*बैराड़: नौसिखिया ठेकेदारों से जनता परेशान, शिकायतों पर नहीं है ध्यान।*

सामाजिक सपोर्ट के चलते अपने रिश्तेदारों को ठेका दिया गया जिससे नीचे से ऊपर तक कमीशन फिक्स रह सके चाहे काम किसी भी हद तक घटिया रहे।

*बैराड़: नौसिखिया ठेकेदारों से जनता परेशान, शिकायतों पर नहीं है ध्यान।*
नालियों का किया कबाड़ा।

KTG समाचार शिवपुरी रिंकू पंडित ब्यूरो रिपोर्ट:  

बैराड़: विकास निर्माण कार्यों के लिए नगर परिषद बैराड़ द्वारा नीरज कंस्ट्रक्शन यानि नीरज मित्तल ठेकेदारों को अपने निर्माण कार्यों का ठेका दिया गया जिसमें गलियों में सीसी रोड, निर्माण कार्य वा नाली प्रणाली के साथ मेन रोड नाली सफाई कार्य सौंपा गया। परंतु नौसिखिया ठेकेदारों को काम करने न तजुर्बा है ना ही निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर ध्यान दिया जा रहा है बस ध्यान है तो केवल पैसे किस तरह बचाए जाएं। जब मैन रोड दुकान वाले लोगों ने शिकायत करते हुए कहा कि हमारे आगे क्यों नाली खुली छोड़ गए हो या नाली पर सीसी दासा नहीं बिछाया गया तो ठेकेदार साहब का जवाब हमेशा यही आता है करा देंगे परंतु हप्तों से यही जवाब सुन कर लोग अब सीएम हेल्प लाइन का सहारा लेने लगे हैं। 

दूसरी ओर सीसी निर्माण कार्य में गुणवत्ता की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं घटिया निर्माण कार्य करने से कुछ ही दिनों में सीसी उखड़ने की संभावना बन रही है। कई गलियों में रोड़ ऊबड़ खाबड़, नीचा ऊंचा बना दिया है जिससे बरसाती पानी भरा रहने की संभावना बन गई और कई गलियों में अभी तक नालियां बनाना ही भूल गए हैं जिससे लोगों के घरों में पानी जा रहा है। 

शिकायत कर्ता सचिन पाराशर ने बताया कि हमारे आगे नाली का चैंबर खुला हुआ छोड़ गए हैं जिससे हमारी गाड़ियां को अंदर आने में परेशानी हो रही है और ग्राहकों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जिसके चलते हमने ठेकेदार और वॉर्ड पार्षद को फोन लगाए तो उन्होंने कहा कि आज कर देंगे, कल कर देंगे, परसों कर देंगे परंतु दो हफ्तों से आज तक हमारा चैंबर सही नहीं कराया है इसलिए हमने मजबूर होकर सीएम हेल्पलाइन का सहारा लिया है वहीं दूसरी ओर बर्मा ज्वैलर्स के आगे पवन सोनी शिकायत करते हुए कहा कि हमने ठेकेदार को कॉल किया परंतु ठेकेदार ने एक दिन फोन उठाया और दूसरे दिन से फोन उठाना ही बंद कर दिया। कुल मिलाकर नीरज मित्तल अपनी सामाजिक सपोर्ट की चलते ठेका कर रहे हैं जो अभी नए-नए ठेकेदार हैं और एक बार काम करके चले जाते हैं फिर मुड़कर भी नहीं देखते कि काम किस तरह का हो रहा है और किन-किन लोगों को इस काम से परेशानी आ रही है। इससे अच्छा तो यही होता कि इन नालियों को साफ ही नहीं कराया जाता।