जिले की सभी एफ.आर.यू. पर मातृत्व क्लीनिक का हुआ आयोजन तथा अबतक 529 गर्भवती महिला की जांचकर किया गया उपचार।
प्रत्येक माह की 24 तारीख को सभी एफ.आर.यू. पर मातृत्व क्लीनिक का किया जाता है आयोजन-सीएमओ।
KTG समाचार नरेन्द्र कुमार विश्वकर्मा सुल्तानपुर उत्तर प्रदेश।
सुल्तानपुर-24 मई/विस्तारित प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत सभी प्रथम संदर्भन इकाई(एफ.आर.यू.)पर मंगलवार को मातृत्व क्लीनिक का आयोजन किया गया। प्रत्येक माह की 24 तारीख को सभी एफ.आर.यू. पर मातृत्व क्लीनिक का आयोजन किया जाता है। इसी क्रम में मंगलवार को क्लीनिक पर चिकित्सकों ने गर्भवती महिलाओं की निःशुल्क प्रसव पूर्व जांच की और उपचार व परामर्श दि
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. धर्मेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने बताया कि प्रत्येक माह की 24 तारीख को सभी एफ.आर.यू. पर मातृत्व क्लीनिक का आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का विस्तार करते हुए मातृत्व स्वास्थ्य सेवाएं बढ़ाई गई हैं। इसका मुख्य उद्देश्य गर्भावस्था से जुड़ी जांच और स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाना है। विस्तारित अभियान के तहत अब हर माह की नौ तारीख़ के साथ 24 तारीख़ को भी मातृत्व क्लीनिक पर गर्भवती महिलाओं को कम से कम एक बार विशेषज्ञ अथवा एम.बी.बी.एस. चिकित्सक की देख-रेख में निःशुल्क प्रसव पूर्व गुणवत्तापरक जांच एवं उपचार से आच्छादित किया जाता है।
उन्होंने बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कादीपुर पर डॉ. अनीता ने चार माह की गर्भवती विमला को देखा और उनकी स्वास्थ्य जांच की। जांच के बाद विमला को स्वास्थ्य स्थिति के बारे में बताया गया और आवश्यक दवाएं दी गयीं तथा पौष्टिक आहार के साथ ही आयरन और कैल्शियम की गोली का सेवन और आवश्यक आराम करने का परामर्श भी दिया गया। दो माह की गर्भवती रबिया ने बताया कि उनकी हीमोग्लोबिन, वज़न, ब्लडप्रेशर आदि की जांच की गई। इसके साथ ही प्रथम तिमाही की गर्भवती होने के आधार पर चिकित्सक ने अनीता को फॉलिक एसिड की दवा खाने, नियमित रूप से जांच कराने और पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक भोजन करने की सलाह दी
जिला मातृत्व स्वास्थ्य परामर्शदाता सुजीत मौर्य ने बताया कि जिला महिला चिकित्सालय सहित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र कादीपुर, दोस्तपुर, जयसिंहपुर, बल्दीराय और लम्भुआ एफ.आर.यू.के रूप में कार्य करते हैं। मंगलवार को आयोजित मातृत्व क्लीनिक पर 272 गर्भवती सहित अब तक 529 गर्भवती की जांच की गई। प्रसवपूर्व जांच से उच्च जोखिम गर्भावस्था (एच.आर.पी.) वाली गर्भवती की पहचान की जाती है, समय से जोखिम का पता लगने से माँ और होने वाले बच्चे दोनों को संभावित खतरों से बचाया जा सकता है।