कोर्ट कमिश्नर की टीम ने किया शहर में निरीक्षण देवास में शिप्रा नदी को प्रदूषित कर रही कंपनियां

कुछ कंपनियां रात्रि के समय केमिकल युक्त पानी नागधम्मन नाले में छोड़ती है। यही पानी आगे जाकर शिप्रा नदी में मिलता है। फिलहाल बारिश का समय चल रहा है जिसके चलते टीम आगामी दिनों में एक बार और यहां निरीक्षण करने पहुंचेगी।

कोर्ट कमिश्नर की टीम ने किया शहर में निरीक्षण देवास में शिप्रा नदी को प्रदूषित कर रही कंपनियां

                 KTG समाचार आरिफ खान देवास मध्यप्रदेश

देवास नदी में प्रदूषण युक्त पानी छोड़ने को लेकर पर्यावरण प्रेमी और उज्जैन के संत भी कई बार आवाज उठा चुके है। बावजूद इसके शिप्रा नदी में प्रदूषण नहीं रुक पाया है। पिछले दो दिनों से एनजीटी की नोडल एजेंसी कोर्ट कमिश्नर टीम द्वारा देवास में उद्योगों का निरीक्षण कर रही है। टीम द्वारा शहर के कंपनियों में स्थित केमिकल ट्रीटमेंट प्लांट देखे गए। साथ ही टीम के सदस्यों द्वारा शिप्रा नदी सहित उसमें मिलने वाली सहायक नदी व नाले भी देखे गए है। फिलहाल टीम द्वारा कंपनियों से चर्चा कर विभिन्न प्रकार के सैंपल लिए है। हवनखेड़ी क्षेत्र में भी टीम द्वारा निरीक्षण किया गया। जहां ग्रामीणों ने भी नदी में केमिकल छोड़ने की बात कही है। ग्रामीणों के बयान पर टीम द्वारा एक पंचनामा भी बनाया गया है। टीम द्वारा नगर निगम का सिवरेज प्लांट भी चेक किया गया है।

याचिकाकर्ता सचिन दवे ने बताया कि निरीक्षण करने पहुंची टीम द्वारा यह बात भी स्वीकार की गई है कि कुछ कंपनियां रात्रि के समय केमिकल युक्त पानी नागधम्मन नाले में छोड़ती है। यही पानी आगे जाकर शिप्रा नदी में मिलता है। फिलहाल बारिश का समय चल रहा है जिसके चलते टीम आगामी दिनों में एक बार और यहां निरीक्षण करने पहुंचेगी

मामले में पीटीशन लगाने वाले सचिन दवे ने बताया कि शिप्रा नदी में फैले प्रदूषण को लेकर दिसंबर में एनजीटी में एक याचिका लगाई थी। शिप्रा प्रदुषण मुक्त हो, इसके लिए एनजीटी ने 20 अप्रैल को एक आर्डर दिया था। जिसमें एनजीटी ने नोडल एजेंसी बनाई थी और उसके बाद चार कलेक्टर से रिपोर्ट मांगी थी। जिसमें इंदौर, देवास, रतलाम और उज्जैन शामिल है। कलेक्टर की रिपोर्ट गलत थी, ऐसा एनजीटी ने माना, इसलिए कलेक्टर की रिपोर्ट को वेरिफाई करने के लिए कोर्ट कमीशनर नियुक्त किया गया। जिसमें सेंट्रल से एडवोकेट और सेंट्रल पीसीबी के अधिकारी कोर्ट एनजीटी ने नियुक्त किए, वह टीम चारों जिलों में घूम रही है।

इसके चलते बुधवार को देवास के अंदर टीम आई है। लगभग आठ विभागों के साथ कलेक्टर से बैठक हुई हमारी और सभी विभागों ने अपना प्रजेंटेशन दिया। आज हम शिप्रा में प्रदूषण को लेकर निरीक्षण करने निकले, जिसमें सबसे बड़ा कारण इंडस्ट्री प्रदूषण निकलकर सामने आया। लगभग देवास में 45 ऐसी कंपनियां है जो अपना केमिकल युक्त पानी शिप्रा में छोड़ती है।

हम उसके ट्रीटमेंट प्लांट की क्वालिटी देखने गए है। कई कंपनियों के आउटलेट जो बाहर से निकलते है। जो बोलते है कि हम बारिश का पानी बाहर छोड़ रहे है। लेकिन नागधम्मन नदी जो अब नाला हो गया है। उसके अंदर कई कंपनियों का पानी जा रहा है, ऐसा पता चला है कि अधिकांश समय यह कंपनियां रात के समय नदी में पानी छोड़ती है। हम सुबह हवन खेड़ी गांव गए थे, जहां नागधम्मन नाला नदी में मिलता है। वहां गांव के काफी लोग एकत्रित हो गए और गांव के लोगों ने कहा कि यह केमिकल युक्त पानी है। इससे शरीर में फफोले पड़ जाते है। इसी को कृषि में उपयोग करना पड़ता है, तो फसलें तक जल जाती है। ऐसा गांव वालों ने भी बताया और पंचनामा भी बनाया है।