नगरपरिषद सभापति ने कहा, प्रत्येक समाज करें पहल तो रूक सकती है आत्महत्याएं

नगरपरिषद सभापति ने कहा, प्रत्येक समाज करें पहल तो रूक सकती है आत्महत्याएं

नगरपरिषद सभापति ने कहा, प्रत्येक समाज करें पहल तो रूक सकती है आत्महत्याएं

विश्व आत्म हत्या रोकथाम दिवस पर गोष्ठी

बढ़ती हुई आत्महत्या को रोकने के लिए शहर में खुलेगा परामर्श केंद्र

नगरपरिषद और हृदय संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में खुलेगा परामर्श केंद्र

Ktg समाचार रिपोर्टर नरेश कुमार भोई डूंगरपुर राजस्थान

डूंगरपुर - "आत्महत्या करने वाला व्यक्ति जिस भी समाज का हो अगर उसे समाज संबल देवें तो शायद आत्महत्या करने वाला व्यक्ति आत्महत्या नहीं करे" ये बात शुक्रवार को नगरपरिषद सभापति अमृत कलासुआ ने विश्व आत्म हत्या निषेध दिवस पर गोष्ठी में कही। शुक्रवार को नगरपरिषद के सभापति कक्ष में सभापति की अध्यक्षता में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर एक गोष्ठी का आयोजन हुआ, जिसमें समाजसेवी रो. प्रकाश पंचाल, मनोचिकित्सक डॉ. अमृत गौसाई, शिक्षाविद विक्रम माखीजा, समाजशास्त्र व्याख्याता डॉ. प्रियंका चौबीसा, महिला पुलिस काउंसलर पूजा माखीजा, पार्षद जितेन्द्र भोई, भूपेश शर्मा, डायालाल पाटीदार, ब्रिजेश सोमपुरा और हृदय संस्थान सचिव नीता सोमपुरा "भारतीय" मौजूद रही। इस अवसर पर सभापति अमृत कलासुआ ने कहा कि वर्तमान युग में युवा पीढ़ी जो बेवजह अवसादो से ग्रसित होकर आत्महत्या जैसे कृत कर रहे है। इस युवा पीढ़ी तक समाज को पहुंचना होगा और परिवारजन से बात करके उनके अवसादों का कारण जानकर उसे संबल प्रदान करें। उन्होंने कहा कि आत्महत्या करना अपने आप से धोखा देने जैसा है, ये जीवन जो ईश्वर ने प्रदान किया है उस पर केवल व्यक्ति का ही अधिकार नहीं है बल्कि उस पर व्यक्ति से जुड़े परिवारजन और समाजजन का भी उतना ही अधिकार है। जीवन अनमोल है उसे आत्महत्या करके खोयें नहीं। जिले में लगातार बढ़ रही आत्म हत्या को रोकने के लिए नगरपरिषद और हृदय संस्थान जो सामाजिक कार्यो में अग्रणी रहता है दोनों के संयुक्त तत्वाधान में शहर में एक परामर्श केंद्र खोला जाएगा। जहां जिले के अवसाद ग्रस्त और तनावग्रस्त व्यक्ति को सही परामर्श दिया जायेगा एवं उसे जीने की राह दिखायी जायेगी। उन्होंने कहा कि हर आत्महत्या से पहले आत्महत्या करने वाला व्यक्ति कुछ ना कुछ संकेत जरूर देता है। ऐसा नहीं है कि हर आत्महत्या की कोशिश करने वाला व्यक्ति मरना ही चाहता है। असल में वह इस असमंजस में रहते हैं कि जीवन जीना चाहिए या नहीं, आत्महत्या का विचार आते ही उसको दूसरों के साथ साझा करने पर आत्महत्या करने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है।

व्यवहार पर नजर रखें

गोष्ठी में मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. अमृत कुमार गौसाई ने आत्महत्या के कारण व चेतावनी लक्षणों की जानकारी देते हुए कहॉ कि केवल मनोचिकित्सक या चिकित्सा विभाग के प्रयासों से ऐसी घटनाओं पर रोक लगाना संभव नहीं होगा। हर व्यक्ति को चाहिए कि वो अपने परिवार, पडौस या कार्यक्षेत्र पर ऐसे लोगो के व्यवहार पर नजर रखें। अगर कोई व्यक्ति उदास हैं, नींद नहीं आ रही है, थकान रहती है, अनिच्छा या नकारात्मकता से भरा रहता हैं तो ये डिप्रेशन हो सकता है। ऐसे में उसे तुरंत मनोचिकित्सक से मिलना चाहिए। नगरपरिषद और हदय सेवा संस्थान का ऐसे विषय पर गोष्ठी करना और परमर्श केंद्र खोलना ये मानव सेवा का एक नायाब उदाहरण है।

आर्थिक कारण न बने आत्म हत्या का कारण

समाजसेवी रो. प्रकाश पंचाल ने आत्महत्या के कारणों पर चर्चा करते हुए बताया कि अनेको बार आर्थिक परेशानियां अवसाद का कारण बनती हैं, जो आत्महत्या के विचार को जन्म देती है। ऐसे समय में लोगों की मदद करके उन्हें आर्थिक परेशानियों से उबारने की आवश्यक है। पंचाल ने कहा कि कोरोना काल के बाद बाजार में तो मंदी तो आयी है पर इसका असर आमजन पर भी पड़ा है,पर ऐसे समय में व्यक्ति को धैर्य का परिचय देना चाहिए,तनावग्रस्त व्यक्ति से परिवारजन और दोस्त लोग उसे सकारात्मक बाते करे और उसे मोटिवेट करे।

तात्कालिक गुस्से को त्यागे

शिक्षाविद विक्रम माखिजा ने कहा कि समाज के भिन्न भिन्न क्षेत्रों में आत्महत्या के अलग-अलग कारण होते है। जैसे विद्यार्थियों में, व्यवसायी में, प्रेमी युगल में, पुरुषों में, महिलाओं में तनाव, अवसाद एवं तात्कालिक गुस्सा कारण हो सकते है। अतः बाल्यावस्था से ही बालक को हार, उपेक्षा जैसी नकारात्मक व्यवहारों से विचलित ना होने की शिक्षा कि आवश्यकता है ताकि अवसाद उत्पन्न ही न हो। माखीजा ने कहा कि जीवन में कुछ पा नहीं सके तो वह अंत नहीं है,जीवन में समय एक जैसा नहीं रहता है,अगर ख़राब समय है तो अच्छा समय भी आएगा इसलिए संयम रखे।

सबसे बड़े रोग,लोग क्या कहेंगे उसको त्यागे

समाजशास्त्र विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका चौबीसा ने कहा कि आत्महत्या कोई व्यक्तिगत समस्या नहीं है, यह एक सामाजिक समस्या है जिसका निराकरण भी समाज के पास ही है। समाज के लोगों द्वारा इस समस्या के निराकरण हेतु अपने स्तर पर भी प्रयास किए जा सकते हैं। समाजशास्त्रीय दृष्टिकोण से देखा जाये तो किसी परेशान व्यक्ति को भावनात्मक सम्बल और सकारात्मक ऊर्जा देना भी उसे इस तरह की अनर्गल क्रियाओं से दूर कर सकता है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा रोग है कि लोग क्या कहेगे तो जो लोग ऐसा सोच रहे है तो वह आज ही इसको त्याग देवे क्योकि आपके परिवार का जीवन यापन करने के लिए लोग नहीं आएंगे। उन्होंने परामर्श केंद्र में अपनी सेवाएं देने की बात कही और कहा कि नगरपरिषद का ये सरहनीय प्रयास है। इस अवसर पर महिला पुलिस थाने की काउंसलर पूजा माखीजा ने कहा कि जनजाति क्षेत्र में प्रेमी युगलों को संरक्षण देने की जरूरत है। अगर वो बालिग है तो लड़का-लड़की के साथ-साथ उनके परिवार से भी समझाईश होनी चाहिए। पार्षद व समाजसेवी ब्रिजेश कुमार सोमपुरा ने जिले में बढ़ती आत्महत्या की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते परामर्श केंद्र खोलने हेतु नगर परिषद सभापति और आयुक्त नरपतसिंह राजपुरोहित का धन्यवाद अर्पित किया। पार्षद भूपेश शर्मा ने कहा कि स्कूल-कॉलेज में कानूनी जानकारी के साथ-साथ विद्यार्थियों को योग करवाने की जरूरत है। पार्षद डायालाल पाटीदार और जितेन्द्र भोई ने भी अपने विचार रखें। हृदय संस्थान सचिव नीता सोमपुरा ने महत्वपूर्ण सुझावों के लिए सभी का आभार व्यक्त किया।