शिवपुरी: मजबूरी और गरीबी  का फायदा उठाकर आदिवासियों को बनाया जा रहा बंधुआ मजदूर, सहरिया क्रांति ने अब तक कराए सैकड़ों बंधुआ मजदूर मुक्त: रिंकू पंडित KTG समाचार शिवपुरी एमपी

अधिकतर गांव में मजबूरी और गरीबी  का फायदा उठाकर आदिवासियों को बंधुआ मजदूर  बनाया जाता रहा है इसको रोकने के लिए सहरिया क्रांति काम कर रही है। सहरिया क्रांति ने अब तक कराए सैकड़ों बंधुआ मजदूर मुक्त, अभी भी बहुत से लोग हैं जिनकी ज़मीन आज भी गिरवी रखी हुई है इसके लिए सहरिया क्रांति काम कर रही है उनको आजाद कराने में।


शिवपुरी .आजादी के लम्बे अन्तराल के बाद भी आज गरीब आदिवासी समुदाय के वलोग बंधुआ मजदूर बनने को विवश हैं , सहरिया जनजाति के उत्थान के दावे  व वादे तो बहुत किये जाते हैं लेकिन उनको  असल गरीबी से निकालने कि सरकारी मंशा में खोट नजर आता है . ग्वालियर चम्बल संभाग का शायद ही कोई ऐसा गाँव होगा जिस गाँव के सहरिया  आदिवासी कर्जजाल में न फंसे हों और उंचा साहूकारी ब्याज न चुकाने के एवज में बंधुआ मजदूर यानि महीदार न बने हों . पिछले एक दशक से भी अधिक समय से सहरिया जनजाति को विकास के पथ पर आगे लाने प्रयासरत सहरिया क्रांति एक मात्र ऐसा आन्दोलन है जिससे कुछ नई सुबह कि उम्मीद कि जा सकती है . सहरिया क्रांति संयोजक संजय बेचैन द्वारा आदिवासियों कि अन्य समस्याओं के साथ दर्जनों बंधुआ मजदूरों की गुलामी की बेड़ियां काटकर उन्हें आजाद कराया है .
बंधुआ मजदूरों के रूप में सहरिया जनजाति  का एक बड़ा वर्ग पीढ़ी दर पीढ़ी अमानवीय एवं अपमानजनक जीवन जीने को अभिशप्त रहा है। 1975 में एक कानून बनाकर बंधुआ मजदूरी को संज्ञेय दंडनीय अपराध घोषित कर देने से हजारों मनुष्यों को उस समय तो  इस नारकीय जीवन से मुक्ति मिली । पर आज भी कम साक्षरता वाले इस ग्वालियर –चम्बल संभाग में अक्सर मानवाधिकार हनन की घटनाएं यथा पुलिस प्रताड़ना, झूठे केस में फंसाने एवं निर्दयता से मारने आदि प्रकाश में आती रहती हैं। अभी हाल ही सहरिया क्रांति की पहल पर शिवपुरी कोतवाली पुलिस द्वारा सुन्दर आदिवासी सहित उसके परिवार के पांच सद्स्यों को बंधुआ मजदूरी के शिकंजे से मुक्त कराया गया है . 
 *बंधुआ मज़दूरी प्रथा (उन्मूयलन) अधिनियम, १९७६* 
बंधुआ मज़दूरी की प्रथा उन्मूउलन हेतु अधिनियमित किया गया था ताकि जनसंख्यास के कमज़ोर वर्गों के आर्थिक और वास्त्विक शोषण को रोका जा सके और उनसे जुड़े एवं अनुषंगी मामलों के संबंध में कार्रवाई की जा सके। इसने सभी बंधुआ मज़दूरों को एकपक्षीय रूप से बंधन से मुक्तब कर दिया और साथ ही उनके कर्जो को भी परिसमाप्तो कर दिया। इसने बंधुआ प्रथा को कानून द्वारा दण्ड नीय संज्ञेय अपराध माना।
यह कानून श्रम मंत्रालय और संबंधित राज्यय सरकारों द्वारा प्रशासित और कार्यान्वित किया जा रहा है। राज्य  सरकारों के प्रयासों की अनुपूर्ति करने के लिए मंत्रालय द्वारा बंधुआ मज़दूरों के पुनर्वास की एक केन्द्र प्रायोजित योजना शुरू की गई थी। इस योजना के अंतर्गत, राज्य  सरकारों को बंधुआ मज़दूरों के पुनर्वास के लिए समतुल्यश अनुदानों (50 -50 ) के आधार पर केन्द्रीिय सहायता मुहैया कराई जाती है।
 *अधिनियम के मुख्या प्रावधान इस प्रकार हैं:-* 
• बंधुआ मजदूर प्रणाली को समाप्तन किया जाए और प्रत्येंक बंधुआ मजदूर को मुक्त) किया जाए तथा बंधुआ मजदूरी की किसी बाध्य ता से मुक्तर किया जाए।
• ऐसी कोई भी रीति-रिवाज़ या कोई अन्य  लिखित करार,जिसके कारण किसी व्यतक्ति को बंधुआ मज़दूरी जैसी कोई सेवा प्रदान करनी होती थी,अब निरस्तए कर दिया गया है।
• इस अधिनियम के लागू होने से एकदम पहले कोई बंधुआ ऋण या ऐसे बंधुआ ऋण के किसी हिस्सेि का भुगतान करने की बंधुआ मज़दूर की हरेक देनदारी समाप्त  हो गई मान ली जाएगी।
• किसी भी बंधुआ मज़दूर की समस्त  सम्पदत्ति जो इस अधिनियम के लागू होने से एकदम पूर्व किसी गिरवी प्रभार, ग्रहणाधिकार या बंधुआ ऋण के संबंध में किसी अन्यन रूप में भारग्रस्ती हो, जहां तक बंधुआ ऋण से सम्ब द्ध है, मुक्त  मानी जाएगी और ऐसी गिरवी, प्रभार,ग्रहणाधिकार या अन्य  बोझ से मुक्त  हो जाएगी।
• इस अधिनियम के अंतर्गत कोई बंधुआ मज़दूरी करने की मज़बूरी से स्व्तंत्र और मुक्त् किए गए किसी भी व्यअक्ति को उसके घर या अन्य  आवासीय परिसर जिसमें वह रह रहा/रही हो, बेदखल नहीं किया जाएगा।
• कोई भी उधारदाता किसी बंधुआ ऋण के प्रति कोई अदायगी स्वीयकृत नहीं करेगा जो इस अधिनियम के प्रावधानों के कारण समाप्त  हो गया हो या समाप्तप मान लिया गया हो या पूर्ण शोधन मान लिया गया हो।
• राज्यन सरकार जिला मजिस्ट्रे्ट को ऐसी शक्तियां प्रदान कर सकती है और ऐसे कर्तव्यी अधिरोपित कर सकती है जो यह सुनिश्चित करने के लिए ज़रूरी हो कि इस अधिनियम के प्रावधानों का उचित अनुपालन हो।
• इस प्रकार प्राधिकृत जिला मजिस्ट्रे्ट और उसके द्वारा विनिर्दिष्टम अधिकारी ऐसे बंधुआ मज़दूरों के आर्थिक हितों की सुरक्षा और संरक्षण करके मुक्त  हुए बंधुआ मज़दूरों के कल्यारण का संवर्धन करेंगे।
• प्रत्ये क राज्यन सरकार सरकारी राजपत्र में अधिसूचना के ज़रिए प्रत्ये क जिले और प्रत्ये क उपमण्डरल में इतनी सतर्कता समितियां, जिन्हें वह उपयुक्त  समझे, गठित करेगी।
• प्रत्ये क सार्तकता समिति के कार्य इस प्रकार है :-
• इस अधिनियम के प्रावधानों और उनके तहत बनाए गए किसी नियम को उपयुक्तत ढंग से कार्यान्वित करना सुनिश्चित करने के लिए किए गए प्रयासों और कार्रवाई के संबंध में जिला मजिस्ट्रेनट या उसके द्वारा विनिर्दिष्टो अधिकारी को सलाह देना;
• मुक्त् हुए बंधुआ मज़दूरों के आर्थिक और सामाजिक पुनर्वास की व्यसवस्थाढ करना;
• मुक्त् हुए बंधुआ मज़दूरों को पर्याप्तर ऋण सुविधा उपलब्धल कराने की दृष्टि से ग्रामीण बैंकों और सहकारी समितियों के कार्य को समन्वित करना;
• उन अपराधों की संख्यार पर नज़र रखना जिसका संज्ञान इस अधिनियम के तहत किया गया है;
• एक सर्वेक्षण करना ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्यास इस अधिनियम के तहत कोई अपराध किया गया है;
• किसी बंधुआ ऋण की पूरी या आंशिक राशि अथवा कोई अन्या ऋण, जिसके बारे में ऐसे व्याक्ति द्वारा बंधुआ ऋण होने का दावा किया गया हो, की वसूली के लिए मुक्त् हुए बंधुआ मज़दूर या उसके परिवार के किसी सदस्यो या उस पर आश्रित किसी अन्यय व्यसक्ति पर किए गए मुकदमे में प्रतिवाद करना।
• इस अधिनियम के प्रवृत्त होने के बाद, कोई व्यिक्ति यदि किसी को बंधुआ मज़दूरी करने के लिए विवश करता है तो उसे कारावास और जुर्माने का दण्डई भुगतान होगा। इसी प्रकार, यदि कोई बंधुआ ऋण अग्रिम में देता है, वह भी दण्डई का भागी होगा।
• अधिनियम के तहत प्रत्येतक अपराध संज्ञेय और ज़मानती है और ऐसे अपराधों पर अदालती कार्रवाई के लिए कार्रवाई मजिस्ट्रेकट को न्याजयिक मजिस्ट्रेधट की शक्तियां दिया जाना ज़रूरी होगा।
सहरिया क्रांति आन्दोलन ने सहरिया मजदूरों को उनके हालात बदलने बड़ा अभियान छेडा हुआ है जिससे अब कोई नया परिवार बंधुआ मजदूर नहीं बन पा रहा है हाँ अपवाद स्वरूप कुछ मामले हो सकते हैं जो सामने आने पर सहरिया क्रांति उस पर भी काम करेगी