जिला अस्पताल देवास में राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह का हुआ शुभारंभ

देवास जिले में 21 से 27 नवम्‍बर तक मनाया जा रहा है राष्ट्रीय नवजात सप्ताह

जिला अस्पताल देवास में राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह का हुआ शुभारंभ

जिला अस्पताल देवास में राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह का हुआ शुभारंभ

देवास जिले में 21 से 27 नवम्‍बर तक मनाया जा रहा है राष्ट्रीय नवजात सप्ताह 

KTG समाचार लखन दास बैरागी देवास मध्य प्रदेश

      देवास । जिले में कलेक्टर श्री ऋषव गुप्ता के मार्गदर्शन में स्‍वास्‍थ्‍य विभाग द्वारा राष्ट्रीय नवजात सप्ताह का आयोजन 21 से 27 नवम्बर तक किया जा रहा है। राष्ट्रीय नवजात सप्ताह की थीम सुरक्षा, गुणवत्ता और पोषण देखभाल प्रत्येक नवजात शिशु का जन्म अधिकार है। एनएनडब्ल्यू के लिए इस वर्ष की थीम को सभी सेवा वितरण प्लेटफार्मों स्वास्थ्य सुविधाओं, सामुदायिक आउटरीच सत्रों और घरों आदि पर सुरक्षा और गरिमा प्रदान करने वाली गुणवत्ता और विकासात्मक रूप से सहायक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के साथ प्रत्येक नवजात शिशु तक पहुंचना सुनिश्चित करने के लिए चुना गया है।

     जिला चिकित्सालय देवास में राष्ट्रीय नवजात सप्ताह का शुभारंभ किया गया। सीएमएचओ डॉ. एमपी शर्मा ने उपस्थित महिलाओ से चर्चा कर माता और शिशुओ के स्वास्थ्य के बारे मे आवश्यक जानकारी दी। 

जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ सुनिल तिवारी ने बताया कि नवजात मृत्यु के मुख्य कारण जन्म के दौरान जटिलताएं, गंभीर संक्रमण, भारत में नवजात मृत्यु के प्रमुख कारण प्री-मेच्योरिटी/प्रीटर्म, नवजात संक्रमण, इंट्रा-पार्टम संबंधित जटिलताओं और जन्मजात विकृतियां हैं। नवजात शिशु सप्ताह के दौरान जिले में आशा कार्यकर्ता प्रतिदिन जन्म से 28 दिन तक नवजात शिशु की गृह भेंट की जायेगी। भ्रमण के दौरान माताओं को स्तनपान, टीकाकरण (बर्थ डोज़), साफ-सफाई, खतरे के आम चिन्ह एवं मदर केयर परामर्श दिया जायेगा। एस.एन.सी.यू./एन.बी.एस.यू. से डिस्चार्ज समस्त शिशुओं को गृह भेंट देना एवं संस्थागत फॉलोअप के लिए अभिभावकों को प्रेरित किया जायेगा । कम वजन के शिशुओं के परिजनों को केएमसी करवाने के लिए परामर्श,  छह माह तक केवल स्तनपान एवं छह माह के बाद पूरक आहार शुरू करने के लिए परिजनों को प्रेरित किया जायेगा।

     एसएनसीयू प्रभारी डॉ वैशाली निगम ने बताया कि नवजात अवधि (जीवन के पहले 28 दिन) बच्चे के जीवित रहने के लिए सबसे महत्वपूर्ण और खतरनाक अवधि है क्योंकि इस अवधि में बचपन के दौरान किसी भी अन्य अवधि की तुलना में प्रति दिन मृत्यु का उच्चतम जोखिम होता है। जीवन का पहला महीना भी आजीवन स्वास्थ्य और विकास के लिए एक मूलभूत अवधि है। स्वस्थ लोग स्वस्थ वयस्कों में विकसित होते हैं, जो फल-फूल सकते हैं और अपने समुदायों और समाजों में योगदान कर सकते हैं। नवजात की देखभाल के लिए महत्वपूर्ण है। बच्चे को छूने, खाना बनाने व खाने से पहले, मल व पेशाब के निपटान के बाद साबुन व पानी से हाथ अवश्य धोयें, बच्चे को 6 माह तक सिर्फ मां का दूध पिलायें, बच्चे को लपेटकर गर्म रखें, नाल पर कुछ न लगायें आंख, कान और नाक को साफ रखें, आंख में काजल न लगायें, पोलियो, बी.सी.जी. एवं हेपेटाइटिस बी की पहली खुराक दें, और याद रखे खतरे के संकेत सुस्त होना झटके आना, ज्यादा ठण्डा या ज्यादा गर्म, मां का दूध न पीना, सांस का तेज चलना, हाथ, तलवे और पैरों का पीला होना, इन स्थितियों में नजदीकी अस्पताल में तुरंत सम्पर्क करें। इस अवसर पर जिला स्वास्थ्य अधिकारी  डॉ. एम.के.जोशी, जिला टीकाकरण अधिकारी सुनील तिवारी, जिला स्वास्थ्य अधिकारी  डॉ एमएस गोसर,एसएनसीयू प्रभारी डॉ वैशाली निगम, डॉ भुषण छीरसागर, जिला मीडिया अधिकारी कमलसिंह डावर, डीसीएम ओमप्रकाश मालवीय, बीईई सुखदेव रावत जिला नर्सिंग स्टॉफ एवं नवजात शिशुओ कि माताएं उपस्थित थी।