महाभारत से जुड़ा है प्रसंग भीम की राह रोक बजरंग बली बोले पूंछ हटाओ और चले जाओ यहीं बनी प्रतिमा
मेले में उमरी तिराहे से पाण्डुपोल तक जगह जगह श्रद्धालुओं की ओर से पानी की प्याऊ लगाई कई जगहों पर भण्डारे का आयोजन भी किया
महाभारत से जुड़ा है प्रसंग भीम की राह रोक बजरंग बली बोले पूंछ हटाओ और चले जाओ यहीं बनी प्रतिमा
KTG समाचार नीरज माहेश्वरी जिला प्रभारी
अलवर सरिस्का की वादियों में स्थित ऐतिहासिक धार्मिक स्थल पाण्डुपोल में भर मेले का आयोजन हुआ । इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर पहुंचे और दर्शन कर मन्नतें मांगी । यहां आयोजित तीन दिवसीय मेला 31 अगस्त को मंगल आरती के साथ सम्पन्न हुआ । मेले में प्रशासन एवं मेला कमेटी की ओर से सुरक्षा की पूर्ण व्यवस्था की गई। वहीं मेले में श्रद्धालुओं को ले जाने व लाने के लिए रोडवेज प्रबंधन की ओर से बसों का संचालन किया। जिला प्रशासन की ओर से मेले के अवसर पर जिले में अवकाश घोषित किया गया । मेले में उमरी तिराहे से पाण्डुपोल तक जगह जगह श्रद्धालुओं की ओर से पानी की प्याऊ लगाई। वहीं कई जगहों पर भण्डारे का आयोजन भी किया। मान्यता है कि महाभारत काल में पांडवों ने सरिस्का के जंगलों में अज्ञातवास बिताया । कहा जाता है कि महाबलि भीम को अपने बल का घमंड हो गया था । इसे भंग करने के लिए बजरंग बली प्रकट हुए । एक दिन जब भीम द्रोपदी के लिए दिव्य पुष्प लेने जंगल से गुजर रहे थे तो राह में वृद्ध वानर पूंछ फैलाये वहां लेटा मिला । भीम ने दंभ भरे लहजे में पूंछ हटाने को कहा । वानर ने कहा खुद ही हटा लो और चले जाओ । गुस्साए भीम ने पूरी ताकत लगा दी लेकिन पूंछ हिला तक न सके । तुरंत ही उन्हें गलती का एहसास हो गया । यह वानर हनुमानजी थे । भीम ने क्षमा मांग ली । जहां हनुमानजी लेटे थे उस स्थान पर प्रतीक के रूप में एक शिला बनी । यहीं पांडुपोल हनुमान जी मंदिर स्थापित हुआ । जहां पर मेला भरेगा । मेले में देश भर से लोग आते है ।