पूर्व दर्जा राज्यमंत्री डॉ गणेश उपाध्याय ने भाजपा सरकार पर हठधर्मी दिखाने व किसानों के बकाया का भुगतान न करने का लगाया आरोप
रुद्रपुर...कॉन्ग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व दर्जा राज्यमंत्री डॉ गणेश उपाध्याय ने भाजपा सरकार पर हठधर्मी दिखाने व किसानों के बकाया का भुगतान न करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि कोरोना और आपदा काल में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद किसानों ने धान की पैदावार की है। परंतु सरकार द्वारा वर्तमान वित्तीय वर्ष में धान तौल का किसानों का 814 करोड़ रुपये के बकाए का भुगतान किया जाना है। उत्तराखंड में धान खरीद अक्टूबर दूसरे सप्ताह से शुरू होकर लक्ष्य के सापेक्ष लगभग 10.96 लाख मीट्रिक टन धान खरीद हो चुकी है। परन्तु नवम्बर माह से वर्तमान तक किसानों को भुगतान नहीं हो पाया है। सहकारिता विभाग ने सम्पूर्ण उत्तराखण्ड में सबसे अधिक 173 क्रय केंद्र खोले गए। जिसमें 06 दिसम्बर तक करीब 1.5 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की तौल की जा चुकी है। परन्तु भुगतान के नाम पर सरकार के पसीने छूट रहे हैं। सहकारिता विभाग पर किसानों का वर्तमान में 100 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य का भुगतान बकाया है। खाद्य विभाग ने वर्तमान में 5.25 लाख क्विंटल खरीद कर ली है। परन्तु 52 करोड़ का बकाया है। वहीं सर्वाधिक खरीद कच्चा आढ़तियों द्वारा की गई है जिसमें 7 लाख 85 हजार मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य था। जिसके सापेक्ष 8 लाख मीट्रिक टन धान खरीद कर दी है। कच्चा आढ़तियों द्वारा धान खरीद लक्ष्य से भी ज्यादा की जा चुकी है। यह सरकार की लक्ष्य निर्धारण नीति के अनुरुप कार्य की पारदर्शिता को संदेहास्पद बनाता है। जबकि सरकार पर प्रदेश के व्यापारियों का गत वर्ष का करीब 400 करोड़ रुपया बकाया है। सरकार धान खरीद का लक्ष्य बढ़ाने का प्रयास कर रही।
जबकि इतना धान उत्तराखंड में होता ही नहीं है। धान खरीद लक्ष्य बढ़ाना सरकार की मंशा पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। दलालों और बिचौलियों के हितलाभ के आगे भाजपा सरकार नतमस्तक है किसान अपने धान को पहले तो क्रय केंद्रों पर तुलवाने के लिए धक्के खाता है और उसके बाद भुगतान के लिए महीनों बाद भी चक्कर काट रहा है। डॉ० गणेश उपाध्याय ने कहा कि उनके द्वारा माननीय हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका में सरकार द्वारा किसानों का 1 सप्ताह के भीतर भुगतान किया जाने का शपथ पत्र दाखिल किया गया है। माननीय उच्च न्यायालय के निर्देशों की अवहेलना करते हुए भाजपा सरकार किसानों और आम आदमी को छलने का काम कर रही है। चुनावी घोषणाएं और शिगूफे से आम आदमी और किसानों का भला नहीं होने वाला। सरकार को अपनी कथनी और करनी में भेदभाव को बंद करना होगा। नहीं तो आम आदमी और अन्नदाता भाजपा सरकार को सबक सिखाने का काम करेंगे।