नापतोल विभाग द्वारा कार्यो में बरती जा रही लापरवाही की शिकायत मुख्यमंत्री, मंत्री एवं कलेक्टर से की

नापतोल विभाग द्वारा कार्यो में बरती जा रही लापरवाही की शिकायत मुख्यमंत्री, मंत्री एवं कलेक्टर से की

नापतोल विभाग द्वारा कार्यो में बरती जा रही लापरवाही की शिकायत मुख्यमंत्री, मंत्री एवं कलेक्टर से की

नापतोल विभाग द्वारा कार्यो में बरती जा रही लापरवाही की शिकायत मुख्यमंत्री, मंत्री एवं कलेक्टर से की

kTG समाचार लखन दास बैरागी देवास मध्य प्रदेश


देवास। 
नापतोल विभाग द्वारा बरती जा रही लापरवाही एवं तोल कांटा उपभोक्ताओं को हो रही परेशानी संबंधि शिकायत ठेकेदार महेन्द्र सोनी ने बुधवार को मुख्यमंत्री, खाद्य आपूर्ति नापतोल विभाग मंत्री, नियंत्रक नापतोल विभाग, भोपाल एवं जिला कलेक्टर को आवेदन देकर की। सोनी ने आरोप लगाते हुए बताया कि बिना लेन-देन एवं रिश्वत के नापतोल विभाग अधिकारी द्वारा कार्य नही होता है। विभागीय अधिकारी हमेशा अपने निवास स्थान उज्जैन में रहते है, जबकि नियमानुसार जिला मुख्यालय पर रहना चाहिए। यदि तोल कांटा ठेकेदारों को सील लगवाना एवं सत्यापन कराना है तो बिना रिश्वत दिए काम नही करते। सिर्फ कांटे की प्लेट पत्ती नापतोल कार्यालय में मंगाकर सील लगाई जाती है, जबकि नियम यह है कि पूरा तोल कांटा कार्यालय में आना चाहिए व जाँच करने पश्चात सील लगना चाहिए। एक कांटे की सील लगाने की 200 रुपये मांग की जाती है और बाबु 50 रुपये लेता है। बडे धर्म तौल कांटों की सील लगाने पर अधिकारी 25 प्रतिशत वाट मांगे जाते है। वाट नहीं होने पर मुंह मांगी रकम मांगी जाती है जो दुकानदार मजूबरन को देना पड़ती है।  जिले के समस्त पेट्रोल पम्प पर नाप तौल अधिकारी चोरी करना सीखा रहे है, पम्प वालों को 30 से 40 एम.एल. सेट करके अपना मनमाना महिना पेट्रोल पम्प वालों से लेते है। जिले में लगभग 1 लाख तोल कांटे है। जिसकी एक छोटे कांटे की रिश्वत 200 रूपये लेते है। वहीं बडे धर्म कांटो की करीबन 8 से 10000/- रुपये रिश्वत मांगी जाती है। शासकीय कार्यालय प्रात: 10.30 बजे खुलना चाहिए, लेकिन नापतोल विभाग मनमर्जी पर खुलता है और बंद होता है। कई बार इस संबंध में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गई, लेकिन आधी अधूरी जानकारी देते है। शिकायतकर्ता सोनी ने आवेदन देकर मांग की है कि नापतोल विभाग द्वारा बरती जा रही लापरवाही एवं इनके द्वारा किए जा रहे कार्यो की जाँचकर निष्पक्ष कार्यवाही की जाए, जिससे जिले के उपभोक्ता एवं व्यापारी को परेशानी न हो।