महाकाल मंदिर 17 महीने बाद भस्म आरती में जयकारों से गूंजा. शनिवार को भस्म आरती में 696 भक्त शामिल हुए. प्रशासन ने आज से भस्म आरती में श्रद्धालुओं को प्रवेश की अनुमति दे दी.
उज्जैन नगरी का महाकाल मंदिर 17 महीने बाद भस्म आरती में जयकारों से गूंजा. शनिवार को भस्म आरती में 696 भक्त शामिल हुए.
KTG समाचार शेखर परमार उज्जैन मध्यप्रदेश
सुबह 4 बजे मंदिर के पट खुलने के साथ ही लोगों को प्रवेश दे दिया गया. गेट नंबर 4 से आम श्रद्धालु और गेट नंबर 5 से प्रोटोकॉल वाले श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया. सभी के अनुमति पत्र को चेक करने के लिए मंदिर समिति ने प्रवेश द्वार पर ही व्यवस्था की थी. हालांकि, 1000 भक्तों के प्रवेश और बैठने पर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन पर्याप्त रूप से नहीं हो सका. भीड़ को इक्क्ठा करके छोड़ा गया, जिससे एक कतार में भक्त गणेश मंडपम और कार्तिकेय मंडपम तक पंहुचे.
नहीं दी जल चढ़ाने की अनुमति
महाकाल मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल ने बताया की भस्म आरती में भक्तों का उत्साह देखने लायक था. 50 प्रतिशत क्षमता के साथ श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया गया. शनिवार को हुई भस्म आरती में 696 लोगों को अनुमति दी गई. किसी भी श्रद्धालु को गर्भ गृह में जाकर जल चढ़ाने की इजाजत नहीं दी गई. सुबह 4 बजे श्रद्धालुओं के महाकाल मंदिर में प्रवेश करते ही परिसर जयकारों से गूंज उठा.
कबसे था इस पल का इंतजार
दर्शन करने आए भक्त आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि प्रशासन की व्यवस्था अच्छी थी. बीते डेढ़ साल से मैं इस पल का इंतजार कर रहा था. जयपुर के श्रद्धालु अशोक मेहता ने कहा कि पहले मैं साल में दो बार भस्म आरती में शामिल होता था, लेकिन कोविड के चलते सब बंद हो गया था. आज मनोकामना पूर्ण हो गई. मैंने भगवान की आरती देखी. भोपाल की मोनिका गुप्ता ने बताया कि मंदिर प्रशासन की व्यस्था शानदार थी. सुगमता से दर्शन हो सके.
गौरतलब है कि 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में भस्म आरती के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगना अल सुबह से ही शुरू हो गया था. बाबा महाकाल को सभी पंडे-पुजारियों ने नियम अनुसार जल चढ़ाया. उसके बाद दूध, घी, शहद, शकर व दही से पंचामृत अभिषेक किया.अभिषेक के बाद बाबा का श्रृंगार कर भगवान महाकाल को भस्म रमाई गई. करीब 1 घण्टे चली भस्म आरती के बाद बाबा का चंदन, फल, व वस्त्र से विशेष श्रृंगार किया गया.