शिवपुरी: बड़ौदी इंडस्ट्रीएरिया मैं फूड पार्क के पास उद्योग विभाग की सांठगांठ से प्लॉट आवंटित किए उन पर भूमाफियाओ ने किया कब्जा, शहर के व्यापारी खाली हाथ मलते रह गए, लिस्ट में 37 और 30 प्लाट एक ही बिरादरी रिश्तेदारों के,अब बुकिंग निरस्ती के साथ जांच की मांग भी उठी: रिंकू पंडित KTG समाचार शिवपुरी एमपी
- ऑन लाइन लैण्ड बुकिंग स्कैम - मिली भगत से कब्जे में आया शिवपुरी का फूडपार्क, हाथ ही मलते रहे व्यापारी उद्योग विभाग की सांठगांठ भी सामने आई,जांच की मांग -लिस्ट में क्रमश: 37 और 30 प्लाट एक ही विरादरी और रिश्तेदारी के अब बुकिंग निरस्ती के साथ जांच की मांग भी उठी
*- ऑन लाइन लैण्ड बुकिंग स्कैम* -
मिली भगत से कब्जे में आया शिवपुरी का फूडपार्क, हाथ ही मलते रहे व्यापारी
उद्योग विभाग की सांठगांठ भी सामने आई,जांच की मांग
-लिस्ट में क्रमश: 37 और 30 प्लाट एक ही विरादरी और रिश्तेदारी के
अब बुकिंग निरस्ती के साथ जांच की मांग भी उठी
शिवपुरी
शिवपुरी में एक बड़ा भूमि आवंटन घोटाला सामने आया है, जिसमें पारदर्शिता सम्बंधी तमाम नियमों को ताक पर रखकर औद्योगिक क्षेत्र में बनने वाले फू ड पार्क को चंद लोगों ने विभागीय मिलीभगत से ओने पौने दामों में अपने कब्जे में करने का कारनामा अंजाम दिया है। शहर में आए दिन हो रहे भूमि घोटालों की श्रंृखला में यह अपने तरह का अलग मामला है जिसमें उद्योग विभाग की भूमिका भी जबरदस्त ढंग से जांच के घेरे में आ गई है। शिवपुरी में आधुनिक फू ड पार्क विकसित किया जा रहा था। बताया जाता है कि 2 साल पहले यहां भूखण्डों की ज्यादा दर होने के चलते शहर के व्यापारियों ने फू ड पार्क में प्लॉट बुक नहीं किए थे, लेकिन कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया ने जब भोपाल में प्रयास किए तो प्लॉटों की रेट कम कर दी गई। उनका सोच यह था आम व्यापारी की रेंज के तहत यह प्लॉट उन्हें मिल सके। करीब 200 रुपए वर्ग फु ट से ज्यादा की यह दरें अब घटकर 100 के अंदर करीब 45 रुपए वर्ग फु ट तक आ गई थी।
*-घटी दरों की कानों कान नहीं लगने दी खबर-*
रेट घटने की इस बात की जानकारी शहर के आम व्यापारियों को विभाग के अधिकारियों ने कानो कान नहीं लगने दी। दूसरी तरफ जमीन कारोबारी किस्म के कई लोगों ने यह जानकारी हांसिल कर ली और बाला-बाला एक दिन के अंदर में ही सारे प्लाट बुक कर डाले। हालात यह है कि बीते 2 दिन के अंदर बड़ौदी स्थित फूड पार्क के 85 प्लाटों को बुक कर चंद लोगों ने अपने कब्जे में कर लिए। जिससे यह साफ हो गया कि यहां फिर एक बार शासकीय जमीन खुले रूप से दुरूपयोग होगा और एक भी लघु उद्योग स्थापित नहीं हो सकेगा। क्योंकि यह लोग आने वाले समय इन प्लॉटों को पुन: एक बार रिसेल करके पैसा कमायेंगे। कई ऐसे परिवार हैं जिन्होने दर्जनों प्लॉट अपने रिश्तेदार से लेकर भाई एवं भतीजों के नाम तक बुक कर डाले हैं। इसमें कार्य में कहीं न कहीं उद्योग विभाग की भी मिली भगत बताई जा रही हैं। विभाग के ही लोगों की मिलीभगत से यहां लगभग सभी प्लॉट्स घटी दरों में बुक कर डाले। और तो और जिला उद्योग केंद्र के एक अधिकारी ने भी अपने रिश्तेदारों के नाम यहां ऑनलाइन प्लॉट बुक कर डाले हैं और उसी की सांठगांठ के चलते यहां भू कारोबारियों ने भी इस ड्रीम प्रोजेक्ट को अपनी मिल्कियत बना डाला है।
जिला उद्योग केंद्र के अधिकारी निरंजन श्रीवास्तव का कहना है कि प्लॉट बुकिंग की यह प्रक्रिया ग्वालियर से संबंधित है और ग्वालियर के ही कार्यालय से ऑनलाइन साइट खोले जाने के बाद प्लॉटों की बुकिंग की जानी थी। उन्होंने कहा कि क्या कुछ हुआ है इसकी जांच के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।
-इनके नाम हुई ऑन लाइन बुकिंग-
जिन लोगों के नाम प्लॉट बुकिंग हुई है उन नामों पर गौर करें तो सूची में अधिकांश नाम एक ही परिवार या उनके नाते रिश्तेदारों से संबंधित हैं। जो सूची सामने आई है उसके तहत प्लॉट ए-़1 विनोद राठौर ए 2 विनोद राठौर ए 3 करण राठौर ए4 विक्रम राठौर ए 5 सुनीता राठौर ए 6 सुनीता राठौर ए 7 सीमा राठौर ए 8 सीमा राठौर ए 9 नितिन राठौर ए - 10 नितिन राठौर ए- 11 चंद्रकांत राठौर ए 12 चंद्रकांत राठौर ए-13 घनश्याम राठौर ए 13 कपूरी राठौर ए15 प्रेम नारायण राठौर ए16 परमहंस फूड इंडस्ट्री ए 17 परमहंस फूड इंडस्ट्री। इसी प्रकार बी ब्लॉक में बी1- अजय गुप्ता बी -2 प्रदीप मित्तल बी 3 प्रदीप मित्तल बी 4 पुनीत बी 5 गौरव बंसल बी 6 गौरव बंसल 207 विवेक शर्मा बी 8 गौरव बंसल बी- 9 केशव शर्मा बी 10 नितिन राठौर बी-11 मणिकांत बी 11 तरुण गुप्ता, सी-1 तरुण गुप्ता सी - 3 जयंत गुप्ता सी - 4 जयंत गुप्ता सी- 5 केशव शर्मा सी -6 गुड्डी गुप्ता सी- 7 गुड्डी गुप्ता ब्लॉक डी-1 दीक्षांत रघुवंशी डी-10 दीक्षांत रघुवंशी डी -2 ओम प्रकाश गुप्ता डी-11 ओम प्रकाश गुप्ता डी- 11
डी 3 उमा राठौर डी -12 उमा राठौर, डी-4 अनुज गोयल, डी-13 अनुज गोयल डी- 5 कपिल गुप्ता डी-14 कपिल गुप्ता डी 6- सुरेश गुप्ता डी- 15 सुरेश गुप्ता , डी -7 पीयूष जैन, डी-8 सपना राठौर, डी- 17 सपना राठौर, डी-16 संजीव गुप्ता, डी-9 डी-9 डी-18 हेमलता राठोर डी-19 हेमलता राठौर डी- 20 मुकेश राठौर डी-21 अंकित बंसल, डी - 22 शशांक व्यास
एफ-1 साक्षी राठौर एफ 2 पवन राठौर एफ- 3 राकेश राठौर एफ- 4 निर्मल राठौर एफ 5 राजेश राठौर एफ 6 राजेश राठौर एफ - 7 रेखा जाटव एफ - 8 और एफ - 9 महाकाल इंडस्ट्री राठौर शामिल है। इस सूची को प्रथम दृष्टया देखने पर ही यह प्रतीत होता है कि सब कुछ एक सुनियोजित मिलीभगत के तहत रचा गया ताना.बाना है।
एफ - 10 गणेश इंडस्ट्री एफ - 11 हरीवल्लभ सुमित जैन एफ -12 हरीवल्लभ सुमित जैन ई-1 नरेश गुप्ता ई-2 नरेश गुप्ता ई-4 ई-5 प्रशांत ई- 6 सत्यनारायण ई -7 गुप्ता, ई-9 अमित राठौर ने बुक किए। जाहिर है कि यहां एक ही समूह के क्रमश: 37 और 30 प्लॉट बुक हुए हैं जो अपने आप में काफ ी कुछ संकेत दे रहा है।
*क्या कहना है कोरोबारियों का-*
इस आन लाइन बुकिंग को लेकर व्यापारियों का सीधा सा तर्क है कि आन लाइन बुकिंग और दरों की जानकारी चंद लोगों को दिए जाने से पूरी बुकिंग प्रक्रिया ही दूषित हो गई है, इसमें विभागीय मिली भगत है। इस प्रक्रिया को तत्काल निरस्त किया जाए और फिर से पारदर्शिता के साथ बुकिंग की जाए।
*बगैर जीएसटी नम्बर के कैसे कर डाले प्लाट बुक,जांच की दरकार*
यदि गौर किया जाए तो उद्योग विभाग के कर्ताधर्ताओं ने बगैर जी.एस.टी. नम्बर के उपभोक्ताओं लघु उद्योग के लिए प्लॉट बुक करना थे, लेकिन उद्योग लगाने के लिए जी.एस.टी नम्बर जरूरी होता हैं। लेकिन बगैर जीएसटी के कैसे प्लॉट बुक कर दिए यह बड़ा सवाल हैं।