दोनों पैर टूट गये तडफता रहा युवक लोग बनाते रहे वीडियो ड्यूटी से लौट रही नर्स बनी फरिश्ता
महिला से पूछा आपका इस युवक से क्या रिश्ता है उस महिला ने बस इतना जवाब दिया इंसानियत का
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दोनों पैर टूट गये तडफता रहा युवक लोग बनाते रहे वीडियो ड्यूटी से लौट रही नर्स बनी फरिश्ता
KTG समाचार नीरज माहेश्वरी जिला प्रभारी
अलवर तड़पता रहा युवक लोग बनाते रहे वीडीयो दोनों पैर टूटे और सड़क से चिपक गया था मांस ड्यूटी से लौट रही नर्सिंगकर्मी फरिश्ता बन आई लोगों ने पूछा क्या रिश्ता है बोली इंसानियत का वह तड़प रहा था और लोग वीडियो बना रहे थे । उसके दोनों पैर टूट गए थे । पैर इतनी बुरी तरह से कुचल गया था कि मांस रोड पर चिपट गया था । उसकी ओर मदद का कोई हाथ नहीं बढ़ रहा था । पूरी भीड़ तमाशबीन थी । इसी भीड़ से फरिश्ता बनकर एक महिला सामने आई । उससे लोगों ने पूछा आपका इस युवक से क्या रिश्ता है । उस महिला ने बस इतना जवाब दिया इंसानियत का । वह अकेले ही घायल युवक को सहारा देने का प्रयास करने लगी । पर यह अकेले आसान नहीं था । खुद को असहाय महसूस करते हुए वह रोने लगी । 2 लोगों का दिल पसीजा और वह आगे आए । उस युवक को अस्पताल पहुंचाया जा सका । दरअसल यह पूरी कहानी अलवर शहर की है । अग्रसेन चौराहे के पास पुल पर बाइक सवार युवक को अज्ञात वाहन ने टक्कर मार दी । वह बुरी तरह घायल हो गया । दरअसल सबसे पहले मदद के लिए आगे आने वाली महिला का नाम आशा खेरिया है । वह शिशु अस्पताल में बतौर नर्सिंग स्टाफ तैनात हैं । आशा की जुबानी पूरी कहानी सोमवार दोपहर मैं शिशु अस्पताल से ड्यूटी कर घर लौट रही थी । अग्रसेन चौराहे के पास पुल पर देखा कि काफी भीड़ लगी है । कई लोग वीडियो बना रहे हैं । मैंने अपना स्कूटर रोका । देखा कि सामने घायल युवक तड़प रहा है । उसकी कोई मदद नहीं कर रहा । कोई अस्पताल ले जाने का प्रयास नहीं कर कर रहा है । मैंने वहां खड़े लोगों से मदद की गुहार लगाई । पर कोई सामने नहीं आ रहा था । मुझसे रहा नहीं गया । मैं रोने लग गई । अकेले मैं उसकी मदद करने की स्थिति में नहीं थी । इसके बाद 2 लोग आगे आए । उनकी मदद से युवक को अस्पताल लेकर पहुंचे । घायल युवक का नाम विष्णु गुप्ता है । वह सूर्यनगर का रहने वाला है । प्राथमिक उपचार के बाद विष्णु को जयपुर रेफर कर दिया गया । एएसआई की पत्नी व नर्सिंगकर्मी आशा खैरिया । इंसानियत बड़ा रिश्ता पता नहीं लोग किसी को मरते कैसे देख लेते हैं । इंसानियत बड़ा रिश्ता है । पैसा उतना महत्व नहीं रखता । किसी की जान बचेगी तो उसका परिवार बचेगा । आमजन को यह समझना चाहिए । एक्सीडेंट होने के बावजूद किसी को तड़पता देखने की बजाय उसकी मदद करनी चाहिए । घायल को अस्पताल ही तो भिजवाना होता है । फिर भी लोग दूरी बना कर वीडियो बनाने में लग जाते हैं । यह बेहद शर्मनाक बात हैं । मैं सबसे हाथ जोडकर अपील करती हूं कि ऐसे मौके पर किसी की जान बचाएं । वीडियो बनाने से किसी का भला नहीं हो सकता । आशा की कहानी घायल को अस्पताल लेकर पहुंची आशा से उसका परिचय पूछा गया । उन्होंने बताया कि मेरे पति बंशीधर पुलिस में एएसआई थे । वर्ष 2014 में उनका बुर्जा के पास एक्सीडेंट हो गया था । मेरी कोई मदद करने नहीं आया था । जैसे तैसे करके मैंने पति को अस्पताल पहुंचाया । तब तक उनका बहुत अधिक खून निकल चुका था । वे बच नहीं पाए । मैं समझती हूं । अपने के जाने के बाद परिवार पर क्या गुजरती है । किसी की पत्नी तो किसी की मां व भाई इंतजार करता है । लोग तमाशबीन बने रहेंगे तो जान कैसे बचेगी ।