बैराड़: अवैध अतिक्रमणकारियों पर चला प्रशासन का डंडा।: रिंकू पंडित KTG समाचार शिवपुरी
शिक्षा विभाग द्वारा बार बार अवगत कराने पर हुई है कार्यवाही। सिर्फ कन्या शाला हाई स्कूल के सामने का ही हटा है अतिक्रमण। जानें बैराड़ में कहां कहां पसरा हुआ है अतिक्रमण।
बैराड़: अवैध अतिक्रमणकारियों पर चला प्रशासन का डंडा।: रिंकू पंडित KTG समाचार शिवपुरी
बैराड़ प्रवेश करते ही टपरा टपरियां की झांकी आपको नगर परिषद के सामने, बीएसएनएल टावर के सामने तथा सरकारी अस्पताल के सामने देखने को मिल जाएंगी जो बैराड़ की दशा और दिशा को निर्दिष्ट करतीं हैं कि प्रकाशन की क्या व्यवस्था है साथ उड़ती धूल और कचरा सफाई अभियान की धज्जी उड़ाते हुए नजर आएंगे। ऐसा नहीं है कि प्रशासन को इसकी कानों कान ख़बर ना हो फिर भी प्रशासन के नाक के नीचे ये सब हो रहा है और प्रशासन हाथ पर हाथ रखे बैठी है। हद तो तब हो जाती है जब खुद प्रशासन की जगह जो अतिक्रमण हटाती है यानी नगर परिषद के सामने ही अतिक्रमणकारियों ने पैर पसार लिए हैं। यह जो विडियो हम दिखा रहे हैं बो कन्या शाला स्कूल हाई स्कूल के सामने की है। सच कहो तो इसमें प्रशासन का कोई ज्यादा रोल नहीं है। इस अतिक्रमण को हटाने के लिए कन्या शाला स्कूल के शिक्षकों ने कई बार आवेदन दिया है कि हमारे स्कूल के बच्चों को इससे निकलने बा साइकिल रखने की दिक्कत आती है ये अतिक्रमण स्कूल के सामने ही लगा हुआ है तब जाकर शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने ऐक्शन लेते हुए, नगर परिषद को अवगत कराया है। इस वजह से कन्या शाला स्कूल के सामने का अतिक्रमण हट पाया है। हालाकि अभी भी बहुत अतिक्रमण बैराड़ पर पशरा हुआ है जो भी अधिकारी आता है उसे जब अतिक्रमण को अवगत कराया जाता है बो अधिकारी नोटिस के अलावा कोई कारवाही नहीं करता ये क्यों नहीं करते है? इस बात का अभी भी बनता है। और सबसे बड़ी बात तो अतिक्रमण मैन रोड़ का हो तो बो किसी भी शहर, कस्बे की सुंदरता पर प्रश्न उठाया है l और जब सरकारी संपत्ति पर कब्जा हो उस पर प्रशासन अनदेखा कर रही है तब तो प्रश्न उठना स्वाभाविक है।
बैराड़ कहां कहां सरकारी संपत्तियों पर अतिक्रमण बना हुआ=
1= बस स्टेंड
2= बीएसएनएल टावर के सामने
3= नगर परिषद बैराड़ के सामने
4= सरकारी अस्पताल के सामने
5= अस्पताल के सामने पुरानी उचित मूल्य की दुकान पर
6= सरकारी हाई स्कूल के सामने
7= मातारोड बरी के पेड़ के पास सरकारी टंकी पर।
ऐसा नहीं है इसकी जानकारी आलाधिकारियों को ना हो फिर भी प्रशासन क्यों चुप्पी साधे बैठा है?