स्वच्छता, जल संरक्षण व पर्यावरण संरक्षण हमारी प्राथमिक आवश्यकता, आचरण में शामिल हो महत्वता : के.के.गुप्ता

स्वच्छता, जल संरक्षण व पर्यावरण संरक्षण हमारी प्राथमिक आवश्यकता, आचरण में शामिल हो महत्वता : के.के.गुप्ता

स्वच्छता, जल संरक्षण व पर्यावरण संरक्षण हमारी प्राथमिक आवश्यकता, आचरण में शामिल हो महत्वता : के.के.गुप्ता

- राजस्थान सरकार के पूर्व स्वच्छता ब्रांड एंबेसडर के. के. गुप्ता ने सिखांए स्वच्छता के गुर

- डूंगरपुर जैसा बनें हमारा मुल्क : प्रशिक्षणार्थी

Ktg समाचार रिपोर्टर नरेश कुमार भोई डूंगरपुर, राज

 डूंगरपुर। जिला परिषद उदयपुर के ब्लॉक प्रशिक्षक दल सदस्यों के प्रशिक्षकों का जिला स्तरीय रिफ्रेशर प्रशिक्षण अशोका ग्रीन, शोभागपुरा उदयपुर में तीन दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। शिविर के द्वितीय दिवस गुरुवार को उदयपुर सहायक विकास अधिकारी जिला परिषद अजेंद्र पुरी गोस्वामी ने विगत दिवस का पुनरावलोकन एवं जिला एवं ब्लॉक स्तर के प्रशिक्षण कार्यक्रमों के आयोजन पर चर्चा कर आवश्यक निर्देश दिए। उप नियंत्रक एवं नागरिक सुरक्षा सिविल डिफेंस विभाग की अमित शर्मा ने आपदा प्रबंधन एवं पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान अतिरिक्त निदेशक राधिका शर्मा ने विचार व्यक्त किए। प्रशिक्षण में मुख्य अतिथि के रूप में डूंगरपुर नगर परिषद के पूर्व सभापति के.के.गुप्ता ने ठोस एवं तरल कचरा प्रबंधन तथा नवीकरण ऊर्जा के क्षेत्र में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि हमारे शरीर का संघटन सत्तर प्रतिशत जल से बना है। केवल हमारा शरीर ही नहीं, अपितु हमारी पृथ्वी भी दो-तिहाई जल से आच्छादित है। जल, वायु और भोजन हमारे जीवन रुपी इंजन के इंधन है। एक के भी न रहने पर जीवन संकट में पड़ सकता है। “जल ही जीवन है” यूं ही नहीं कहा जाता है। हम पानी के बिना जीवन की कल्पना नहीं कर सकते। पीने और घरेलू उद्देश्यों के अलावा, पानी हमारी दुनिया के अस्तित्व के लिए महत्वपूर्ण है। हमारी अच्छाई और आने वाले भविष्य के लिए जल का संरक्षण महत्वपूर्ण है। हमें पानी बचाने के लिए पहल करने की जरूरत है चाहे कमी हो या न हो। सहायक पंचायत अधिकारी अजेंद्रपुरी गोस्वामी व अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी डॉ. अमृता दाधीच ने संचालन व आभार जताया। जन जन के मन में स्वच्छ भारत का भाव पैदा करें जनप्रतिनिधी : गुप्ता प्रशिक्षण शिविर में डूंगरपुर निकाय को अंतर्राष्ट्रीय पहचान बनाने के शीर्ष नेतृत्वकर्ता पूर्व सभापति के. के. गुप्ता ने जनप्रतिनिधियों जन जन के मन में स्वच्छता की जागरूकता लाने का संकल्प दिलाया। गुप्ता ने कहा कि जिंदगी जीने के लिए जिस तरह वायु, जल, रोटी, कपड़ा, मकान जरूरी हैं, वैसे ही स्वच्छता भी उतनी ही जरुरी है। गंदगी से हैजा, मलेरिया, पीलिया जैसी असंख्य जानलेवा और संक्रामक बीमारियां पनपती हैं, और सिर्फ स्वच्छता के माध्यम से ही इन सभी खतरनाक बीमारियों से खुद को दूर रखा जा सकता हैं। स्वच्छता, वह अच्छी आदत है जो मनुष्य को न सिर्फ शारीरिक रुप से स्वस्थ रखती है, बल्कि मानसिक, सामाजिक और बौद्धिक रुप से भी स्वस्थ रखती है। गंदे परिवेश में मक्खी, मच्छर, कॉकरोच, चूहे, सांप, बिच्छू समेत तमाम तरह के कीड़े-मकौड़े और कीटाणुओं पनपते हैं , जिससे तमाम तरह की बीमारियां जन्म लेती हैं। इसलिए साफ-सफाई रखना बेहद जरूरी है, ताकि बीमारियों से दूर रह सकें और स्वस्थ जीवन जी सकें। कचरा प्रबंधन कर भूमि प्रदूषण पर रोक लगाने में निभाए भागीदारीं : गुप्ता गुप्ता ने कहा कि कचरे को प्रबंधन करना बहोत जरूरी है, क्योंकि यह मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है। जैसे की औद्योगिक अपशिष्ट भूमि की उपजता को कम कर देता है। इससे मलेरिया, टी.बी, पीलिया और हैजा जैसी कई बीमारियाँ उत्पन्न होती है। इसीलिए हमे कचरा प्रबंधन करना आवश्यक हैं। इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट में आर्सेनिक, मरकरी, लेड और कैडमियम जैसे कई जहरीले पदार्थ होते है। यह पदार्थ पर्यावरण और मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होते है। विश्वभर में पैदा होने वाले कुल ई-कचरे का चार प्रतिशत हिस्सा भारत में उत्पन्न होता है। इसके अलावा प्लास्टिक, कांच, दवाई की शीशियाँ, धातु, चमडा, इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसा ठोस अपशिष्ट भी हमारे लिए नुकसानकारक है। यह कचरा कई साल बीत जाने के बाद भी नष्ट नहीं होता, जबकि भारत में प्रतिवर्ष 960 मिलियन टन ठोस अपशिष्ट उत्पन्न होता है। कचरे को फेंक देने से भूमि प्रदूषण होता है। इसकी वजह से उपज भूमि बंजर बन जाती जाती है, जिससे हमे कृषि में नुकसान होता है। इसके अलावा जब जमा हुआ कचरा सड़ने लगे तब उसमे से दुर्गन्ध निकलती है। इस दुर्गन्ध से ना सिर्फ आस-पास का वातावरण दूषित होता है, बल्कि कई खतरनाक बीमारिया भी फैलती है। इन बीमारियो के रोकने के लिए हमे कचरा प्रबंधन करना आवश्यक है। जब यह अपशिष्ट नालियों से बह कर जल स्रोतों में मिल जाता है, तब यह जल को प्रदूषित करता है। इससे कई जलीय जीवों की मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा अगर इसी कचरे को जलाया जाए तो यह वायु को प्रदूषित करता है।