पति पत्नी में हैं अनबन तो करे यह उपाय , क्योंकि कल करवा चौथ का व्रत हैं

पति पत्नी में हैं अनबन तो करे यह उपाय , क्योंकि कल करवा चौथ का व्रत हैं

पति पत्नी में हैं अनबन तो करे यह उपाय , क्योंकि कल करवा चौथ का व्रत हैं
ज्योतिषाचार्य पं. अभिमन्यू पाराशर

ज्योतिषाचार्य पं. अभिमन्यू पाराशर  राजस्थान

पति पत्नी में हैं अनबन तो करे यह उपाय , क्योंकि कल करवा चौथ का व्रत हैं------
करवा चौथ का व्रत कल  चांद की पूजा करने के बाद क्यों देखते हैं पति को छलनी से , क्या है व्रत का महत्व , व  क्या है इस पर्व की कथा, जानिए युवा ज्योतिषाचार्य पं. अभिमन्यू पाराशर जी से---------------

जलाराम बापा ज्योतिष संस्थान शिमला के अध्यक्ष ज्योतिषाचार्य अभिमन्यू पाराशर ने बताया कि 24अक्टूबर रविवार  को करवा चौथ का त्यौहार है। इस बार बेहद ही शुभ योग बन रहा है l करवा चौथ के दिन इस बार रोहिणी नक्षत्र में चंद्रमा का पूजन होगा बता दें कि यह संयोग पूरे 5 साल बाद बन रहा है यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस पर्व में महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। तथा चन्द्रमा को अर्घ्यं अर्पित कर व्रत को पूर्ण करती है। यह व्रत अखण्ड सौभाग्य का कारक होता हैं। शाम को छलनी से चांद के दर्शन करने के बाद अपने पति की सलामती के लिए प्रार्थना करती हैं। करवा चौथ में छलनी,चांद और करवा का विशेष महत्व होता है।

करवा चौथ की पूजा का समय:--करवा चौथ पूजा का समय शाम 6:55 बजे से 8:51 बजे तक रहेगा।

व चन्द्रमा रात्रि लगभग 8:16 से देखा जा सकेगा।

इस बार करवा चौथ बेहद खास रहेगा, पांच साल बाद बना है ये शुभ संयोग, इस बार रोहिणी नक्षत्र के साथ रविवार का संयोग  होना, यह संयोग पूरे 5 साल बाद आया है, इस संयोग में श्री गणेश के साथ ही सूर्य देव की भी विशेष कृपा होगी! 
यह व्रत दाम्पत्य जीवन में खुशहाली लेकर आएगा। 
पं. पाराशर    ने बताया कि              पावन व्रत में रात्रि वेला में भगवान   शंकर , माता पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेशजी एवं चन्द्रमा के चित्रों का एवं सुहाग की वस्तुओं की पूजा का विधान है। महिलाएं करवो का बायना निकाल कर अपनी सास को देती है।।
वास्तव में करवाचौथ का व्रत भारतीय संस्कृति के उस पवित्र बंधन अथवा प्रेम का प्रतीक है, जो पति -पत्नी के मध्य होता है।भारतीय संस्कृति में पति को परमेश्वर माना गया है। यह व्रत पति-पत्नी दोनों के लिए नव प्रणय निवेदन ओर एक दूसरे के प्रति हर्ष लेकर आता है।इस दिन स्त्रियां नववधू की भांति सोलह श्रृंगार कर सुहागिन के स्वरूप में रमण करती हुई भगवान रजनीश से अपने अखण्ड सुहाग की प्राथना करती हैं।।
     
कैसे कपड़े पहने:---व्रत रखने वाली स्त्री को करवाचौथ के दिन लाल और पीले कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है।

कैसे कपड़े ना पहने:--काले, सफेद, नीले कपड़े बिल्कुल भी  ना पहने।।            

अगर हो पति- पत्नी के मध्य मतभेद तो करें ये उपाय---------
करवा चौथ के दिन 11 गोमती चक्रों को लाल रंग की सिंदूर की डिब्बी में रखकर अपने बेडरूम में छुपाकर रखें( यह उपाय पति या पत्नी दोनों में से कोई भी कर सकता हैं) कुछ ही दिनों में ही लाभ होगा।

 पति की दीर्घायु कामना का पर्व करवाचौथ: क्या है इस पर्व की कथा जाने:----
एक परिवार में सात भाई थे, उनकी चंद्रावती नाम की एक लाडली बहन थी। जब वह विवाह योग्य हुई तो भाइयों ने एक अच्छे परिवार में उसकी शादी कर दी। बहन ने शादी के बाद पहला करवाचौथ का व्रत रखा। जब शाम को भाई भोजन करने लगे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन करने को कहा लेकिन चंद्रावती ने कहा कि जब चांद निकलेगा तो मैं उसके बाद ही भोजन करूंगी।

भाई उसे बहुत प्यार करते थे अत: उन्होंने एक उपाय सोचा। उन्होंने घर से दूर पेड़ों के पीछे जाकर आग जला कर चांद निकलने जैसा दृश्य उत्पन्न कर दिया। वे घर आए और एक भाई छलनी पकड़ कर खड़ा हो गया और बहन को पुकारने लगा कि जल्दी से आकर चांद देख लो। बहन ने चांद निकला जान कर उसे अर्घ्य दे दिया और व्रत खोल दिया। इतनें में उसके ससुराल से खबर आई कि उसके पति की तबीयत बहुत खराब है। चंद्रावती ने सोचा कि मैंने तो ऐसा कोई अपराध नहीं किया जिसका मुझे दंड मिल रहा है। सारे संसार में आज पत्नियां अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रख रही हैं पर मेरे सुहाग को क्या हुआ कि वह इतना बीमार हो गया। उसने पंडित जी को बुला कर इसका कारण पूछा तो पंडित जी ने कहा कि पूजा में अवश्य कोई विघ्न आया है। आपके पति के ठीक होने का उपाय यह है कि पूरा वर्ष कृष्ण पक्ष की चौथ को व्रत रखना शुरू करो। चंद्रावती ने वैसा ही करना शुरू किया।

चंद्रावती के पति को कांटे वाली बीमारी थी। वह पूरा वर्ष पति के शरीर से कांटे निकालती रही। जब केवल आंखों पर कांटे रह गए तो करवाचौथ का व्रत आ गया। उसने अपनी नौकरानी से कहा कि मैं करवाचौथ के व्रत का सामान लेने जा रही हूं तुम मेरे पति का ध्यान रखना। नौकरानी के मन में लालच आ गया। उसने चंद्रावती के पति की आंखों पर रह गए कांटों को निकाल दिया। होश में आते ही चंद्रावती के पति ने नौकरानी से पूछा कि चंद्रावती कहां है?तब नौकरानी ने कहा कि वह तो घूमने गई है। पति ने समझा कि इसी औरत ने एक साल तक मेरी सेवा की है। अब यही मेरी स्त्री होगी। जब चंद्रावती सामान लेकर वापस आई तो उसकी कोई बात सुने बिना ही उसके पति ने उसे घर से निकाल दिया। अगले वर्ष जब करवाचौथ का व्रत आया तो पूजा के वक्त चंद्रावती अपनी ही कहानी कहने लगी। जब उसके पति ने पूरी  कहानी सुनी तो उसे सब समझ में आ गया। उसने नौकरानी को निकाल कर चंद्रावती को पुन: अपना लिया। इस प्रकार चंद्रावती के सुहाग की रक्षा हुई।

उसने मां पार्वती से प्रार्थना की हे गौरी माता, जिस तरह आपने मेरे सुहाग की रक्षा की, उसी तरह सब के सुहाग बने रहें।