लोक समाज पार्टी द्वारा निजीकरण व बेरोजगारी के खिलाफ जनजागरण अभियान के तहत मिर्जापुर जिला के अन्तर्गत गांव भटेवरा में नुक्कड़ सभा हुईं।

लोक समाज पार्टी द्वारा  निजीकरण व बेरोजगारी के खिलाफ जनजागरण अभियान के तहत मिर्जापुर जिला के अन्तर्गत गांव भटेवरा में नुक्कड़ सभा हुईं।

KTG समाचार नरेन्द्र कुमार विश्वकर्मा, सुलतानपुर, उत्तर प्रदेश। 

मिर्जापुर- 8 जून 2022 को मिर्जापुर जिले के गांव भटेवरा में बेरोजगारी और निजीकरण के खिलाफ लोक समाज पार्टी मिर्जापुर इकाई ने एक बैठक की जिसमें पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष श्री आद्या प्रसाद शर्मा ने अध्यक्षता की तथा पार्टी के वरिष्ठ नागरिक प्रकोष्ठ के महासचिव डॉक्टर मुरलीधर विश्वकर्मा, एडवोकेट जय कुमार शर्मा, राम विनय शर्मा,विनय कुमार मिश्रा, रमेश श्रीवास्तव,रामबाबू,तेज बहादुर विश्वकर्मा, विवेक कुमार, रमेश सिंह,ननकू सिंह घनश्याम,श्यामा देवी,कमला देवी गीता सहित दर्जनों लोग शामिल हुए, इस मौके पर लोक समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष गौरी शंकर शर्मा ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा निजीकरण सही मायने में बेरोजगार की एक जननी है क्योंकि जब सरकारी संपत्तिया निजी लोगों के हाथ में जाती हैं तो निजी प्रबंधक कम से कम कर्मचारी रखने का प्रयास करते हैं और जिसके कारण लोगों की चटनी से कर्मचारी बेरोजगार हो जाते हैं।

     यही नहीं सरकारी उपक्रम में जो पद खाली होते हैं जा रहे हैं उसको भारत सरकार या कोई राज्य सरकार पिछले कई सालों से भरने का प्रयास नहीं की है क्योंकि उनका इरादा सरकारी संपत्तियां जो बची हुई है उनको निजी करण में देना है जिससे निजी लोग कम से कम लोगों को रखें।देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2014 के चुनाव के संदर्भ में हमेशा बेरोजगारी के खिलाफ देश के युवकों को झांसा देते रहे और जब चुनाव जीत गए तो बेरोजगारी का पहला अक्षर बा भी बोलने को तैयार नहीं है

    1993 के पहले जब भी भारत सरकार का बजट पेश होता था जो भारत सरकार हर साल बजट पास करते समय एकसे लेकर के तीन चार कारखाने हर साल लगवाने का बजट का प्रावधान करती थी घोषणा के तीन-चार साल के अंदर में वह सरकारी कारखाने लग कर तैयार हो जाते थे जिसमे देश के बेरोजगार नौजवानों को हजारों लाखों की संख्या में रोजगार मिलते थे लेकिन मंडल कमीशन 1990 में लागू करने के बाद सत्ता में रहे पार्टियां और नौकरशाह जो सामंतवादी सोच के हैं वे नहीं चाहते हैं देश में बराबरी का रास्ता हो और जो पिछले कई दशक से गैर बराबरी की बढ़ती जा रही हो उसको कम किया जा सके या मिटाया जा सके।उसी के तहत ये लोग सरकारी कारखाना उद्योग धंधे लगाना बंद कर दिए और जिसका कारण बेरोजगारी का बढ़ना है। लोक समाज पार्टी का मानना है अगर बेरोजगारी को रोकना है तो भारत सरकार को निजी करण का प्रक्रिया जो जारी रखी है उसको रोकना पड़ेगा , और रोकी गई सरकारी औद्योगिकीकरण को फिर से चालू करना पड़ेगा।हालांकि मोदी सरकार और कांग्रेस पार्टी में गुप्त समझौता हुआ है कि देश की सारी संपत्ति बेची जाए जिससे पूरे देश में एक कारपोरेट घरानों का राज्य चलाया जा सके,जिसके तहत मोदी सरकार बहुत हद तक सफल भी हो चुके हैं ।निजीकरण की नीव नरसिंहराव सरकार ने डाला था और अटल बिहारी बाजपेई ने शुरू किया उसके बाद मनमोहन सरकार ने जारी रखा था जब नरेंद्र मोदी की सरकार 2014 में सत्ता ट्रांसफर हुई तो भी उसके बाद कांग्रेस पार्टी या उसकी सहयोगी पार्टियां एक भी बार निजीकरण के खिलाफ ठेकेदारी के खिलाफ विरोध नहीं कि इससे यह स्पष्ट होता है कि कांग्रेस,भारतीय जनता पार्टी और नया पार्टी का नेता केजरीवाल तीनों की मंशा देश को कॉरपोरेट घरानों को उसी तरह सौंपने की हैं जिस तरह इस्ट इंडिया कम्पनी को मुगल शासक ने सौंपा था।

      इनके विपरीत लोक समाज पार्टी का मानना है कि अटल बिहारी बाजपेई से लेकर के नरेंद्र मोदी जी तक जिन सरकारी संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण किया गया है निजीकरण किया गया है उन सभी का राष्ट्रीयकरण कर दिया जाएगा जिससे देश के बेरोजगार युवकों को सरकारी नौकरी करने का अधिकार प्राप्त इसी के तहत जो परमानेंट रहेंगे उसको कभी भी ठेके पर नहीं दिया जाएगा और यही नहीं जो पद पिछले कई सालों से केंद्र सरकार और राज्य सरकार खाली रखी है उनको शीघ्र अति शीघ्र भरा जाएगा और 1992 से बदनियती से रोकी गई औद्योगिकीकरण को पुनः चालू किया जाएगा जिससे बेरोजगारी पर यथासंभव लगाया जा सके यही लोक समाज पार्टी का एक लक्ष्य है।