सिर्फ तस्वीरों और सोशल मीडिया पर हो रही बाढ़ पीड़ितों की मदद कई लोग सेवा कम कर रहे लेकिन पब्लिसिटी और दावे ज्यादा कर रहे
सिर्फ तस्वीरों और सोशल मीडिया पर हो रही बाढ़ पीड़ितों की मदद कई लोग सेवा कम कर रहे लेकिन पब्लिसिटी और दावे ज्यादा कर रहे। *गगनमिश्रा की कलम से छलकता बाढ़ पीड़ितों का दर्द।* अक्सर देखा गया है कि बहुत सारे राजनीतिक या अन्य तथाकथित लोग जो समाज में अपनी झूठी पहचान बनाने व अप्रत्यक्ष स्वार्थ के लिए किसी ना किसी आपदा को हथियार बनाते रहते हैं।जैसा कि कोरोना काल मे भी देखा जा चुका है और वर्तमान में बाढ़ आपदा के समय भी ज्यादातर यही हालात हैं ग्राम पंचायत दरियाबाद के रामदीन पुरवा चंद्रपुरा राधनपुरवा आदि समेत क्षेत्र के तमाम बाढ़ पीड़ित लोगों ने जानकारी दी कि उनके गांव के प्रधान पप्पू व लेखपाल अमन सत्यार्थी ने पूरे गांव में भोजन वितरित किए थे और सेकड़ों फोटो खींच कर सोशल मीडिया व उच्च अधिकारियों को बजट के लिए भेजे लेकिन उन पैकेटों को जब खोला गया तब ढोल के अंदर पोल नजर आया उनमें सिर्फ पांच छोटी-छोटी पूड़ियां थोड़ी सी सब्जी और दो हरी मिर्च देखकर भूखे पेट गरीब इस मजाक से आक्रोश में आ गये।लेकिन कहते हैं ना कि भूखे पेट भजन नहीं होता इसलिए वह मदद भी इनको उस समय राहत लगी नहीं तो उसका बहिष्कार कर लेते। वही इस बारे में जब संबंधित लेखपाल से बात की गई तो उन्होंने बताया की लंच बाक्स पर्याप्त मात्रा में वितरित किए जा रहे हैं जिसके लिए अभी शासन से कोई मदद नहीं मिल रही है आगे चलकर बजट पास होगा तो कुछ संभावना है फिलहाल अभी तो हम लोग अपने पास से ही व्यवस्था करके भोजन वितरित कर रहे हैं। इस समय सिख समाज द्वारा किए जा रहे निस्वार्थ सेवा प्रशंसा के पात्र हैं जो बढ़-चढ़कर बाढ़ पीड़ितों की वास्तविक मदद और हर संभव सहायता दे रहे हैं। इस पुण्य कार्य में पडरिया तुला बिजुआ छिटहा तथा क्षेत्र में स्थापित कई गुरुद्वारे के सेवादार निर्बाध रूप से भोजन तथा रहने की व्यवस्था कर रहे हैं और गुरुद्वारे में 24 घंटे पीड़ित लोगों को भोजन कराया जा रहा है कई पीड़ितों ने आंख में आंसू भर कर रोते हुए बताया कि यदि इस समय यह सिख समाज ना होता तो हम लोग बाढ़ से कम और भूख से ज्यादा मरते यह लोग हमारे लिए फरिश्ते से कम नहीं और हमारे लिए यह धरती के भगवान हैं।
सिर्फ तस्वीरों और सोशल मीडिया पर हो रही बाढ़ पीड़ितों की मदद कई लोग सेवा कम कर रहे लेकिन पब्लिसिटी और दावे ज्यादा कर रहे।
*गगनमिश्रा की कलम से छलकता बाढ़ पीड़ितों का दर्द।*
अक्सर देखा गया है कि बहुत सारे राजनीतिक या अन्य तथाकथित लोग जो समाज में अपनी झूठी पहचान बनाने व अप्रत्यक्ष स्वार्थ के लिए किसी ना किसी आपदा को हथियार बनाते रहते हैं।जैसा कि कोरोना काल मे भी देखा जा चुका है और वर्तमान में बाढ़ आपदा के समय भी ज्यादातर यही हालात हैं ग्राम पंचायत दरियाबाद के रामदीन पुरवा चंद्रपुरा राधनपुरवा आदि समेत क्षेत्र के तमाम बाढ़ पीड़ित लोगों ने जानकारी दी कि उनके गांव के प्रधान पप्पू व लेखपाल अमन सत्यार्थी ने पूरे गांव में भोजन वितरित किए थे और सेकड़ों फोटो खींच कर सोशल मीडिया व उच्च अधिकारियों को बजट के लिए भेजे लेकिन उन पैकेटों को जब खोला गया तब ढोल के अंदर पोल नजर आया उनमें सिर्फ पांच छोटी-छोटी पूड़ियां थोड़ी सी सब्जी और दो हरी मिर्च देखकर भूखे पेट गरीब इस मजाक से आक्रोश में आ गये।लेकिन कहते हैं ना कि भूखे पेट भजन नहीं होता इसलिए वह मदद भी इनको उस समय राहत लगी नहीं तो उसका बहिष्कार कर लेते। वही इस बारे में जब संबंधित लेखपाल से बात की गई तो उन्होंने बताया की लंच बाक्स पर्याप्त मात्रा में वितरित किए जा रहे हैं जिसके लिए अभी शासन से कोई मदद नहीं मिल रही है आगे चलकर बजट पास होगा तो कुछ संभावना है फिलहाल अभी तो हम लोग अपने पास से ही व्यवस्था करके भोजन वितरित कर रहे हैं। इस समय सिख समाज द्वारा किए जा रहे निस्वार्थ सेवा प्रशंसा के पात्र हैं जो बढ़-चढ़कर बाढ़ पीड़ितों की वास्तविक मदद और हर संभव सहायता दे रहे हैं। इस पुण्य कार्य में पडरिया तुला बिजुआ छिटहा तथा क्षेत्र में स्थापित कई गुरुद्वारे के सेवादार निर्बाध रूप से भोजन तथा रहने की व्यवस्था कर रहे हैं और गुरुद्वारे में 24 घंटे पीड़ित लोगों को भोजन कराया जा रहा है कई पीड़ितों ने आंख में आंसू भर कर रोते हुए बताया कि यदि इस समय यह सिख समाज ना होता तो हम लोग बाढ़ से कम और भूख से ज्यादा मरते यह लोग हमारे लिए फरिश्ते से कम नहीं और हमारे लिए यह धरती के भगवान हैं।