शहर के बाँसडवाड़ा मोहल्ले मे रहने वाले रमेश बासड ने बनाई बांस की लकड़ियों से गणेश जी की प्रतिमा।

शहर के बाँसडवाड़ा मोहल्ले मे रहने वाले रमेश बासड ने बनाई बांस की लकड़ियों से गणेश जी की प्रतिमा

शहर के बाँसडवाड़ा मोहल्ले मे रहने वाले रमेश बासड ने बनाई बांस की लकड़ियों से गणेश जी की प्रतिमा।

Ktg समाचार रिपोर्टर नरेश कुमार भोई डूंगरपुर, राज

डूंगरपुर।शहर में बाँसड समाज के कारीगर भी कोई कम नहीं है बांस के इन परंपरागत कारीगरों द्वारा राजस्थान गुजरात के कई शहरों में बांस से बने पुतले बनाए गए हैं चाहे वह फिल्म सिटी का काम ही क्यों ना हो। वही आपको बता दें कि सिर्फ डूंगरपुर या वागड़ ही नहीं बल्कि गुजरात, राजस्थान सहित कही राज्यों में भी अपनी हस्तकला से बाँसड समाज ने अपना डंका बजा रखा है। वहीं शहर के बाँसडवाड़ा में रहने वाले रमेश बाँसड 4 वर्षों से बांस से बने गणपति बनाकर अपने ही घर में विराजमान करवा रहे हैं और उनकी पूजा कर रहे हैं वहीं इस बार भी इन्होंने पूरी कारीगरी के साथ बांस के गणपति बनाकर विराजमान किए हैं वही रमेश भाषण ने बताया कि बांस से बने गणेश जी की प्रतिमा को हाथों की कारीगरी से ही बनाया गया है। इसमें किसी भी तरह की मशीन का उपयोग नहीं किया गया है। और 10 दिनों तक चलने वाले गणेश पर्व को लेकर शाम को शहर भर के लोग भी दर्शन करने के लिए बाँसडवाड़ा में आते हैं और कारीगरी को निहारते हैं।