ग्राम- अमरूपुर के निवासी परमानंद शुक्ला उर्फ़ रज्जु पुत्र ओंकार नाथ शुक्ला के बिगड़े बोल।

समाजसेवियों के लिए अमर्यादित भाषा का प्रयोग।

ग्राम- अमरूपुर के निवासी परमानंद शुक्ला उर्फ़ रज्जु पुत्र ओंकार नाथ शुक्ला के बिगड़े बोल।

KTG  समाचार नरेंद्र कुमार विश्वकर्मा सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश। 

चाँदा-   मामला सुल्तानपुर जिले के चांदा क्षेत्र के ग्राम- अमरूपूर, पोस्ट- शुकुल उमरी, तहसील- लंभुआ जिला सुल्तानपुर का है। 

उपरोक्त तस्वीर में आप लोग जिन्हें देख रहे हैं उनका नाम परमानंद शुक्ला उर्फ रज्जू पुत्र ओंकार नाथ शुक्ला जो ग्राम- अमरूपुर के स्थाई निवासी हैं । 

परमानंद के बारे में यह से बताते हुए बहुत खुशी होती है कि आर्थिक रूप से बहुत ही सक्षम है और आए दिन लोगों को अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करते हैं इनके पास अपार पैतृक संपत्ति है लगभग 50 बीघे खेती होगी, चार चक्के गाड़ियां हैं, लंबी चौड़ी बाघ है, पारिवारिक संख्या बल में भी बहुत है, हिंदुस्तान युनिलीवर में कर्मचारी है लगभग ऊपर ₹ 20,000- 35,000 से ऊपर  महीने की आमदनी होगी बाकी घर में ही उत्तर प्रदेश ग्रामीण बैंक के बैंक मित्र भी हैं साथ में जनरल स्टोर का विक्रेता भी है इत्यादि चीजों से परिपूर्ण है। 

इनका व्यवहार एक ग्राहक के (रूद्र समाजसेवी) साथ संतोषजनक नहीं है। ग्राहक रूद्र समाजसेवी के लिए परमानंद का कहना है आपने 14 माह पूर्व मुझसे एक चाइना की टॉर्च लिया था उसका पैसा नहीं दिया है  जब ग्राहक रूद्र समाजसेवी गांव में था तब तक पैसा नहीं मांगा जबकि ग्राहक ने कहा था आप पैसा ले लीजिएगा जो टॉर्च का उचित मूल्य होगा बाजार में इसकी कीमत लगभग अधिकतम मूल्य - ₹90 से ₹100 के बीच होगा लेकिन जब वह आर्थिक समस्या के कारण दिल्ली आ गया उसे रात्रि 9:00 बजे फोन करके टॉर्च का डेढ़ सौ रुपया मांगा।  ग्राहक ने कहा पेटीएम या फिर गूगल पर नंबर भेज दीजिए हम भेज देंगे तो परमानंद ने नहीं दिया 1 महीने बाद फिर 9:30 बजे रात में फोन किया हमारा टॉर्च का पैसा दे दो ग्राहक ने फिर वही कहा आप अपना गूगल पे या फिर पेटीएम नंबर भेज दीजिए लेकिन इस बार उन्होंने भेजा। 

लेकिन वह सोचा अगर पैसा भेजा, नहीं पहुंचा तो फिर देना पड़ेगा इसलिए कैश देना उचित समझा  तो ग्राहक रुद्र समाजसेवी ने अपने मित्र को भेजा पैसे देने के लिए भेजा तो मित्र को बताया गया कि उनका ₹240 है जबकि ग्राहक  रूद्र समाजसेवी ने टॉर्च के अलावा और कुछ लिया ही नहीं था फिर ग्राहक रुद्र समाजसेवी के पास मित्र ने फोन किया कि मैं डेढ़ सौ रुपया (₹-150/) दे रहा हूं ग्राहक रुद्र समाजसेवी ने कहा ठीक है दे दो और ग्राहक के मित्र ने उनके घर के सदस्य वक्रांगी कंपनी के कर्मचारी राहुल  शुक्ला को ₹150/- दे दिया और जब फोन के माध्यम से ग्राहक ने परमानंद से बात किया और मांगा कैसे हुआ ₹240  तो फोन पर अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करते हुए ग्राहक को गाली दिया जो निंदनीय कार्य है और कहीं ना कहीं  एक ग्राहक को अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करते हुए गाली देना एक अपराध है  और इस अपराध के बदले में संवैधानिक कार्यवाही की जा सकती है।