MP: हेरिटेज वाइन के नाम से बेची जायेगी महुआ से बनी देशी शराब, अवैध नहीं मानी जायेगी आदिवासियों को मिलेगा रोजगार, शिवराज सिंह का मंडला में ऐलान: रिंकू पंडित KTG समाचार शिवपुरी

मध्यप्रदेश में महुआ से बनी शराब 'हेरिटेज शराब' के रूप में बेची जाएगी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंडला में ऐलान करते हुए कहा कि एक नई आबकारी नीति आ रही है। महुए से अगर कोई भाई-बहन परंपरागत शराब बनाएगा, तो वो अवैध नहीं होगी।

MP: हेरिटेज वाइन के नाम से बेची जायेगी महुआ से बनी देशी शराब, अवैध नहीं मानी जायेगी आदिवासियों को मिलेगा रोजगार, शिवराज सिंह का मंडला में ऐलान: रिंकू पंडित KTG समाचार शिवपुरी
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हेरिटेज शराब के नाम से वो शराब की दुकानों पर भी बेची जाएगी। हम उसे भी आदिवासी की आमदनी का जरिया बनाएंगे। अगर कोई परंपरागत रूप से बनाता है, तो बेचने का भी अधिकार उसको होगा और सरकार बकायदा वैधानिक मानकर ये अधिकार देगी।

जल्द आएगी नई पॉलिसी
सरकार नई आबकारी नीति लाने जा रही है। जिसके बाद प्रदेश में महुए से बनी शराब को भी अधिकृत तौर पर दुकानों से बेची जा सकेगी। इसके लिए राज्य सरकार हेरिटेज वाइन पॉलिसी तैयार की है, जिसका प्रस्ताव बनाकर जल्द ही कैबिनेट की अनुमित ली जाएगी, ताकि अगले वित्तीय वर्ष से नई पॉलिसी को लागू किया जा सके। इस पॉलिसी से आदिवासी समुदाय के लोगों की आय के साथ रोजगा और सरकार की भी कमाई बढ़ेगी। मु्ख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसका मसौदा तैयार करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया है। सबकुछ सही रहा तो अप्रैल 2022 से यह पॉलिसी लागू भी हो जाएगी।

आदिवासी जिलों को छोड़ बैन है महुए से बनी शराब
अभी प्रदेश के आदिवासी जिलों को छोड़कर महुआ शराब का निर्माण और विक्रय प्रतिबंधित है, यही वजह है कि आबकारी और पुलिस विभाग के लिए महुआ शराब भी कमाई का एक माध्यम बना हुआ है। आदिवासियों से लेकर कलार और अन्य वर्ग बड़ी तादात में महुआ शराब के करोबार से जुड़ा हुआ है। आदिवासी समाज खुद महुआ शराब बनाता है और इसका सेवन करने के लिए 5 लीटर तक की अनुमति है, इसकी आड़ में ही वे चोरी-छिपे इसका अवैध करोबार भी करते हैं।

राजस्व बढ़ाने की कवायद
मंत्रालय भवन में प्रदेश में राजस्व प्राप्तियों की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आबकारी एक्ट के अंतर्गत ही हेरिटेज वाइन नीति को प्रस्तुत करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं, जिसके बाद सरकार आबकारी नीति में संशोधन कर शराब की परिभाषा में हेरिटेज वाइन भी जोड़ेगी। हालांकि, आदिवासी वर्ग को महुए से पांच लीटर तक देसी शराब बनाने के अधिकार को भी सुरक्षित रखा गया है। सरकार के इस निर्णय से एक ओर जहां शराब का अवैध उत्पादन और विक्रय रुकेगा, वहीं सरकार को हर साल करीब 300 करोड़ रुपये का राजस्व भी प्राप्त होगा।