मोदी सरकार ने संविधान के अनुच्छेद- 47 की धज्जियां उड़ाते हुए देश आर्थिक विषमता में लाने के लिए किया मजबूर।

मोदी सरकार ने संविधान के अनुच्छेद- 47 की धज्जियां उड़ाते हुए देश आर्थिक विषमता में लाने के लिए किया मजबूर।

KTG  समाचार नरेंद्र कुमार विश्वकर्मा सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश। 

दिल्ली - लोक समाज पार्टी नरसिंह राव से लेकर अब तक मोदी सरकार ने भी संविधान के अनुच्छेद 47 की धज्जियां उड़ाते हुए देश आर्थिक विषमता की खाई गहरा किए हैं।

दोस्तो प्रणाम, भारतीय संविधान की अनुच्छेद 47 के अनुसार राज्य अपने नागरिकों के लिए पौष्टिक आहार और उनके जीवन स्तर को ऊंचे उठाने की मुख्य दायित्व होगा तथा शराब और ड्रग के प्रयोग से दूर करने के लिए सतर्क रहेगा। इस अनुच्छेद के अनुसार राज्य यानी सरकार अपने नागरिकों के लिए पौष्टिक आहार और जीवन स्तर ऊंचे उठाने की मुख्य जिम्मेदारी होगी। आज़ादी के बाद देश के विकाश के लिए पंचवर्षीय योजना लागू की गई उसके तहत हर क्षेत्र में आधरभूत ढांचा खड़ा करने का प्रयास किया गया। यह क्रम 1993 तक जारी रहा जो नरसिंह राव सरकार ने बदनियती से अपनी जिम्मेदारी से हटती गई और देश की धारा को उल्टी दिशा में मोड़ दिया गया जिसके माध्यम से निजीकरण और ठेकेदारी को जन्म देकर बहुत बड़ी आबादी को कुछ लोगो से शोषण करने के लिए छोड़ दिया गया। परिणाम यह हुवा कि काम करने वाले को कम वेतन मिलता गया और उनसे पौष्टिक आहार छिनने जाने लगा जिससे उनका जीवन स्तर भी नीचे गिरता गया। यही क्रम साझा मोर्चा सरकारों से होते हुए बाजपेई और मनमोहन सिंह भी जारी रखें। उस पर भी महंगाई  बढ़वाकर कर जनता का जेब कटवाते रहे हैं।एक आशा मोदी सरकार से थी लेकिन 2014 के सत्ता मिलते ही मोदीजी भी सबके बाप निकले जिसने संविधान का अलमारी में बंद करके जमींदारी और वर्णवादी प्रथा की शुरुवात कर दी जिसका परिणाम यह हुवा कि देश के 1 प्रतिशत आबादी के लोग देश संसाधन के 73 प्रतिशत पर कब्जा कर लिए है ऐसे में बहुत  बड़ी आबादी निचले पायदान पर चली गई। इन्होंने लेबर कोड 2020 बनाया जिसमे 8 घण्टे के बदले 12 घण्टे का काम निश्चित कर दिया गया है। पहले 240 दिन काम करने पर लेबर की सर्विस नियमित हो जाती रही है को अब फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉयमेंट की कर दिया गया है।

चाहे वह राज्य सरकारें हो या केन्द्र सरकार हो सभी ने 3री व 4थी क्लास की नौकरियां ठेके पर दी गई है । ठेकेदार विभाग से पूरा वेतन लेता है जबकि लेबर को आधा तिहा वेतन दिया जाता है जिसकी जानकारी विधायक,सांसद के साथ मंत्री,मुख्यमंत्री के साथ प्रधानमंत्री को भी होती है लेकिन सभी लोग इस शोषण के खिलाफ मौन है।
            आगर यही नौकरियां ठेके पर न देकर नियमित भर्ती किया जाता तो काम करने वाले लेबर या कर्मचारी को पूरा वेतन मिलता जिससे उनका और उनके परिवार को पौष्टिक आहार भी मिलता रहता और उनका जीवन स्तर भी ऊंचा उठता रहता। लोक समाज पार्टी अपने विजन में यह स्पष्ट  प्राविधान बनाई है कि जो पद स्थाई होंगे उनको कभी भी ठेके पर नही दिया जायेगा। उनकी नियमित भर्ती प्रक्रिया किया जायेगा जिससे तीसरी और चौथी क्लास की नौकरी करने वाले को पूरा वेतन मिलता रहेगा और इस प्रकार उनका जीवन स्तर ऊंचा उठता रहेगा। यही नहीं 2014 से एक प्रकार का शोषण का और चलन बन गया है।जब सरकारों को अपना जेब भरना होता है तो नौकरियां की अधिसूचना जारी करके अरबों रूपये भर लिया जाता है । जब परीक्षा होती तभी पर्चा लीक का बहाना बना कर नौकरी कभी न देने का चलन बन गया है।
            राज्य सरकारों का यह दायित्व होता है की अपने अपने राज्य की जनता को शराब और नशे से दूर रखने का हर कोशिश करे  लेकिन देहली और यूपी में शराब की नदिया बहाने का जतन कर दिया गया है। दिल्ली के सीएम केजरीवलजी तो हर वार्ड में तीन तीन शराब की दुकानें खोलने का निर्णय लिया है जिस पर अमल कर दिया गया है। दिल्ली में एलजी मुख्य शासक होता है वह केन्द्र के इशारे पर करता है। अगर बीजेपी को दिल्ली के जनता की सेहत की फिक्र होती तो एलजी को आदेश देती की वह दिल्ली को शराबी बनाने के कानून का रद्द कर दी। लेकिन उन्होंने ऐसा नही किया। मतलब केजरीवाल और बीजेपी दिल्ली में शराब की नादिया बहाने के जिम्मेदार हैं। जबकि लोक समाज पार्टी के कार्यकर्त्ता जगह जगह  केजरीवल की नई शराब नीति का पुरजोर विरोध करके जगह जगह ठेके खुलवाने से रोके है।
गौरी शंकर शर्मा (एडवोकेट)
राष्ट्रीय अध्यक्ष लोक समाज पार्टी
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