एक अच्छी शिक्षा किसी को भी बदल सकती है, लेकिन एक अच्छा शिक्षक सब कुछ बदल सकता हैं : के.के.गुप्ता

एक अच्छी शिक्षा किसी को भी बदल सकती है, लेकिन एक अच्छा शिक्षक सब कुछ बदल सकता हैं : के.के.गुप्ता

एक अच्छी शिक्षा किसी को भी बदल सकती है, लेकिन एक अच्छा शिक्षक सब कुछ बदल सकता हैं : के.के.गुप्ता

- रचनात्मक अभिव्यक्ति और ज्ञान में आनंद को जगाना शिक्षक की सर्वोच्च कला हैं

Ktg समाचार रिपोर्टर नरेश कुमार भोई डूंगरपुर, राज

डूंगरपुर। राजस्थान सरकार के पूर्व स्वच्छता ब्रांड एबेसडर व डूंगरपुर नगर परिषद के पूर्व सभापति के.के.गुप्ता ने शिक्षक दिवस पर शिक्षक की महत्वता को लेकर विद्यार्थियों के नाम संदेश दिया। गुप्ता ने कहा कि शिक्षक ईश्वर का दिया हुआ वह उपहार है, जो बिना किसी स्वार्थ व भेदभाव के अपने हर शिष्य को अच्छी से अच्छी शिक्षा देने का प्रयास करता है। शिक्षक का दर्जा हमेशा से ही पूजनीय रहा है। एक शिष्य के लिए उसके शिक्षक की बताई हुई बात पत्थर की लकीर के समान होती है, वह अपने पूजनीय माता-पिता को तो गलत बता देता है परन्तु अपने शिक्षक की बात को समर्थन देने में पीछे नहीं हटता। शिक्षक ही अपने विद्यार्थी का जीवन गढ़ता है। वर्तमान में विद्यार्थी अपना आधा समय अपने शिक्षक, जो उसके जीवन में अलग-अलग किरदार निभा रहे हैं उनके साथ व्यतीत करता है। वह सही-गलत से लेकर जीवन के अनेक रंग अपने शिक्षक को देख व सुन कर सीखता है। शिक्षक के योगदान से ही एक व्यक्ति समाज मे रहने योग्य बनता है। इसीलिए शिक्षक को समाज का शिल्पकार भी कहा जाता है। जिस प्रकार एक डॉक्टर मरीज को ठीक करने का हर मुमकिन प्रयास करता है, ठीक उसी प्रकार एक शिक्षक अपने विद्यार्थी को हर मोड़ पर राह दिखाता है। हर परिस्थिति में उसका हाथ थामने के लिए सदैव तैयार रहता है। तभी शिक्षक को ईश्वर तुल्य माना जाता हैं। इतिहास भी इस बात का साक्षी है कि एक सफल व्यक्तित्व के लिये गुरु का हाथ होना अनिवार्य है। इतिहास में ऐसे काफी उदाहरण हैं जो इस बात को सिद्ध करते हैं तथा गुरु की महिमा का गुणगान करते हैं। वह गुरु ही है, जो बच्चों को उनके व्यक्तित्व से परिचित कराते हैं। उनके अवगुणों को दूर कर, उनके समस्त गुणों से अवगत कराते हैं और उन्हें प्रोत्साहित कर सर्वहित की ओर उनका मार्गदर्शन करते हैं। आचार्य द्रोणाचार्य जी ने कहा था- ‘‘शिक्षक कभी साधारण नहीं होता, प्रलय और निर्माण उसकी गोद मे खेलते हैं। आज हर चीज का व्यवसायीकारण व बाजारीकरण हो गया है। कुछ लोग शिक्षा को भी एक व्यवसाय के रूप में देखते हैं। अब तो लोग कहने भी लगे हैं- शिक्षकों की तो चाँदी है कुछ करते हैं नहीं पर फीस भरपूर चाहिए। शिक्षा के व्यवसायीकरण के कारण शिक्षा के स्तर में लगातार गिरावट देखी जा सकती है। विद्यार्थी का जीवन आदर्श बनाने में शिक्षक का अहम योगदान : गुप्ता पूर्व सभापति गुप्ता ने कहा कि पुराने समय में शिक्षा कभी भी व्यवसाय या धंधा नहीं थी परंतु आज जिस प्रकार लोग इसको एक अच्छे व्यवसाय के रूप में अपना रहे हैं वह अफसोसजनक है। यहां तक कि शिक्षा के व्यापारी शिक्षकों द्वारा विद्यार्थी पर दबाव डलवाते हैं कि उनको उनके उपयोग की वस्तुएं कहाँ से लेनी है और यदि ऐसा ना किया जाए तो उसको उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। शिक्षक कभी नहीं चाहता कि उसके विद्यार्थी को प्रताड़ना या उपेक्षा सहनी पड़े, परन्तु शिक्षा के व्यापारियों के कारण उसको ऐसा करना ही पड़ता है। शिक्षा का व्यवसायीकरण देश के समक्ष बड़ी चुनौती है। एक शिक्षक ही हमें इस समस्या का हल बता सकता है। शिक्षक ही है, जो एक शिक्षार्थी में उचित आदर्शों की स्थापना करता है, व पथप्रदर्शक भी है। एक शिक्षार्थी को अपने शिक्षक का सम्मान करना चाहिए व आदर और कृतज्ञता का भाव रखना चाहिए। परन्तु आज के समय में जब तक शिक्षार्थी अपने शिक्षक का नाम नहीं बिगाड़ लेता, उनका दूसरा नामकरण नहीं कर लेता तब तक उनको अपना शिक्षक नहीं समझता। संयम, सदाचार, विवेक, सहनशीलता, सृजनशीलता, शुद्ध उच्चारण, शोध-वृत्ति, प्रभावशाली वक्तृता, आदि विशेषताएं शिक्षक को एक अच्छा शिक्षक बनाती हैं। शिक्षार्थी भी अपने शिक्षक के इन गुणों को ग्रहण करता है। शिक्षक दिवस ही शिक्षक का असली सम्मान दिवस नहीं है। उसका असली सम्मान दिवस तब होता है जब उसका पढ़ाया हुआ कोई विद्यार्थी सार्वजनिक रूप से उसको नतमस्तक प्रणाम करे, बड़े ओहदे पर बैठा हुआ व्यक्ति जब अहंकार त्याग कर अपने कर्मचारियों के सामने अपने शिक्षक के समक्ष आदर व्यक्त करता है। यही एक शिक्षक की वास्तविक कमाई है। शिक्षक वह है, जो प्रेम के साथ अपने विद्यार्थियों का मित्र बनकर उनको जीवन रूपी बगिया में अपनी देख रेख में सर्वांगीण विकास की ओर बढ़ाता है।