हृदय में प्रेम उत्पन्न होना ही कृष्ण की भक्ति है- संत श्री मोहित नागर
हृदय में प्रेम उत्पन्न होना ही कृष्ण की भक्ति है- संत श्री मोहित नागर
हृदय में प्रेम उत्पन्न होना ही कृष्ण की भक्ति है- संत श्री मोहित नागर
KTG समाचार लखन दास बैरागी देवास मध्य प्रदेश
देवास। इस शरीर को मथुरा और हृदय को गोकुल बनाओ, तब यह जीव नंद होगा। जहां नंद है वहां आनंद है। मन को आसक्ती से बचाव तो शरीर मथुरा बनेगा और मन में प्रेम उत्पन्न करोगे तो हृदय गोकुल बनेगा। पवित्र काया ही मथुरा है। भक्ति आसान नहीं है। पर स्त्री और पर संपत्ति की आसक्ती को छोड़े बिना भक्ति का आरंभ नहीं हो सकता। भोग बुद्धि है तब तक ईश्वर की भक्ति नहीं हो सकती। जब हृदय में आनंद होने लगे तो समझ लेना नंद का उत्सव है। वही आनंद हृदय में प्रेम उत्पन्न करती है। वही प्रेम कृष्ण की भक्ति है। यह आध्यात्मिक विचार क्षिप्रा तट पर हो रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन भागवताचार्य संत श्री मोहित नागर ने श्री कृष्ण की बाल लीला का वर्णन करते हुए कहें। आपने कहा कि अपने धर्म की रक्षा करने वालों को अनेक परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है। राजा हरिश्चंद्र ने धर्म के लिए अपने परिवार को बेच दिया। स्वयं ने चांडाल का काम किया। मगर सत्य को नहीं छोड़ा। सत्यवादी परेशान हो सकता है, किंतु पराजित नहीं। चाहे परीक्षा स्वयं नारायण क्यों न लें। जिसका वर्णन नहीं हो सकता वह प्रेम है। गोपियों के प्रेम की परीक्षा लेने गए ज्ञानी उद्धव भी प्रेम की परिसीमा में पराजित हो गए। भगवान कृष्ण की लीला का सारगर्भित वर्णन करते हुए आपने कहा की पूतना ने बालकृष्ण को अपने थन में विश्व भरकर दूध का पान कराया था। इसीलिए कृष्ण भगवान ने पूतना को भी माँ की संज्ञा दी है। माँ का उपकार हम कभी नहीं भूले। जिसने माँ अनादर किया वह इस जीवन में कभी सुख को प्राप्त नहीं कर सकता और ना ही मरने के बाद मुक्ति प्राप्त कर सकता है। कथा में गोवर्धन लीला का वर्णन करते हुए कहा कि गोवर्धन अर्थात प्रकृति का संरक्षण। भगवान कृष्ण ने प्रकृति की रक्षा के लिए गोवर्धन की पूजा करवाना प्रारंभ की थी। गोपाल कृष्ण ने गाय से प्रेम करना सिखाया है। जिसके घर में गाय की सेवा होती है वहां गोविंद का वास होता है। ठाकुर जी प्रभुता को स्वीकार नहीं करते वह प्रेम की अद्भुत्ता को स्वीकार कर भक्तों के वश में रहते है। भगवान शिव का बाल कृष्ण से मिलन कृष्ण लीला का वर्णन के साथ जीवन दर्शन को भक्ति के साथ प्रतिपादित करते हुए संत श्री ने अनेक दृष्टांतों के माध्यम से कथा में अनेक पौराणिक गाथाओं का वर्णन किया। कथा मध्य में राष्ट्रीय गीतों के प्रसिद्ध गायक देवेंद्र पं. ने राष्ट्रगीतों के साथ रामायण की चौपाई सुनाकर श्रोताओं को मंत्र मुक्त कर दिया। कथा आयोजक एवं मुख्य यजमान दिलीप अग्रवाल एवं परिवार ने व्यासपीठ की पूजा की। आरती में विशेष रूप से देवास विकास प्राधिकरण अध्यक्ष राजेश यादव, महापौर प्रतिनिधि दुर्गेश अग्रवाल, विधायक प्रतिनिधि भारत चौधरी, संस्था राम-राम संयोजक शैलेंद्र सिंह पवार, पत्रकार सचिन गोयल, दिनेश डाबी, सुभाष सोलंकी, मयूर वघेल, आनंद गुप्ता एवं सरपंच दीपक पटेल सहित बड़ी संख्या में गणमान्य उपस्थित होकर कथा का श्रवण किया। आज कथा में रूक्मणी विवाह का प्रसंग होगा।