आंदोलनकारियों का फैसला 31 दिसंबर से मरोड़ा में

आंदोलनकारियों का फैसला 31 दिसंबर से मरोड़ा में

आंदोलनकारियों का फैसला, 31 दिसंबर से मरोड़ा में अनिश्चितकालीन चक्काजाम, बेचाघाट में आंदोलन के 21वें दिन जुटे हजारों लोग


ओबीसी वर्ग समुदाय ने रैली निकालकर दिया समर्थन


बेचाघाट में आंदोलन के 21वें दिन जुटे हजारों लोग

कौशल सोनी, केटीजी समाचार

कांकेर। चार सूत्रीय मांग को लेकर बेचाघाट में 21 दिन से आंदोलन कर रहे सर्व आदिवासी समाज के प्रमुखों ने 31 दिसंबर से मरोड़ा में अनिश्चितकालीन चक्काजाम करने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि चार सूत्रीय मांग को लेकर बेचाघाट में हजारो आदिवासी डेरा जमाकर आंदोलन कर रहे है। रविवार को आंदोलन का 21वां दिन जारी रहा।इस आंदोलन में छोटेबेठिया,बड़गाँव सर्कल के हजारों आदिवासी शामिल रहे। क्षेत्रीय आदिवासियों के अलावा इस आंदोलन में दुर्गूकोंदल, कोयलीबेड़ा, अंतागढ़ जैसे अन्य जगहों से भी सर्व आदिवासी समाज के लोग इस आंदोलन में शामिल हुए। सभा में वक्ताओं ने अपनी-अपनी बातें रखी और सभा मे मौजूद लोगों में हुंकार भरा। देर शाम करीबन चार बजे नायब तहसीलदार सुनील ध्रुव आंदोलन स्थल पर प्रशासनिक पहल करते हुए आंदोलनकारियों से बातचीत करने पहुंचे। अधिकारी ने आंदोलनकारियों से आंदोलन समाप्त करने की मांग करते हुए आश्वस्त किया कि आप लोग पर्यटक स्थल और पुल नहीं बनवाना चाहते तो निश्चित तौर पर आप लोगों की मांगें ऊपरी स्तर तक पहुंचाया जाएगा। साथ ही स्वीकृति हुए कार्यो में आपकी मांगे अनुरूप निरस्तीकरण के लिए पूरा प्रयास करूंगा। परंतु नायब तहसीलदार की प्रशासनिक पहल असफल रही। आंदोलन कर रहे प्रमुखों ने कहा कि जब तक निरस्तीकरण के आदेश नहीं आते तब तक बेचाघाट में आंदोलन जारी रहेगा। बल्कि 31 दिसंबर से बेचाघाट के साथ साथ मरोड़ा में भी अनिश्चितकालिन चक्काजाम किया जाएगा। आदिवासी प्रमुख बसंत ध्रुव, राजा कोमरा, मैनी कचलामी, गज्जू पददा, सहदेव उसेंडी का कहना है कि पूर्वजों से आदिवासी जल, जंगल, जमीन और प्राकृतिक खनिज संपदा की रक्षा करते आ रहे है। और सरकार बेचाघाट में पुल हमारी सुविधा के लिए नहीं बना रही है। बल्कि इलाके के जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा को लूटने के लिए पुल का निर्माण कर रही है। अंदरूनी गांवों में बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा जैसे मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने में असफल रही सरकार अब पुलिया बनाकर जल, जंगल, जमीन और खनिज संपदा लूटने के लिए पुलिया बना रही है। जिसका आदिवासी इसका विरोध करते है। जब तक सरकार अपने फैसले से पीछे नहीं हटती और बीएसएफ कैंप खुलने और पुलिया बनाने का निर्णय वापस नहीं लेती तबतक यहां पर अनिश्चितकालीन आंदोलन में डंटे रहेंगे।

ओबीसी वर्ग समुदाय के हजारों लोगों ने भी दिया समर्थन

बेचाघाट में 21 दिन से जारी आंदोलन में ब्लाक स्तरीय पिछड़ा वर्ग समुदाय के हजारो लोगों ने समर्थन दिया। ओबीसी वर्ग समुदाय के लोगों ने रैली के माध्यम से सभा स्थल तक पहुंचकर समर्थन दिया और मांगों को जल्द पूरा करने जमकर नारेबाजी की। इसके अलावा बंग समुदाय के सैकड़ों लोगों ने भी बेचाघाट में चल रहे आंदोलन का समर्थन देते हुए जल्द मांग पूरा करने की मांग की।