कमला नेहरू भौतिक एवं सामाजिक संस्थान, सुलतानपुर के विधि संकाय में संवैधानिक दर्शन एवं भारतीय समाज’’ विषय पर किया गया विचारशाला का आयोजन।

विधि संस्थान द्वारा संवैधानिक दर्शन एवं भारतीय समाज’’ विषय को मध्य नजर रखते हुए की गई एक अनूठी पहल।

कमला नेहरू भौतिक एवं सामाजिक संस्थान, सुलतानपुर के विधि संकाय में संवैधानिक दर्शन एवं भारतीय समाज’’ विषय पर किया गया विचारशाला का आयोजन।

KTG  समाचार नरेंद्र कुमार विश्वकर्मा  सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश। 

सुलतानपुर- दिनांक 26 नवम्बर, 2021 कमला नेहरू भौतिक एवं सामाजिक संस्थान, सुलतानपुर के विधि संकाय द्वारा संविधान दिवस के अवसर पर ‘‘संवैधानिक दर्शन एवं भारतीय समाज’’ विषय एक विचारशाला का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में अपर चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट श्री शशी कुमार प्रस्तुत रहे। विचारशाला की अध्यक्षता संस्थान के प्राचार्य श्री आलोक सिंह ने किया। कार्यक्रम के मंच का संचालन करते हुए डॉ0 अवधेश कुमार दूबे नें मंच एवं छात्र-छात्राओं के सम्मुख भारतीय दर्शन एवं संविधान की मूल भावना पर ध्यान आकर्षित किया। विचारशाला में विषय प्रवर्तन करते हुए विधि प्रवक्ता श्री प्रभात कुमार सिंह नें संविधान एवं शक्ति पृथक्करण पर भी मंच का ध्यान आकर्षित किया।  संगोष्ठी में विधि संस्थान के 19 छात्र-छात्राओं नें विषयक अपने विचार प्रस्तुत किये।

जिस पर अपना मत रखते हुए मुख्य वक्ता ने संविधान की मूल भावनाओं के वाचन से अपना व्याख्यान प्रारम्भ किया, तथा छात्र-छात्राओं को संविधान में प्रदत्त अधिकार एवं कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया। संगोष्ठी में विशिष्ट वक्ता की भूमिका में संस्थान के पूर्व प्राचार्य डा0 राधेश्याम सिंह जी ने भारतीय दर्शन तथा संविधान सभा द्वारा संविधान निर्माण के प्रति मूल भावना पर विस्तार से प्रकाश डाला। विधि संकाय के समन्वयक श्री बी0 पी0 सिंह ने अपना मत रखते हुए संविधान की लोचशीलता पर एवं इसके प्रभावशीलता पर अपना मत रखा। छात्रों की विधिक जिज्ञासा का प्रतिउत्तर देते हुए संस्थान कें विधि विभाग के प्राध्यापक श्री राम बेलास चौधरी नें भारतीय संविधान के आदर्श व मूल्यों के अनुसार सम्ययक संस्थाओं के अधिकार क्षेत्रों पर प्रकाश डाला तथा उनमें व्याप्त खामियों पर भी ध्यान आकर्षित किया। विधि प्राध्यापिका सुश्री पम्मी सिंह नें संविधान में महिलाओं को निर्गत अधिकार एवं उसकी वास्तविक स्थिति पर अपने विचार रखें। उक्त संगोष्ठी में डॉ0 बजरंगी यादव, जितेन्द्र पाठक, संजय पाण्डेय, स्वेता कसौधन, लक्ष्मी, आदर्श, तन्नू, आकांक्षा आदि 200 से अधिक प्राध्यापक एवं छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।