भारत सनातन हिन्दू राष्ट्र और हम सब भारतीय है उसके अंगभूत घटक
अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना की व्याख्यानमाला में संघ के संगठन सचिव बालमुकुंद पांडे द्वारा व्यक्त उदगार
भारत सनातन हिन्दू राष्ट्र और हम सब भारतीय है उसके अंगभूत घटक
अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना की व्याख्यानमाला में संघ के संगठन सचिव बालमुकुंद पांडे द्वारा व्यक्त उदगार
KTG समाचार लखन दास बैरागी देवास मध्य प्रदेश
देवास। विचार यज्ञ अच्छी बातो को कहने और बुरी बातो को बातचीत के माध्यम दूर करने का रास्ता है। भारत में सद्विचारों का प्रवाह प्राचीन काल से चला आ रहा है। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना अन्तर्गत मल्हार स्मृति सभागार में आयोजित व्याख्यानमाला के द्वितीय दिवस उक्त उद्गार मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठन सचिव, प्रचारक श्री बालमुकुंद जी पांडे ने व्यक्त किये।
व्याख्यान माला में श्री बालमुकुंद पांडे ने वर्तमान में प्रासंगिक सारगर्भित विचार प्रकट करते हुए कहा कि रामायण एवं श्रीमद्भगवद्गीता आदि धर्मग्रन्थों में अच्छी बातो का विवरण है। अच्छी बातो से विषय के मूलतत्वों की जानकारी मिलती है। विद्या में विवाद नहीं होना चाहिए, प्राचीन काल से भारत में विद्या का विषय कभी विवादित नहीं रहा। परन्तु हमारे देश में विद्या में विवाद को वामपंथियों ने बढ़ावा दिया। विद्या में विवाद कम्युनिस्टों का विषय है भारतीयों का नहीं। स्वयं को जानने का यंत्र है स्वयं का मन। गुरु के चरणों में जाने व्यक्तित्व अहंकार शून्य होता है, तभी हमारा मन शुद्ध होता है। सनातन धर्म के ऋषि-मुनि सदैव अच्छी बाते कहते रहे है -अच्छाई देखते रहे। हमारे भारतवर्ष की अच्छी विशेषता मानवता है और मानवता की अच्छाई हिंदुत्व में निहित है। हमें हिंदुत्व की अनुभूति करने की आवश्यकता है। राष्ट्र कहने पर स्वाभिमान का भाव जागृत होता है। संस्कृति के प्रति श्रद्धा का भाव होता है। भारत एक राष्ट्र है, क्योंकि यहां भूमि को माता कहा जाता है। राष्ट्र की परिकल्पना भूमि की सीमाओं में व्यक्त नहीं की जा सकती है राष्ट्र एक आध्यात्मिक इकाई है। जहां त्याग है,समर्पण है वह राष्ट्र है। भारत एक हिन्दू राष्ट्र है। संघ की प्रार्थना में हम कहते है कि हम सब भारत के निवासी, हिन्दू राष्ट्र के अंगभूत घटक है। कई विचारणीय उदाहरण देते हुए श्री पांडे ने कहा कि भारत सनातन राष्ट्र है। महाभारत के भीष्म पर्व में संजय ने 27 श्लोकों में 283 जनपदों का वर्णन किया है, जिसमे भारत राष्ट्र के स्वरूप दिखाई देता है। भारत राष्ट्र का निर्माण शंकराचार्य जैसे महापुरुषों ने पैदल यात्राएं कर किया है।
भारतीय सभ्यता के चार स्तंभ है-शंकराचार्य निश्चलानंद जी
व्याख्यान माला में पूरी के शंकराचार्य श्री निश्चलानंद जी ने कहा है कि भारत की राष्ट्रीय सभ्यता के चार स्तम्भ है वेशभूषा-भोजन-भाषा और भार्या। इन चार स्तंभों पर अंग्रेजो ने अतिक्रमण करते हुए इन्हे नष्ट करने का प्रयास किया है। विश्व को वस्त्र पहनने का ज्ञान भारत ने दिया है। भारतीय वेशभूषा परिस्थितियों, मौसम और समारोह के अनुकूल होती है। दुसरा आघात हमारे खान पान पर हुआ है। अशुद्ध खान पान से शरीर दूषित हो रहा है। महामना श्री मदनमोहन मालवीय जी ने कहा है कि प्रत्येक गाँव में चार शालाये होनी चाहिए - गौशाला-पाठशाला-मल्लशाला और यज्ञशाला। यह सौभाग्य की बात है की नई शिक्षा नीति में इन चार बातो का समावेश किया जा रहा है। इन विषयो पर सदैव चिंतन और आत्मविश्लेषण होते रहना चाहिए। 2047 में भारत को महाशक्ति बनाने हेतु समाज की सज्जन शक्ति को जगाना होगा एवं समाज में समरसता का वातावरण निर्मित करने की आवश्यकता है। कार्यक्रम संचालन विमल अग्रवाल ने किया। अतिथि परिचय नगेन्द्र सिंह पंवार ने एवं आभार सुरेश राठौर ने ने व्यक्त किया।