पोहरी: एसडीएम कार्यालय में सालों से डले है दुरुस्ती प्रकरण पर कोइ सुनवाई नहीं, प्रार्थी जिला डीएम तक जाने को हुए मजबूर

ना बाबू सुनते ना एसडीएम साहब, प्रार्थी सालों से दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। हर बार कोई ना कोई बहाना बना कर कर्मचारी गुमाते रहते हैं फरियादियों को। क्या न्यायलय में न्याय नाम की चीज नहीं?

पोहरी: एसडीएम कार्यालय में सालों से डले है दुरुस्ती प्रकरण पर कोइ सुनवाई नहीं, प्रार्थी जिला डीएम तक जाने को हुए मजबूर
पोहरी: एसडीएम कार्यालय में सालों से डले है दुरुस्ती प्रकरण पर कोइ सुनवाई नहीं, प्रार्थी जिला डीएम तक जाने को हुए मजबूर

रिंकू पंडित KTG समाचार शिवपुरी=

प्रार्थी का कहना है मेरी दुरुस्ती फ़ाइल प्रकरण क्रमांक 98 अ 6 अ 2019-20 से एसडीएम कार्यालय में डली है। मैने बहुत तारिक कर लीं मेरी फ़ाइल पहले तहसीलदार से एसडीएम कार्यालय फिर डीएम कार्यालय जब वहां से आदेश होकर एसडीएम कार्यलय आदेश होने आई तो मैने मौजूदा एसडीएम साहब से उसके आदेश के आग्रह किया उन्होंने फ़ाइल आदेश करने का आश्वासन दिया। उसके बाद एसडीएम साहब का तबादला हो गया जब फ़ाइल को लंबा समय 2 वर्ष हुआ तो प्रार्थी ने सीएम हेल्प लाइन लगाई उसके कुछ समय बाद प्रार्थी को मौजूदा एसडीएम ने बुलाया और कहा हम आपकी फ़ाइल देख रहे हैं आप हेल्प लाइन कटवाओ उसके बाद बाद प्रार्थी ने सीएम हेल्प लाइन कटवा दी। एसडीएम साहब ने कहा इसमें एक चालान होगा बो जमा करवाए प्रार्थी ने चालान जमा करवाया फिर एसडीएम साहब से कहा साहब और कोई कमी हो तो आप बता दें एसडीएम साहब ने कहा अब कोई कमी नहीं है। तुम्हारा काम हो जायेगा का आश्वासन दिया। परंतु आज तक आदेश के लिए प्रार्थी चक्कर ही लगा रहा है। जब प्रार्थी ने फिर से अपनी फ़ाइल निकलवाई तो एसडीएम साहब को प्रस्तुत हुई तो उन्होंने देख कर कहा सब सही है बाबू से कहा इसे आदेश के लिए रखो बाबू ने आदेश के लिए 16 तारिक तक यानी 15 दिन का समय लिया उसके बाद गुमाना सुरु कर दिया अभी सर्वर की दिक्कत है कहीं एसडीएम साहब नहीं है फिर बाबू जी ने छुट्टी ले ली 15 दिन की। जब प्रार्थी ने वहां अन्य बाबुओं से कहां तो बोले बो तो रूपेश बाबूजी आयेंगे तभी होगा फिर पता चला अभी रूपेश बाबूजी का तबादला हो गया है। उन्होंने अभी किसी को चार्ज ही नहीं दिया। लगातार इसी बहानों से 3 साल से प्रार्थी को चक्कर लगवाए जा रहे हैं परन्तु आज तक कोई सुनबाई नहीं हुई।

 प्रार्थी का यह भी आरोप है कि जब तक गुमाया जाता है प्रार्थी को जब तक बो ख़ुद हाथ जोड़ कर ये नहीं बोल दे बस बहुत हुआ साहब जो लेना हो सो ले लो मै चक्कर लगा -लगा कर वावला हो गया हूं मेरी चप्पल फट गईं हैं। तब तक काम नहीं होता यहां। और एक मै ही नहीं हजारों परियादी आते हैं जिन्हें दुत्कार कर भगा दिया जाता है। सैंकडों दुरुस्ती फाइल का बंडल पड़ा है जिनकी कोई सुनवाई नहीं।