बैराड़: विगत वर्ष की तुलना में मंडी सचिव शर्मा के प्रयासों से आय में 19%, और आवक में 24% की हुई ब्रद्धि।

आवक की स्थति को देखते हुए बैराड़ कृषि उपज मण्डी की जिले की बड़ी मंडियों में आती है इसलिए मांग के आधार पर स्पेश की कमी होने से मंडी का स्थान बड़ा सुनिश्चित किया गया था।

बैराड़: विगत वर्ष की तुलना में मंडी सचिव शर्मा के प्रयासों से आय में 19%, और आवक में 24% की हुई ब्रद्धि।
बैराड़ कृषि उपज मंडी

बैराड़: विगत वर्ष की तुलना में मंडी सचिव शर्मा के प्रयासों से आय में 19%, और आवक में 24% की हुई ब्रद्धि। 

मंडी टैक्स 1.5% से घटकर रहा 1% किसानों को मिली राहत। विगत वर्ष 2022-23 में 22 अप्रैल से 22 दिसंबर कि आवक की बात करें तो 353191 कुंटल रही जबकि इस वर्ष 2023-24 में आवक 436632 कुंटल रही जो विगत वर्ष की तुलना में 24% की ब्रद्धि देखने को मिली है अगर मंडी टैक्स 1.5% से घटकर 1% नहीं रहता तो टैक्स 22154147 रु मिलने की बजह 33231220 रु प्राप्त होता। मंडी सचिव रामकुमार शर्मा की पदस्थि में पेंडिंग में डले पिछले सचिवों के काम जैसे गोदामों की नीलामी करा कर हितग्राहियों को आवंठित कराना और मंडी में बड़ा धर्म कांटा लगवाना आदि कार्य भी पूर्ण हुए हैं जो उनकी कार्य कुशलता को प्रदर्शित करता है हालाकि इन सभी कार्यों को समझने बालों ने उनके कार्य की प्रशंशा की तो विरोधियों ने उनके कार्य कुशलता पर सवाल खड़े किए परंतु बो हर बार शिकायत सिकबों में खरे उतरे, टैंडर निरस्त हुए तो एक बार फिर डाले गए सबकी एसडीएम सहित अन्य अधिकारी की मौजूदगी में वीडियोग्राफी हुई। गोदामों के पैसों से 1 करोड़ 36 लाख की मंडी के लिए सीसी निर्माण कार्य की मंजूरी मिली। मंडी सचिव शर्मा और व्यापारियों वा किसानों की सहायता से मंडी में बनाया जा रहा है भव्य मन्दिर, जिसका निर्माण कार्य चालू है इससे मंडी सचिव शर्मा की धार्मिक प्रवृत्ति भी प्रदर्शित होती है। मंडी सचिव शर्मा का सीधा, सरल जीवन ही उन्हें ब्यापारियों और किसानों के प्रति ताल मेल को सिद्ध करता है। पोहरी विधान सभा हमेशा से जातिवाद की चपेट में रही है जिस पार्टी के सत्ताधारी और अधिकारी बैठे रहते हैं वे दूसरी जाति को पनपने नहीं देते चाहे वह कितना भी अच्छा कार्य क्यों न करे। यही कारण रहा है कि मंडी सचिव शर्मा के कार्य में विघ्न पैदा करने और भंग करने का प्रयास लगातार विरोधी करते आए हैं और कर रहें हैं। ऐसे में फर्ज निभाना उनके लिए उतना ही कठिन हो रहा है जितना बिना पानी के पेड़ लगाना।