भगवान वामन देवता एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से ठाकुर बाबा मंदिर हाथी खाना पर मनाया गया।

भगवान् वामन देवता एवं भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया, जिसमें समस्त भक्तगण झूमे।

भगवान वामन देवता एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से ठाकुर बाबा मंदिर हाथी खाना पर मनाया गया।
कथा वाचक पं. वासुदेव नंदनी वालयोगी भार्गव एवं भक्ति में मग्न भक्त।

आदर्श दीक्षित KTG समाचार जिला शिवपुरी मध्यप्रदेश। 

भगवान वामन देवता एवं श्रीकृष्ण जन्मोत्सव ठाकुर बाबा मंदिर हाथी खाना में श्रीमद् भागवत सप्ताह में मनाया गया। 

शिवपुरी/ ठाकुर बाबा मंदिर हाथी खाना में चल रही श्रीमद् भागवत सप्ताह के चौथे दिन मंगलवार को कथा वाचक पं. वासुदेव नंदनी वालयोगी भार्गव ने बामन देवता एवं श्रीकृष्ण जन्म की लीलाओं का वर्णन किया। बामन देवता एवं श्रीकृष्ण के जन्म पर भक्तगण जमकर झूमे। 

कथा वाचक पं. नंदनी भार्गव ने भगवान वामन की कथा करते हुए कहा कि, इस दिन भगवान विष्णु ने ब्राह्मण बालक के रूप अवतार लिया था. वामन भगवान विष्णु के दशावतार में से पांचवे अवतार थे और त्रेता युग में पहले अवतार थे. भगवान वामन ने प्रहलाद के पौत्र राजा बलि का घमंड तोड़ने के लिए तीन कदम में तीनों लोक नाप दिए थे।

कथा वाचक पं. नंदनी भार्गव ने श्री कृष्ण का जन्म कथा करते हुए कहा कि जीव जब साधना करने बैठ जाता है तब संसार रुपी हथकड़ीयां और पैरों की बेड़ियां टूट जाती है और ईश्वर के प्रेम के दरवाजे खुल जाते हैं। उन्होंने आगे श्रीकृष्ण एवं बामन देवता के जन्मोत्सव की कथा का बखान करते हुए कहा कि भगवान कभी जन्म नहीं लेते अवतार धारण करते हैं, प्रगट होते हैं। उन्होंने देवकी-वासुदेव प्रसंग का मार्मिक वर्णन किया। भक्तों का उद्धार करने के लिए भगवान को जेल में प्रगट होना पड़ा, लेकिन उनका लालन पालन नंद गांव में हुआ। पुष्पों की होली खेलते हुए भक्तों द्वारा जन्म उत्सव धूमधाम से मनाया गया। कथा के दौरान भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप की जीवंत झांकी सजाकर जन्मोत्सव मनाया गया। श्रीकृष्ण बने सोनू ठाकुर के 06 माह के पुत्र प्रबल और बामन देवता के रुप में तस्मय भार्गव पुत्र दीपक भार्गव (एडवोकेट) ने प्रस्तुति दी। जन्मोत्सव पर भक्तगणों ने जमकर नृत्य किया तथा मिठाई बांट कर खुशियाँ मनाई एवं श्रीकृष्ण के जन्म पर टॉफ़ीयां, मखाने एवं खिलौने बांटे। इस दौरान श्रद्धालु नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, गाते हुए जमकर झूमे। कथा विश्राम के बाद प्रसाद वितरण किया गया। कथा में बड़ी में संख्या में महिला-पुरूष शामिल थे।