शिवपुरी:जिन अधिकारिओं के दफ्तरों के चक्कर लगाकर सुनबाई नहीं बो अब दिखाने के लिए नेताओं के साथ विकाश यात्रा में शामिल हो रहे हैं।

सीवर गड्ढा खाली करवाने के लिए 5 दिन से नगर पालिका अधिकारिओं के पीछे फिर रहें हैं अमन सक्सेना।

शिवपुरी:जिन अधिकारिओं के दफ्तरों के चक्कर लगाकर सुनबाई नहीं बो अब दिखाने के लिए नेताओं के साथ विकाश यात्रा में शामिल हो रहे हैं।

जिन अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर लगाते जनता थक जाती है वो अब दिखावा कर नेताओं के साथ विकाश यात्रा में चल रहे हैं।  

 

सीवर गड्ढा खाली करवाने के लिए 5 दिन से नगर पालिका अधिकारिओं के पीछे फिर रहें हैं अमन सक्सेना।

घर ग्रस्ति के हर काम में आप कॉम्प्रोमाइज कर सकते हैं लेकिन बिना सॉच के रहना एक दिन भी गवारा नहीं हो सकता। आप बिना खाए बिना नहाए बिना बिजली के कुछ दिन रह सकते हो परंतु बिना सौच के एक दिन नहीं रहा जाता। अब इस बात को कर्मचारियों को कोन समझाए। कर्मचारी और अधिकारियों को तो बस अपनी मनमानी करनी है। एक बार के आदमी तो कहीं भी जाकर कॉम्प्रोमाइज कर सकता है परंतु घर की ओरतों का क्या होगा जिनका सीबर लाइन का गड्ढा भर गया है और बार बार आवेदन देने पर सफाई नहीं हो रही हो। अमन सक्सेना पिता राकेश कुमार श्री राम कॉलोनी  ने बताया की मैने 4 दिन पहले यानी 5 दिन से आवेदन देकर उसपर खाना पूर्ति करा कर। कोड़े साहब के दप्तर जा रहा हूं । पहले दिन मुझसे बोला गया साहब विकाश यात्रा में गए हैं। दूसरे दिन कहा 1 बजे से पहले आना। तीसरे दिन कर्मचारी हड़ताल पर हैं। चौथे दिन जब कोड़े साहब मिले तो इनका जवाब कुछ एक्सक्यूज भरा हुआ सा लगा की टैंकर को ले जाने वाला टैक्टर खराब है। कल आना जब दूसरे दिन पहुंचे तो दप्तर में ताला डला पाया। कर्मचारीयों की ऐसी लापरवाही दे रही है बीमारियों को न्यौता दे । साथ ही अमन सक्सेना ने कहा हमसे आस पड़ोस वाले भी लड़ते हैं की तुम अपने गड्डे को साफ कराओ बदबू से बुरा हाल है और हमारे घर की महिलाएं भी बहुत परेशानी का सामना कर रही हैं। जब मैने सीएमओ साहब से मिलने की कोशिश की तो हर बार ऑफिस पर ताला डला पाया। जब मैने दप्तर समय 3 बजे 16/2/23 को सीएमओ साहब को फोन लगाया तो फोन नहीं उठाया। प्रार्थी अपना काम कराने के लिए कोड़े साहब के पीछे फिर रहा है और साहब विकाश यात्रा में, अब आप ही बताइए कोन सी विकाश यात्रा में है साहब। अगर सरकार अधिकारी और कर्मचारियों को सक्ति बरतने को बोलती और दप्तरों में ही सबकी सुनबाई हो जाती तो विकाश यात्राओं की जरूरत ही नहीं पड़ती।