पढ़ें आज का संपूर्ण पंचांग, ये है दिन के शुभ-अशुभ काल

पढ़ें आज का संपूर्ण पंचांग, ये है दिन के शुभ-अशुभ काल

पढ़ें आज का संपूर्ण पंचांग, ये है दिन के शुभ-अशुभ काल
आज का पंचांग दिनांक 08 सितम्बर 2021 दिन - बुधवार

सनातन ज्योतिष पंचाग 

आज का पंचांग दिनांक 08 सितम्बर 2021 दिन - बुधवार
विक्रम संवत - 2078 (गुजरात - 2077)
शक संवत - 1943
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास-भाद्रपद
पक्ष - शुक्ल
तिथि - द्वितीया 09 सितम्बर रात्रि 02:33 तक तत्पश्चात तृतीया
नक्षत्र - उत्तराफाल्गुनी शाम 03:56 तक तत्पश्चात हस्त
योग - शुभ रात्रि 11:37 तक तत्पश्चात शुक्ल
राहुकाल - दोपहर 12:36 से दोपहर 02:09 तक
सूर्योदय - 06:25
सूर्यास्त - 18:47
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
व्रत पर्व विवरण - चंद्र दर्शन
 विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा   बेगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

हरितालिका तीज
भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 09 सितम्बर, गुरुवार को है। विधि-विधान से हरितालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-
विधि
इस दिन महिलाएं निर्जल (बिना कुछ खाए-पिए) रहकर व्रत करती हैं। इस व्रत में बालूरेत से भगवान शंकर व माता पार्वती का मूर्ति बनाकर पूजन किया जाता है। घर को साफ-स्वच्छ कर तोरण-मंडप आदि से सजाएं। एक पवित्र चौकी पर शुद्ध मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, रिद्धि-सिद्धि सहित गणेश, पार्वती एवं उनकी सखी की आकृति (प्रतिमा) बनाएं।
  प्रतिमाएं बनाते समय भगवान का स्मरण करें। देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन करें। व्रत का पूजन रात भर चलता है। महिलाएं जागरण करती हैं और कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते एवं केवड़ा अर्पण किया जाता है। आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है।

 भगवती-उमा की पूजा के लिए ये मंत्र बोलें-
ऊं उमायै नम:, ऊं पार्वत्यै नम:, ऊं जगद्धात्र्यै नम:, ऊं जगत्प्रतिष्ठयै नम:, ऊं शांतिरूपिण्यै नम:, ऊं शिवायै नम:
 भगवान शिव की आराधना इन मंत्रों से करें-
ऊं हराय नम:, ऊं महेश्वराय नम:, ऊं शम्भवे नम:, ऊं शूलपाणये नम:, ऊं पिनाकवृषे नम:, ऊं शिवाय नम:, ऊं पशुपतये नम:, ऊं महादेवाय नम: