बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत, गोवर्धन सजीव खाद, जैव रसायन, पंचगव्य बनाकर हानिकारक रसायनों से मुक्त खेती कर रहे है कृषक महेन्द्र
बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत, गोवर्धन सजीव खाद, जैव रसायन, पंचगव्य बनाकर हानिकारक रसायनों से मुक्त खेती कर रहे है कृषक महेन्द्र
बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत, गोवर्धन सजीव खाद, जैव रसायन, पंचगव्य बनाकर हानिकारक रसायनों से मुक्त खेती कर रहे है कृषक महेन्द्र
KTG समाचार लखन दास बैरागी देवास मध्य प्रदेश
देवास । जब समस्या बढ़े तो समाधान मूल की और लौटने पर ही मिलता है। कृषक महेंद्र पिता जसमत सिंह राजपूत ग्राम पंचायत मानकुंड तहसील हाटपिपल्या ने इसी विचार से 2021 में जैविक खेती का रुख लिया। उनके अनुसार, खेतों में रासायनिक खाद के सतत बढ़ते उपयोग से उत्पादन में वृद्धि तो होती लेकिन लागत भी बढ़ रही थी और खेत की उर्वरा शक्ति लगातार कम हो रही थी। इसलिए अपनी 3.5 एकड़ की जमीन में जैविक खेती की।
कृषक महेंद्र मामूली सी लागत में ही गाय के गोबर, गौमूत्र तथा घर में उपलब्ध गुड़, छाछ, बेसन, अनाज, फलों को आवश्यकतानुसार विभिन्न तरीकों से इस्तेमाल कर बीजामृत, जीवामृत, घनजीवामृत, गोवर्धन सजीव खाद, जैव रसायन, पंचगव्य बनाकर हानिकारक रसायनों से मुक्त खेती कर रहे है। इसके अलावा बाजार में उपलब्ध बायो फर्टिलाइजर जैसे माइकोराइजा का उपयोग भी कर रहे है।
कृषक महेंद्र कहते है कि पहले साल जैविक खाद और वेस्ट डिकंपोजर का उपयोग खेत में किया। जिससे उपज सामान्य रही। बाद में कृषि विभाग के संपर्क किया और जैविक खेती से संबंधित जानकारियां प्राप्त की। जिससे उत्पादन वृद्धि के लिए बीजोपचार से लेकर पोषक तत्वों की आपूर्ति एवं कीट व्याधियों के नियंत्रण के लिए समय समय पर अनेक जैविक विकल्पों का सुझाव मिला।
कृषक महेंद्र कहते है कि हाल ही में गेहूं में हुए इल्ली के प्रकोप की रोकथाम के लिए उन्होंने स्वनिर्मित मिट्टी द्रव्य रसायन का उपयोग किया जिसके अच्छे परिणाम देखने को मिले एवं फसल की गुणवत्ता भी तुलनात्मक रूप से काफी बेहतर है। पिछले सीजन में सोयाबीन का भी 8-9 क्विंटल/एकड़ उत्पादन रहा और फसल का भाव भी अच्छा मिला । वे बताते है कि एक देसी गाय का गोबर 7 एकड़ में खेती के लिए पर्याप्त है और उनके पास 2 देसी गाये भी है। उन्होंने जैविक खेती में अग्निहोत्र का भी प्रावधान बताया। जिसमें सूर्योदय व सायंकाल में कुछ विशेष मंत्रो के साथ हवन करते है। इससे निकलने वाली ऊर्जा 8 एकड़ तक प्रभावी है। उन्होंने हवन से निकलने वाली अग्निहोत्र भस्म का भी खेतो के लिए विशेष महत्व बताया है। एक साल में 3 फसल लेने वाले महेंद्र खेत की पैदावार में वृध्दि के लिए निरंतर प्रयासरत है और भविष्य में वो अपने उत्पादन को आर्गेनिकली सर्टिफाइड कराने के भी प्रयास करेंगे।