कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

जैविक खेती कर लगाए सात सौ अनार के पेड।

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
जैविक खेती करते हुए पटवारी मोतीलाल शर्मा
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

जैविक खेती कर लगाए सात सौ अनार के पेड।

पटवारी मोतीलाल शर्मा किसानों को कर रहे प्रेरित

KTG समाचार रिपोर्टर नीरज माहेश्वरी  राजगढ़ अलवर राजस्थान

माचाडी़  कस्बे के नजदीक ग्राम पंचायत बबेली  के ईशवाना गांव लबानिया का बाँस मे
हरिवंश राय बच्चन की कविता - कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। कुछ किए बिना जय साकार नहीं होती।जी हांं इन पॅक्तियों को चरितार्थ कर दिखाया , वृक्ष प्रेमी मोतीलाल शर्मा ने। पर्यावरण दिवस के इस मौके पर हम पहुँचे।अलवर जिले के रैणी क्षेत्र के  ईशवाना गाँव में जहाँ के  निवासी मोतीलाल शर्मा किसान परिवार में पले बढ़े मोतीलाल शर्मा कानूनगो के पद से सेवानिवृत्त हैं। अपनी नौकरी से सेवानिवृत्त होने से पूर्व ही मोतीलाल शर्मा ने अपने गांव में कुछ अलग करने का विचार सोचा और जैविक अनार की खेती करने का  दृढ़ संकल्प लिया।कृषि विभाग के एग्रीकल्चर AA.O दीपचंद जी मीणा ।तथा एग्रीकल्चर सुपरवाइजर श्री नीरज जी मीणा द्वारा जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित किया गया तथा आत्मा से ₹10000 /- की प्रोत्साहन राशि दिलवाई गयी।
मोती लाल शर्मा ने बताया कि मैं किसान का बेटा हूं सेवानिवृत्त के बाद किसान के रूप में कुछ करने का जज्बा था।इसके लिए मैंने अपने खेत की मिट्टी का प्ररीक्षण जयपुर प्रयोगशाला में करवाया। और मिट्टी का सैंपल पास होने के बाद गौशाला से 16 ट्रॉली जैविक खाद को खेत में डालकर 5 बीघा जमीन में 711 पेड़ लगा दिए। इसके लिए मैंने पहले से ही मन में ठान लिया था। एवं इसके लिए मैं कीटनाशक रहित जैविक खाद जैविक दवाई से तैयार अनार के फल लोगों तक पहुंचा सकूं।इसके लिए मैंने एंड्रॉयड फोन से राजीव दीक्षित के यूट्यूब पर जैविक खेती एवं जैविक दवाई के बारे में वीडियो देखें lऐसे बनाते हैं जैविक कीटनाशक :-
धतूरा के पत्ते , फूल , डोडे, आंकड़े के पत्ते, नीम के पत्ते ,अरड के पत्ते ,अडूसा के पतो को कूट-कूट एवं पीसकर गाय के गोमूत्र में उबालकर तैयार की जाती है।तथा पृथ्वी में जीवामृत गाय के गोबर , गोमूत्र ,गुड ,पीपल के पेड़ के नीचे की मिट्टी और बेसन एवं पानी के साथ पेड़ की जड़ में देते हैं।
क्षेत्रीय पत्रकार नागपाल शर्मा व भागीरथ शर्मा द्वारा बगीचे की जानकारी करने के पश्चात समाचार पत्रों द्वारा लोगों तक पहुंचाया तथा पयार्वरण के प्रति लोगों को जागरुक किया गया । मोतीलाल शर्मा कि साढे 3 साल की कड़ी मेहनत रंग लाई है।और वर्तमान में फल से बगीचा लदा हुआ है ।और अब इंतजार है तो  सिर्फ बाजार का।और उन्होंने कहा कि मैं पेडों को अपने बच्चों की तरह उनकी देखभाल करता हूँ मैं उन लोगों की तरह नहीं जो फोटो खींचा कर पेड़ लगाते हैं और बाद में उनकी देखभाल तक नहीं करते हैं जिससे वो पौधे पानी के अभाव में धूप में कुमल  कर सूख जाते हैं पेड़ो में भी जीव होता है। उससे अच्छा तो पेड़  ही नहीं लगाए तो अच्छा है