सैनिक शिवपाल सिंह की अंतिम विदाई में उमड़ा गांव, सबकी आंखें नम
शिवपाल सिंह बचपन से सेना में जाने का सपना देखते थे। पांच बार असफल होने के बाद सेना में उनका सिलेक्शन हुआ था। उनकी शादी 9 महीने पहले ही हुई थी
KTG समाचार आरिफ खान देवास मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश के देवास के रहने वाले सेना के जवान शिवपाल सिंह राठौड़ का दिल्ली में सोमवार सुबह निधन हो गया। मंगलवार सुबह उनके शव को दिल्ली से देवास लाया गया। यहां उनके गांव सारोला में उनका अंतिम संस्कार किया गया। जवान की अंतिम विदाई में पूरा गांव उमड़ पड़ा। इस दौरान वहां मौजूद लोगों की आंखें नम थी। शिवपाल सिंह बचपन से सेना में जाने का सपना देखते थे। पांच बार असफल होने के बाद सेना में उनका सिलेक्शन हुआ था। उनकी शादी 9 महीने पहले ही हुई थी
शिवपाल 21 मार्च 2020 को सेना में भर्ती हुए थे। वह 408 एएडी सेना की मैकेनिकल विंग में पदस्थ थे। जहां हथियारों से संबंधित काम होता है। वर्तमान में वे मथुरा में पदस्थ थे। पांच दिन पहले ड्यूटी करने के दौरान उन्हें अचानक चक्कर आया और वे गिर गए। इसके बाद उन्हें मेरठ अस्पताल ले जाया गया, फिर उन्हें गंभीर हालत में दिल्ली रेफर कर दिया गया। तभी से वे दिल्ली में वेंटिलेटर पर थे
शिवपाल की तबीयत बिगड़ने की सूचना मिलने पर तीन दिन पहले उनके पिता पोपसिंह राठौड़ एक अन्य पूर्व सैनिक के साथ दिल्ली पहुंच गए थे। तभी से वे वहां पर थे। सोमवार सुबह सारोला में उनके मामा नागूसिंह व जयपालसिंह शक्तावत को उनके निधन की सूचना दी गई। दिल्ली के रेजीमेंट एयर डिफेंस आर्मी हॉस्पिटल में जरूरी कार्रवाई पूरी होने के बाद सोमवार शाम एम्बुलेंस से शव लेकर पिता व अन्य देवास के लिए रवाना हुए थे।
जवान शिवपाल का शव पहले दिल्ली से महू लाया गया। यहां से उनका शव एंबुलेंस से देवास लाया गया। फिर सेना के वाहन में पटलावदा के पास गांव सारोला उनका शव ले जाया गया। इस दौरान जगह-जगह लोगों ने श्रद्धांजलि दी गई। उनका शव जैसे ही गांव पहुंचा पूरा गांव उनके अंतिम दर्शन को उमड़ पड़ा। गांव के लोग और स्कूली बच्चे तिरंगा लेकर सड़क किनारे खड़े रहे
जवान की अंतिम विदाई के दौरान हर किसी की आंखें नम थी। अंतिम संस्कार से पहले उनके सम्मान में आतिशबाजी भी की गई। महू से आए सेना के दल ने सलामी भी दी। लोग भारत माता की जय, शिवपालसिंह अमर रहे जैसे नारे लगाते रहे। उनके मामा के खेत में उनका अंतिम संस्कार किया गया। मामा ने उन्हें मुखाग्नि दी
शिवपाल के पिता ने बताया कि बेटे का हमेशा से सेना में जाना का सपना था। बेटा कहता था कि या तो वह सेना में जाएगा या किसी हम्माल का काम करेंगे पर कभी नौकरी नहीं करेंगे। पांच बार अपनी कोशिशों में असफल होने के बाद शिवपाल का 6टीं बार में सिलेक्शन हुआ। इसमें बाद वो 6 महीने के लिए ओडिशा ट्रेनिंग के लिए गए। वहीं से फिर उन्हें आगे की पोस्टिंग मिली थी।