हालात चीख रहे, देश में उचित स्वास्थ्य सुविधाओं की लड़ाई जारी होनी चाहिए।

हालात चीख रहे, देश में उचित स्वास्थ्य सुविधाओं की लड़ाई जारी होनी चाहिए।

हालात चीख रहे, देश में उचित स्वास्थ्य सुविधाओं की लड़ाई जारी होनी चाहिए।
हालात चीख रहे, देश में उचित स्वास्थ्य सुविधाओं की लड़ाई जारी होनी चाहिए।

हालात चीख रहे, देश में उचित स्वास्थ्य सुविधाओं की लड़ाई जारी होनी चाहिए।

KTG समाचार मध्य प्रदेश सिंगरौली राजेश वर्मा

 देश की स्वास्थ्य व्यवस्था करोना कि दूसरी लहर के चलते ही खराब नहीं हुई है भारत की स्वास्थ्य व्यवस्था का ढांचा इस महामारी से पहले भी गंभीर स्थिति में था। आम नागरिक का स्वस्थ चुनी सरकारों की प्राथमिकता में कभी नही रहा। देश की सरकारों ने स्वास्थ्य सेवाओं पर हमेशा खर्च कम किया है। देश की स्वास्थ्य सेवाएं अच्छी नहीं है यहां हर साल खराब स्वास्थ्य के कारण कई लोग मर जाते हैं। मौत का आंकड़ा पड़ोसी देशों से काफी ज्यादा है भारत में हर एक लाख आबादी पर मौत का आंकड़ा 122 है, चीन में यह आंकड़ा 46 है, बांग्लादेश में 57 और श्रीलंका में 51 है। भारत स्वास्थ्य सेवाओं की 195 देशों की सूची में 145 में पायदान पर है, 66 वें पर ईरान, 88 वें पर सीरिया से भी नीचे भारत है। यहां आबादी के हिसाब से अस्पताल और वेड काफी कम है साल 2018 में यहां एक लाख लोगों पर 90 डाँक्टर थे जबकि चीन में 200, अमेरिका में 260 और रूस में 400 डाँक्टर थे। इतना ही नहीं जो उपकरण है जैसे वेंटीलेटर के होते हुए लोग इसलिए मर रहे हैं कि इसे चलाने वाले डॉक्टर नहीं है। अस्पतालों में एमडी, फिजीशियन, सर्जन, स्त्री रोग विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ के पद खाली पड़े हैं अस्पताल में स्टाफ की कमी है।
 भारत के लोग अस्पताल का कम ही उपयोग करते हैं ऐसा इसलिए नहीं कि वह सेहतमंद हैं बल्कि अस्पताल इनके पहुंच से ही बाहर है भारत में स्वास्थ्य सेवाएं महंगी हैं यहां दो तिहाई स्वास्थ्य सेवाएं निजी हैं इन पर कोई सरकारी नियंत्रण नहीं है। हालात चीख रहे हैं  देश में उचित स्वास्थ्य सुविधाओं की लड़ाई जारी किये जाने को।
 संजय नामदेव राज्य परिषद सदस्य भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मध्यप्रदेश