मनुष्य के जीवन में संगठन का बड़ा महत्व, अकेला मनुष्य शक्तिहीन : के.के.गुप्ता
मनुष्य के जीवन में संगठन का बड़ा महत्व, अकेला मनुष्य शक्तिहीन : के.के.गुप्ता
- मन में एक भाव लेकर एक सबके लिए सब एक के लिए सोचकर बिना भेदभाव के संगठन के लिए समर्पित होकर जुड़ना होगा
KTG समाचार रिपोर्टर नरेश कुमार भोई डूंगरपुर,राजस्थान
डूंगरपुर। अंतराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन शाखा डूंगरपुर की बैठक रविवार को के.के.गुप्ता निवास पर आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता अंतर्राष्ट्रीय महासम्मेलन के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष के.के.गुप्ता ने की। स्वागत उद्बोधन जिला वैश्य महासम्मेलन के अध्यक्ष नगीनलाल जैन ने प्रस्तुत किया। नगीनलाल जैन ने बताया कि जिले में 2013 से संगठन द्वारा संगठनात्मक कार्य किए जा रहे हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अंतर्राष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के.के. गुप्ता ने संगठन पर विस्तृत चर्चा करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर संगठन द्वारा किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला। संगठन वैश्य समाज के आर्थिक स्थिति से कमजोर विद्यार्थी जो आईएस व आईपीएस की तैयारी कर रहे हैं उन्हें प्रति छात्र एक लाख रूपए सहयोग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंतराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन द्वारा दिया जा रहा हैं। साथ ही चिकित्सा शिविर का आयोजन कर गंभीर बीमारियों के इलाज की व्यवस्था संगठन द्वारा की जा रही हैं। जिले के वैश्य समाजजन को संगठन के भागीदार बनने की बात कहीं। गुप्ता ने कहा कि मनुष्य के जीवन में संगठन का बड़ा महत्व है। अकेला मनुष्य शक्तिहीन है, जबकि संगठित होने पर उसमें शक्ति आ जाती है। संगठन की शक्ति से मनुष्य बड़े-बड़े कार्य भी आसानी से कर सकता है। संगठन में ही मनुष्य की सभी समस्याओं का हल है। जो परिवार और समाज संगठित होता है वहां हमेशा खुशियां और शांति बनी रहती है और ऐसा देश तरक्की के नित नए सोपान तय करता है। इसके विपरीत जो परिवार और समाज असंगठित होता है वहां आए दिन किसी न किसी बात पर कलह होती रहती है जिससे वहां हमेशा अशांति का माहौल बना रखता हैं। संगठित परिवार, समाज और देश का कोई भी दुश्मन कुछ नहीं बिगाड़ सकता, जबकि असंगठित होने पर दुश्मन जब चाहे आप पर हावी हो सकता है। संगठन का प्रत्येक क्षेत्र में विशेष महत्व होता है, जबकि बिखराव किसी भी क्षेत्र में अच्छा नहीं होता है। संगठन का मार्ग ही मनुष्य की विजय का मार्ग है। यदि मनुष्य किसी गलत उद्देश्य के लिए संगठित हो रहा है तो ऐसा संगठन अभिशाप है, जबकि किसी अच्छे कार्य के लिए संगठन वरदान साबित होता है। प्रत्येक धर्म ग्रंथ संगठन और एकता का संदेश देते हैं। कोई भी धर्म आपस में बैर करना नहीं सिखाता। सभी धर्मों में कहा गया है कि मनुष्य को परस्पर प्रेमपूर्वक वार्तालाप करना चाहिए। मनुष्य जब एकमत होकर कार्य करता है तो संपन्नता और प्रगति को प्राप्त करता है। संगठन में प्रत्येक व्यक्ति का विशेष महत्व होता है इसलिए जब मनुष्य संगठित होकर कोई कार्य करता है तो उसके परिणाम में विविधता देखने को मिलती है। जिस तरह प्रत्येक फूल अपनी-अपनी विशेषता और विविधता से किसी बगीचे को सुंदर व आकर्षित बना देते हैं उसी तरह मनुष्य भी अपनी-अपनी विशेषता और योग्यता से किसी भी कार्य को नया आयाम प्रदान कर सकते हैं। व्यक्ति से परिवार, परिवार से समुदाय और समुदाय से देश व समाज का निर्माण होता है। इसलिए संगठन के अभाव में व्यक्ति ही नहीं बल्कि देश व समाज भी सुचारू रूप से नहीं चल सकता हैं। अगर संगठन का देश के नागरिक में अभाव हो तो उस देश को परतंत्र होने में वक्त नहीं लगता और यह इसलिए भी जरुरी है क्योंकि किसी काम को करने के लिए जितने लोग जुटते है उस काम को करने के लिए उतनी ही ताकत बढ़ जाती हैं। संगठन में एक शब्द के लिए सब एक के लिए यह हो भाव जब तक हम दिलों से नहीं जुड़ेंगे तब तक संगठन मजबूत नहीं हो सकता। वर्तमान परिस्थितियों में हर हाल में संगठन को मजबूत बनाना है संगठन संख्या से मजबूत नहीं बनता संगठन को मजबूत बनाने के लिए समर्पण भाव से संगठन के साथ जुड़ना पड़ता हैं। समाज के युवाओं को जिम्मेदारी देनी होगी और जब तक युवा यह बात नहीं समझे कि मुझे इस संगठन रूपी परिवार में संगठन को मजबूत बनाने के लिए हर संभव प्रयास करने हैं। तब कहीं जाकर संगठन मजबूत हो सकता हैं। चुनाव में बड़ी- बड़ी घोषणा कर युवाओं को आगे लाएंगे, युवाओं को आगे लाएंगे तथा चुनाव जीतने के बाद युवाओं को भूल जाने की नीति को सामाजिक दृष्टिकोण से बदलने की आवश्यकता हैं। युवा देश का भविष्य है उसी तरह से वह समाज का भी भविष्य हैं, कर्णधार है युवाओं के साथ साथ संगठन में माता और बहनों को भी जोड़कर एक मजबूत संगठन बनाना होगा। जिस तरह से डूंगरपुर ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने काम से पहचान बनाई हैं उसी तरह से अगर वैश्य समाज के व्यक्ति माता, बहनें व युवा सभी को जोड़ना होगा तब कहीं जाकर हम अपने अधिकारों की मांग कर सकते हैं तथा आने वाली समस्याओं से छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं। संगठन की ताकत के सामने किसी भी प्रकार की ताकतें काम नहीं करती। सामान्य व्यक्ति को समर्थन कर उसके दिशानिर्देश को मानना ही संगठन को मजबूत करना हैं। वैश्य समाज आज पूरे देश और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला हुआ हैं इसकी जाति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैली हुई हैं। हम सभी को संगठन से जुड़कर अपने आप को मजबूत भी बनाना हैं। मन में एक भाव लेकर एक सबके लिए सब एक के लिए सोचकर बिना भेदभाव के संगठन के लिए समर्पित होकर जुड़ना हैं। समाज के वरिष्ठजनों ने डूंगरपुर जिले के वैश्य समाज के लिए प्रतिनिधित्व करने हेतु के.के.गुप्ता से आग्रह कर डूंगरपुर में ही निवास रखकर वैश्य समाज व व्यापारी समाज के संरक्षण की ज़िम्मेदारी निभाने की बात कहीं। जवाहरलाल जैन ने कहा कि संगठन में बड़ी शक्ति होती है। संगठित परिवार, समाज और संस्था कभी असफल नहीं होते हैं। आपसी आत्मीयता, प्रेम, स्नेह, वात्सल्य और एक-दूसरे को सहयोग की भावना से समाज उन्नति कर सकता है। समाज के बड़े, छोटों के प्रति स्नेह और सहयोग का भाव रखें तो समाज के कार्य उत्साह और उमंगता से संपन्न हो पाएंगे। बैठक में रोशन दोशी, बदामीलाल वखारिया, गजेंद्र जैन, निर्मल जैन, गजेंद्र गजराज ने भी उद्बोधन में वैश्य समाज को संगठित कर मजबूत बनाने की बात रखी। इस दौरान अर्जुन गुप्ता , ओमप्रकाश मित्तल, जवाहलाल जैन, विनोद दोशी, बदामीलाल वखारिया,गजेंद्र कुमार जैन, सुदर्शन कुमार जैन, हर्ष वर्धन जैन, रविन्द्र जैन, केसू नागदा, विजय जैन, जनित दोशी, भाविक जैन, प्रकाश जैन, राजेश गोठी, नयन शाह, पंकज जैन नवकार, निर्मल जैन, इंद्रलाल, नरेश जैन, अभिषेक कोटडिया, सुबोध जैन, नीरज जैन, नीरव जैन, दिलीप अग्रवाल, संजय कुमार गांधी, आशीष जैन, अल्पेश जैन, संदीप, पवन कुमार जैन, डॉ.चिराग व शांतिलाल जैन मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन सहसचिव राजेश डेण्डू ने किया। आभार युवा शाखा अध्यक्ष सुबोध सरैया ने जताया। 2 Attachments