शिव महापुराण कथा जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट कर देती- प. धर्माचार्य पाठक

शिव महापुराण कथा जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट कर देती- प. धर्माचार्य पाठक

शिव महापुराण कथा जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट कर देती- प. धर्माचार्य पाठक

शिव महापुराण कथा जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट कर देती- प. धर्माचार्य पाठक

kTG समाचार लखन दास बैरागी देवास मध्य प्रदेश


देवास। 
गणेश मंदिर चौराहा मेंडकीचक में 10 से 16 फरवरी तक आयोजित की गई सात दिवसीय संगीतमय श्री शिव महापुराण कथा एवं धर्मेश्वर महादेव मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का शुभारंभ व्यासपीठ से प. धर्माचार्य पाठक द्वारा  शुक्रवार को किया गया। आयोजक मंडल के ओमप्रकाश कुमावत ने बताया कि शुभारंभ पूर्व ढोल बाजे व आतिशबाजी के साथ कलश यात्रा निकाली गई। सैंकड़ों महिलाएं व कन्याएं सिर पर कलश लेकर कलशयात्रा में शामिल हुई। कलशयात्रा प्रमुख चौराहों से होकर कथा स्थल पंहुची।शुभारम्भ अवसर पर कथा वाचक प. धर्माचार्य पाठक ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि अगर जीते जी शांति चाहते हो तो प्रभु की शरण में मंदिर में जाएं। क्योंकि वास्तविक शांति वही मिलेगी। आज मानव धन, संपदा सहित संसार की जितनी भी सुख सुविधाएं जुटा रहा है वह क्षणिक  मात्र होती है। शिव महापुराण कथा का वर्णन करते हुए कहा कि शिव महापुराण के पुण्य का जब उदय होता है, तो जन्म जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं। इस कलयुग में सबने जन्म लिया है और यहां सब अपने- अपने कर्मों से दुखी हैं। कोई तन से तो कोई मन से तो कोई धन होने के बाद भी दुखी हैं। लेकिन सुखी वही है जो महादेव के चरणों का दास है, जो श्री राम के चरणों का दास है। महादेव की गाथा तो सरस्वती मां भी नहीं गा पाई तो हम क्या हैं। एक नहीं हजार कथा का जो पुण्य मिलता है वह आपको शिव महापुराण की कथा के श्रवण मात्र से मिल जाता है। इस कलयुग में भक्ति सहज और सरल हैं। शिव महापुराण की कथा मनुष्य को अपना चेहरा दिखाती हैं। जैसे दर्पण में देखने पर पता चल जाता है कि चेहरे पर क्या लगा है, क्या भाव है। वैसे ही शिव महापुराण की कथा दर्पण का काम करती हैं। उन्होंने आगे कहा कि शिव महापुराण की कथा जन्म जन्मांतर के पापों को धो देती है। ऐसा कोई जीव नहीं है कि जो काल के मुंह में नहीं बैठा है। सभी काल रुपी अजगर के मुंह में बैठे हुए हैं और जिस दिन इस  काल रूपी अजगर ने अपना मुंह बंद कर लिया। उस दिन समझो  उस जीव की पूर्णाहुति हो जाएगी। कथा का आयोजन प्रतिदिन दोपहर 1 से शाम 4 बजे तक होगा। 17 फरवरी को पूर्णाहुति। 18 को भंडारा होगा जिसमें महा प्रसादी वितरित की जाएगी। आयोजक मंडल  के बापुलालजी, गुड्डू सारवा सिया अनिता कुमावत, संध्या सारवा, सहित नागरिकों ,धर्मप्रेमियों ने बड़ी संख्या में  कलशयात्रा  में शामिल  होकर  कथा श्रवण की।