रथोत्सव के तीन दिवसीय कार्यक्रम में इस बार नहीं खनके डांडिये,भगवान के रथ भी मंदिरों में ही रहे भण्डारण

रथोत्सव के तीन दिवसीय कार्यक्रम में इस बार नहीं खनके डांडिये,भगवान के रथ भी मंदिरों में ही रहे भण्डारण

रथोत्सव के तीन दिवसीय कार्यक्रम में इस बार नहीं खनके डांडिये,भगवान के रथ भी मंदिरों में ही रहे भण्डारण

:सांकेतिक रूप से पूजा कर गेपसागर जलाशय पर जल देवता को चढ़ाया अर्घ

Ktg समाचार रिपोर्टर नरेश कुमार भोई डूंगरपुर, राज

डूंगरपुर। श्री सकल जैन समाज के 18 दिवसीय पर्युषण महापर्व की समाप्ति के पश्चात तीन दिवसीय रथोत्सव सैकडों वर्ष पुरानी परम्परा के अनुरूप जिला मुख्यालय के अलावा सागवाड़ा, साबला, निठाऊवा, पीठ, सीमलवाड़ा तथा थाणा में खेले जाते थे और इन तीन दिनो तक जहां शहर के तीन मंदिरों में से पहले दिन मामा भानजा मंदिर व कोटडिया मंदिर के रथ शोभायात्रा के रूप में गेपसागर जलाशय पर पहुंचते थे जहां डांडिया नृत्य होता था वही दूसरी दिन दर्शनार्थ रहते थे तथा शाम को भुलमणी व गैर के डांडिये होने के पश्चात दोनो रथ भण्डारण के लिए वापस जाते थे जिसमे कोटडिया मंदिर का रथ भण्डार हो जाता जब कि मामा भानजा मंंदिर का रथ माणक चौक में परम्परागत डाडिये के पश्चात भौर में भण्डारण होते और वही दूसरी ओर ऊण्डा मंदिर का रथ गाजे बाजे के साथ मध्यरात्रि पश्चात गेपसागर जलाशय पर पहुंचते जहां पूजा अर्चना के बाद डांडिया खेला जाता था। तीसरे दिन गेपसागर की पाल पर मध्यरात्रि तक डांडिया खेलने के पश्चात रथ माणक चौक पहुंचते जहां भौर तक समाज जनो द्वारा प्रभु की स्तुति में डांडिया का आयोजन किया जाता था और शुभ मुहुर्त में ऊण्डा मंदिर का रथ भण्डार होने के साथ ही तीन दिवसीय रथोत्सव की धूम थम जाती थी, लकिन इस वर्ष कोरोना संक्रमण के चलते तीन दिवसीय रथोत्सव के सभी कार्यक्रमो को स्थगित करते हुए केवल मंदिर परिसर में ही रथ की पूजा अर्चना की गई और इसके पश्चात गेपसागर जलाशय पर दोनो मंदिरों के प्रतिनिधियो ंने पहुंच कर सांकेतिक पूजा कर जल देवता को अर्घ चढाकर रस्म अदा की।