सचिव व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सुलतानपुर द्वारा जिला कारागार का किया गया निरीक्षण।

जिला कारागार में विधिक साक्षरता शिविर का हुआ आयोजन।

सचिव व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सुलतानपुर द्वारा जिला कारागार का किया गया निरीक्षण।

KTG  समाचार नरेंद्र कुमार विश्वकर्मा सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश।  

सुलतानपुर- 27 जनवरी/मा0 राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई, दिल्ली एवं मा0 राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ के निर्देशानुसार तथा जनपद न्यायाधीश/अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सुलतानपुर श्री संतोष राय के आदेशानुसार गुरूवार को सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सुलतानपुर श्री शशि कुमार द्वारा कारागार का मासिक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान महिला बैरकों सहित कारागार में स्थापित लीगल एड क्लीनिक का भी निरीक्षण किया गया। इसके अतिरिक्त जिला कारागार में एक विधिक साक्षरता/जागरूकता शिविर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। उक्त कार्यक्रम में अधीक्षक जिला कारागार सतीश कुमार पी0एल0वी0 एवं अन्य कारागार स्टाफ भी उपस्थित रहे। इनके अतिरिक्त जिला कारागार में निरूद्ध बन्दी भी उपस्थित हुए, सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सुलतानपुर द्वारा बन्दियों की समस्याओं को सुना गया और उनकी समस्याओं का समाधान भी किया गया। साथ ही कोविड-19 की तीसरी लहर को दृष्टिगत रखते हुए कोविड-19 की महामारी के बचाव के लिये उ0प्र0 सरकार एवं भारत सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश का अनुपालन करते हुए मास्क, उचित दूरी और सेनेटाइजर का नियमित प्रयोगों से अवगत कराया गया। 

    "एक मुठ्ठी आसमाः लोक अदालत, समावेशी न्याय व्यवस्था।" 

एक मुठ्ठी आसमाः- थीम गरीबों तथा समाज के हाशिए पर रहने वाले वर्गों के लिये भरोसा, दृढ निश्चय तथा आशा का प्रतीक है। विधिक सेवा प्राधिकरणों का गठन समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त एवं सक्षम विधिक सेवाओं को प्रदान करने के लिये किया गया है, ताकि आर्थिक कमजोर या किसी भी अन्य कारणों से कोई भी नागरिक न्याय पाने से वंचित न रहे तथा लोक अदालत का आयोजन करने के लिये किया गया है, जिससे कि न्यायिक प्रणाली समान अवसर के आधार पर सबके लिये न्याय सुगम बना सके। लोक अदालत कानूनी विवादों का सुलह भावना से बाहर समाधान करने वैकल्पिक विवाद निष्पादन का अभिनव तथा सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम है, प्रक्रिया को अपनाती है तथा विवादों को अविलम्ब निपटारा करती है। इसमें पक्षकारों को कोई शुल्क भी नहीं लगता है। लोक अदालत से न्यायालय में लंबित मामले का निष्पादन होने पर, पहले से भुगतान किये गये अदालती शुल्क को भी वापस कर दिया जाता है।

लोक अदालत का आदेश/फैसला अंतिम होता है, जिसके खिलाफ अपील नहीं की जा सकती। लोक अदालत से मामले के निपटारे के बाद दोनों पक्ष विजेता रहते हैं तथा उनके निर्णय से पूर्ण संतुष्टि की भावना रहती है, इसमें कोई भी पक्ष जीतता या हारता नहीं है। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण ने जन-जन के दर तक न्याय की इस तीव्रतर प्रणाली को पहुँचाया है और अदालतों का बोझ बड़े पैमाने पर घटाया है। वर्ष 2021 में आयोजित की गई राष्ट्रीय लोक अदालतों में, एक करोड़ पचीस लाख से अधिक मामलों का निपटारा किया गया है।