्रित करता है। यह जानकारी हमारे लिए रेटिना से मस्तिष्क तक जाती है ताकि हम जान सकें कि हम क्या देख रहे हैं। लेंस, आईरिस (आपकी आंख का रंगीन हिस्सा) के पीछे रहता है। यह प्रोटीन से बना होता है और यह प्रोटीन उम्र के साथ बदलता रहता है। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, यह बदल सकता है, जिससे लेंस के माध्यम से कम रोशनी हो सकती है। जैसे-जैसे आंख में प्रवेश करने वाले प्रकाश की मात्रा कम होती जाती है, वैसे-वैसे देखने की शक्ति भी कम होती जाती है। आमतौर पर, मोतियाबिंद धीरे-धीरे विकसित करता है। मोतियाबिंद की शुरुआत में व्यक्ति को दृष्टि संबंधी कठिनाइयों की शिकायत नहीं होती है। यदि उन्हें दिखने मे परेशानी हो रही है तो उन्हें आमतौर पर चश्मा बदलकर ठीक किया जाता है। हालांकि, जैसे-जैसे मोतियाबिंद बढ़ता है, लोगों को काम रोशनी मे होने पर पड़ने मे दिक्कत हो सकती है। उन्हें रात में वाहन चलाते समय चकाचौंध का सामना करना पड़ सकता है और हो सकता है कि वे स्पष्ट रूप से न देख सकें।

डॉ सारस्वत मोतियाबिंद के सामान्य लक्षण जैसे धूमिल, धुंधली या कमजोर नजर, रात में या कम रोशनी में देखने पर तकलीफ, प्रकाश और चकाचौंध के प्रति संवेदनशीलता, पढ़ने और अन्य गतिविधियों के लिए ज्यादा रोशनी की आवश्यकता, रोशनी के आसपास प्रभामंडल देखना चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस के नंबर में बार-बार बदलाव, रंगों का फीका पड़ना या पीला पड़ना, एक आंख मे डीपलोपीआ या डबल विज़न जैसे चीजे दो-दो दिखाई देना है।