KTGसमाचार लखन दास बैरागी देवास मध्य प्रदेश
कवरेज करने गए पत्रकार पर पुलिस ने दर्ज की झूठी एफआईआर, चौथे स्तंभ को दबाने का प्रयास
देवास। आये दिन मध्यप्रदेश में पत्रकारों पर दबंगों द्वारा डराने धमकाने का काम आम हो चला है, या कहें प्रदेश में चौथे स्तंभ को दबाया जा रहा है या फिर शिवराज सिंह की सरकार में पत्रकार सुरक्षित नहीं है।
ऐसा ही एक मामला कांटाफोड़ थाने पर पिछले दिनों एक पत्रकार पर झूठी एफआईआर दर्ज की गई। कांटाफोड़ थाना क्षेत्र के गांवों में डायरी बनाकर शराब ठेकेदार द्वारा अवैध तरीके से शराब बेचने का काम किया जाता है, जिसकी खबरें लोक संवेदना दस्तक मीडिया समूह में प्रमुखता से प्रकाशित की थी। जिससे द्वेषपूर्ण भाव रखते हुए, शराब ठेके के कर्मचारियों द्वारा कवरेज करने गये पत्रकार का नाम भी एफआईआर में दर्ज करवा दिया गया जो की न्याय संगत नहीं है। पूरा मामला इस प्रकार हैं। लोक संवेदना दस्तक समाचार पत्र/पत्रिका का पत्रकार जितेंद्र पिता दशरथ आस्के निवासी ग्राम गोदना, तहसील सतवास, जिला देवास दिनांक 23/08/2021 को कांटाफोड़ शराब ठेके पर शराब विक्रेता कर्मचारी एवं ग्राहकों के बीच रूपये की लेन-देन को लेकर विवाद हुआ, जिसकी जानकारी मिलने पर उक्त पत्रकार भी कवरेज करने के लिए पहुंच गया। उक्त विवाद लड़ाई-झगड़े की शराब ठेके के कर्मचारियों द्वारा एफ.आई.आर. दर्ज करवाई गई, जिसमें पत्रकार का नाम भी दुर्भावना वस शामिल कर दिया गया। जबकि पत्रकार द्वारा कांटाफोड़ थाने पर पुलिसकर्मियों को अपना आईडी कार्ड दिखाया गया, किन्तु अनदेखा किया गया। उक्त पत्रकार के बारे में कार्यवाही से पहले वास्तविकता की पुष्टि की जानी चाहिए थी। लेकिन नहीं की गई। इस संबंध में पत्रकार द्वारा थाना प्रभारी महोदया लीला सोलंकी से बात करनी चाही लेकिन उन्होंने बात करने से साफ मना कर दिया।
वहीं मामले के दूसरे दिन पत्रकार जितेंद्र आस्के के छोटे भाई धर्मेंद्र आस्के के घर कांटाफोड़ पुलिस रात्रि 12:00 बजे से 1 बजे के बीच पहुंचती हैं, घर में सो रहे भाई और उनकी पत्नी (धर्मेंद्र आस्के की पत्नी) के साथ अभद्रता की जाती है। धर्मेंद्र के बार बार निवेदन किया जाता है कि मैं और मेरा भाई अलग-अलग रहते हैं। उससे मेरा लेना देना नहीं है फिर भी धर्मेंद्र आस्के की पत्नी को बाहर खड़ी गाड़ी तक लाया जाता है इस दौरान धर्मेंद्र आस्के ने कहा मेरी पत्नी को छोड़ दो आप मुझे ले चलो, तब जाकर रात्रि में ही धर्मेंद्र आस्के को थाने पर लाकर बिठाया जाता है। जहां उन्हें खाना और पानी तक नहीं दिया जाता है और शौचालय तन नहीं जाने दिया गया। इस प्रकार एक पत्रकार के परिवार के साथ जो अलग रहता है, उनको थाने पर बिठा कर मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का क्या तात्पर्य है?
जिले भर में गांव गांव शराब ठेकेदारों द्वारा डायरी बनवाकर शराब धाबे, किराना दुकानों पर पानी की तरह परोसी जा रही, पुलिस की तत्परता ऐसी शिकायतों और शराब माफियाओं पर कार्यवाही करने में क्यों नहीं दिखाई देती है ? यह पुलिस प्रशासन के सामने एक सवाल है ! यदि इस प्रकार पत्रकारों पर खबरों का कवरेज पर प्रतिबंध लगता रहा तो, आम जनता की समस्याओं और अन्य समाज कल्याणकारी योजनाओं, सूचनाओं, जानकारियों को पत्रकार जन-जन तक कैसे पहुचायेंगे। उक्त मामले में दर्ज झूठी एफआईआर से नाम हटाने को लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सूर्यकांत शर्मा से बात कर कन्नौद कार्यालय में आवेदन दिया गया।