जिले में हर रोज सामने आ रहे हैं दुरूस्ती प्रकरण, ग़रीब, अनपढ़ लोग नहीं समझ पाते क्या है दुरुस्ती, दर दर भटक रहे हैं ग़रीब जनता बाबुओं के पीछे।
पटवारी जी एक गलती ग़रीब, किसान, आदिवासी, नासमझ लोगों को साहब लोगों के दप्तर के चक्कर लगवा रही है। साथ बार- बार आर्थिक रूप से कमजोर हो रहे हैं प्रार्थी।
खबर शिवपुरी जिले से आ रही है=
शिवपुरी: जिले में हर रोज सामने आ रहे हैं दुरुस्ती प्रकरण जनता नहीं समझ पा रही आखिर क्या है यह दुरुस्ती प्रकरण। सालों से डली है फाइल दफ्तरों में। दर-दर भटक रहे हैं लोग बाबुओं के पीछे। कार्यवाही के नाम पर बस गुमराह। और तारिक पर तारिक। जहां जाओ बहा जनता का शोषण। आखि़र कहां जाए जनता। सीएम हेल्प लाइन पर भी कोई सुनवाई नहीं। कलेक्ट्रेट ही आख़िरी उम्मीद। जो पड़े लिखे समझदार लोग हैं बो तो फ़ाइल बनवा कर वकील के द्वारा पेश कर देते हैं परन्तु उनकी फ़ाइल भी सालों से लटकी पड़ी है और जो ग़रीब, आदिवासी, अनपढ़ हैं बो दप्तरों में चक्कर लगाते रहते हैं।: शिवपुरी से रिंकू पंडित की रिपोर्ट ktg समाचार मधयप्रदेश
विस्तार से समझते हैं आखिर क्या है यह दुरुस्ती प्रकरण वास्तव में जब 2012 में पटवारियों की नई भर्ती हुई तब योग्यता के अनुसार उन्हें ऑफलाइन से दस्तावेज ऑनलाइन सरवाना था जो नए पटवारी थे बे उन्हें कंप्यूटर का ज्ञान था परंतु जो पुराने पटवारी थे उन्हें कंप्यूटर का ज्ञान नहीं था और प्रकरण को चढ़ने के लिए ऑनलाइन शॉप पर ठेके से देने का काम हुआ अतः ठेके वाले ने काम जल्दी करने के चक्कर में इसकी फाइल उसकी नाम कर दी इसका प्रकरण दूसरे के नाम दर्ज कर दिया ऐसी कुछ गलतियां के कारण आज तुलसी प्रकरण लगातार सामने आ रहे हैं जनता काफी परेशान हो रही है जिसकी कोई सुनवाई नहीं है हर दफ्तर में जनता से पैसे आते जाते हैं पर काम के नाम पर उन्हें बस आश्वासन ही दिया जाता उनकी आखिरी उम्मीद बस कलेक्ट्रेट कार्यालय ही बची है क्योंकि सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज करवाने पर मैडम बोलती हैं कि हम एसडीएम कार्यालय से संबंधित शिकायत दर्ज नहीं करते आप जिले के वरिष्ठ अधिकारी से शिकायत करें। ऐसा ही एक पत्रण आज सामने आया है जो पिछोर तहसील के ग्राम खटेला से है प्रार्थी मुकेश आदिवासी माता संता आदिवासी का है जो कलेक्ट्रेट में जनसुनवाई में आवेदन देने आय है।