ग्राम पंचायत राजोदा के सरपंच पद की मतों की पुनर्गणना एवं अंतिम घोषणा स्थगित किए जाने हेतु लगाई याचिका
दिनांक 1 जून को मतदान प्रक्रिया सम्पन्न होने के बाद इसी दिनांक को मतगणना आरंभ की गई। जिसमें प्रत्यर्थी सत्यनारायण चौधरी को अवैधानिक तरीके से अधिक मत प्राप्त होना दर्शाया गया। मतगणना त्रुटिपूर्ण होने पर याचिकाकर्ता द्वारा मतगणना स्थल पर ही एक आवेदन देकर रिटर्निंग ऑफिसर को देते हुए पुर्नगणना की मांग की गई।
KTG समाचार आरिफ खान देवास मध्यप्रदेश
देवास। ग्राम पंचायत राजोदा के सरपंच पद की मतों की पुनर्गणना एवं अंतिम घोषणा स्थगित किए जाने हेतु ग्राम पंचायत सरपंच अभ्यर्थी विनोद चौहान ने सत्यनारायण चौधरी, विशाल पाटीदार, प्रवीण चौधरी, ज्योति ठाकुर, सुरेन्द्र सिंह चौहान, दिनेश परमार, रिटर्निंग आफीसर मप्र पंचायत निर्वाचन सभी निवासी ग्राम राजोदा के विरूद्ध न्यायालय सम्मानीय विहित प्राधिकारी (पंचायत निर्वाचन) एवं अनुविभागीय अधिकारी के समक्ष याचिका लगाई है। याचिकाकर्ता ने अपनी शिकायत में बताया कि मप्र निर्वाचन आयोग द्वारा मप्र पंचायत निर्वाचन संबंधित अधिसूचना जारी किए जाने के उपरांत मप्र राज्य में विभिन्न चरणों में मतदान सम्पन्न हुए। द्वितीय चरण में राजोदा तहसील व जिला देवास का निर्वाचन सम्पन्न हुआ। दिनांक 1 जून को मतदान प्रक्रिया सम्पन्न होने के बाद इसी दिनांक को मतगणना आरंभ की गई। जिसमें प्रत्यर्थी सत्यनारायण चौधरी को अवैधानिक तरीके से अधिक मत प्राप्त होना दर्शाया गया। मतगणना त्रुटिपूर्ण होने पर याचिकाकर्ता द्वारा मतगणना स्थल पर ही एक आवेदन देकर रिटर्निंग ऑफिसर को देते हुए पुर्नगणना की मांग की गई। परंतु राजनीतिक द्वेषता की भावना से याचिकाकर्ता के आवेदन को अवैधानिक तरीके से गणना स्थल पर निरस्त कर दिया गया। जबकि याचिकाकर्ता के मतदान अभिकर्ता एवं गणन अभिकर्ता पंकत, रवि, राकेश, विरेन्द्र, दीपक, संजय, योगेन्द्र आदि ग्रामीणों ने मतगणना स्थल पर मौजूद होकर जो पीठासीन अधिकारी द्वारा टीप अंकित की गई है उस समय तक उक्त मतदान केन्द्र पर कोई रिकार्ड लिफाफे में सील बंद नही हुआ था तथा सभी मतपत्र खुले हुए रखे थे। किसी भी अभिकर्ता के हस्ताक्षर सील बंद मोहर पर नही हुए थे, परंतु रिटर्निंग अधिकारी द्वारा पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर याचिकाकर्ता की पुनर्गणना की मांग को अवैधानिक तरीके से अस्वीकार करते हुए याचिकाकर्ता के वैधानिक अधिकारों का उल्लंघन किया गया। मतगणना के दौरान जो रिजेक्ट मत थे उन्हे याचिकाकर्ता के अभिकर्ताओं को 10 फिट दूरी से दिखाकर रिजेक्ट किए गए है। रिजेक्ट होने के बाद मामला तुल पकड़ने लगा। तब वहां उपस्थित पीठासीन अधिकारी ने निर्वाचन अधिकारी को बुलाया। जब निर्वाचन अधिकारी ने स्वयं मतगणना की तो विजेता सत्यनारायण चौधरी की मतपेटी में से दो मतपत्र याचिककर्ता विनोद सिंह चौहान के निकले। जब निर्वाचन अधिकारी को गड़बड़ी का शक हुआ तो वे पुन: मतगणना का आश्वासन देकर मतपेटी अपने साथ कार्यालय ले गए। ऐसी स्थिति में समस्त मतो का पुनर्गणना की जाना न्यायहित आवश्यक है। मौके पर विवाद की स्थिति निर्मित होने पर माननीय अधिकारी स्वय मय दल बल के उपस्थित हुए थे तथा उनके द्वारा स्वयं पोलिंग बूथ 150 के प्रत्यर्थी क्रमांक 1 सत्यनारायण प्राप्त मतो की जाँच की गई तो प्रत्यर्थी सत्यनारायण को प्राप्त मतों में चार मत याचिकाकर्ता के निकले, जिससे यह स्पष्ट है कि मतदान दल द्वारा प्रत्यर्थी सत्यनारायण चौधरी जो कि स्थानीय विधायक की समाज का है उसके प्रभाव एवं राजनैतिक दबाव में आकर त्रुटिपूर्ण तरीके से उसे अवैध लाभ पहुंचाने की नियत से जान बूझकर त्रुटिपूर्ण मतगणना की गई। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि याचिका स्वीकार की जाकर ग्राम पंचायत राजोदा के सरपंच पद हेतु समस्त मतों की पुर्नगणना की जाकर पुर्नगणना के उपरांत अंतिम परिणाम आने की तत्संबंधि आगामी समस्त कार्यवाही, प्रभार का प्रदान किया जाना आदि स्थगित किए जाने के आदेश दिए जाए।