धुरवासिन के जर्जर भवन में संचालित हो रहा प्राइमरी स्कूल

धुरवासिन के जर्जर भवन में संचालित हो रहा प्राइमरी स्कूल
धुरवासिन के जर्जर भवन में संचालित हो रहा प्राइमरी स्कूल
धुरवासिन के जर्जर भवन में संचालित हो रहा प्राइमरी स्कूल

अनूपपुर मध्यप्रदेश से दीपक 

बच्चों को शिक्षित करने के लिए पढ़ाई के नाम पर सरकार हर साल लाखों करोड़ों रुपए पानी की तरह बहा देती है बावजूद इसके धरातल पर कुछ ऐसी तस्वीरें दिख जाती है जिससे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है की शासन प्रशासन शिक्षा व्यवस्था को लेकर कितना गंभीर है कुछ ऐसी ही तस्वीर धुरवासिन मे दिखा|

विकासखंड अनूपपुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत धुरवासिन के खर्राटोला प्राइमरी स्कूल के छात्र अपनी जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने पर मजबूर हैं स्कूल भवन की हालत जर्जर व जीर्णशीर्ण स्थिति में है  संभावित हादसा को देखते हुए स्कूल संचालक अतिरिक्त कक्ष में बच्चों को बैठा रहा है |

पहली से पांचवीं तक के छात्र-छात्राएं एक कक्ष में बैठकर पढ़ने को मजबूर जिस कक्षा में बच्चे पढ़ाई करते हैं उस कक्षा के छत का प्लास्टर टूट टूट कर गिर रहा है दीवाल पर दरारे पड़े है बारिश में सीलन होने लगता है  विभाग की लापरवाही के वजह से  बच्चों के साथ कभी भी हादसा हो सकता है स्कूल की स्थिति को देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि शिक्षा विभाग छात्रों के जान के साथ खिलवाड़ कर रहा है ऐसा नहीं  की पाठशाला की जर्जर स्थिति से  विभागीय अधिकारी अनजान हो सब सबको मालूम होता है  लेकिन घटना का इंतजार कर रहे होते हैं|

प्रधानाध्यापक राजेंद्र केवट ने बताया बिआरसी  इस मामले से अनभिज्ञ नहीं है जान कर भी अंजान बने हैं  भवन की स्थिति किसी से छुपा नहीं है खस्ताहाल के बावजूद विभाग ने सुधारने की कोई प्रयास नहीं किया  संभावित घटना से बच्चे डरे सहमे रहते हुए हैं स्कूल की हालत देखकर अभिभावक भी बच्चों को भेजने से कतराते हैं | पहली से पांचवी तक का बच्चों का कक्षाएं एक साथ अतिरिक्त कक्ष में सांचालित की जारही  बच्चों का पढ़ाई कि नुकसान होता है स्कूल में कुल 25 छात्र है  इनके  मिड डे मील के लिए  राशन कम पड़ता है  25 बच्चो के लिए  कभी 25 तो कभी 28 किलो राशन ही स्कूल को आवंटित की जाती है  इतने कम राशन में महीना भर पुजाना मुश्किल होता है  खाद्यान्न सामग्री तेल, सब्जी, मिर्च,मसाला के लिए ग्यारह, बारह सौ रुपए दी जाती है जो 10,15 दिन ही चल पाता है राशन सब्जी की मात्रा बढ़ाने की मांग कई बार  की गई परंतु जिम्मेदारों कि चुप रहने से शिक्षक भी परेशान|

इनका कहना है

 जीर्णशीर्ण भवन की जीर्णोद्धार के लिए  प्रस्ताव भेज दी गई है प्रस्तावित होते ही  मरम्मत कराया जाएगा |

   प्रधानाध्यापक - राजेंद्र केवट

शासकीय प्राइमरी स्कूल खर्राटोला