चौरासी विधायक रोत ने पुलिस महानिदेशक एम.एल. लाठर से की मुलाक़ात कहा गरीब-अमीर, ऊच-नीच को देखकर उठती हैं पुलिस की लाठियां व लगती हैं हथकडीयाँ

चौरासी विधायक रोत ने पुलिस महानिदेशक एम.एल. लाठर से की मुलाक़ात कहा गरीब-अमीर, ऊच-नीच को देखकर उठती हैं पुलिस की लाठियां व लगती हैं हथकडीयाँ

चौरासी विधायक रोत ने पुलिस महानिदेशक एम.एल. लाठर से की मुलाक़ात कहा गरीब-अमीर,  ऊच-नीच को देखकर उठती हैं पुलिस की लाठियां व लगती हैं हथकडीयाँ

KTG समाचार रिपोर्टर नरेश कुमार भोई डूंगरपुर,राजस्थान डूंगरपुर। गरीब-अमीर, ऊच-नीच को देखकर उठती हैं पुलिस की लाठियां व लगती हैं हथकडीयाँ, यह बात चौरासी विधायक राजकुमार रोत ने राजधानी जयपुर में पुलिस महानिदेशक एम.एल. लाठर से मुलाक़ात के दौरान कही। विधायक रोत ने पुलिस महानिदेशक को जनजाति क्षेत्र की विभिन्न समस्याओं से अवगत करवाते हुए अपना मांग पत्र सौपा। मांग पत्र में विधायक रोत ने उदयपुर सम्भाग की भेदभाव पुर्ण कानुन व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए उदयपुर सम्भाग की दो बड़ी घटनाओं का उल्लेख किया जिसमें पहली घटना 2 अप्रैल 2018 में आसपुर में गठित हुई थी। विधायक रोत ने बताया कि पूर्वाग्रह से ग्रसित बलशाली लोगों द्वारा पुलिस की मदद से एसटी-एससी के लोगों पर तलवार व लाठियों से जुर्म का तांडव रचा था। उन्होंने बताया कि इसमें मुकदमा न. 71/2018 व 72/2018 दर्ज हैं, अनुसंधान भी पुरा हो चूका है, लेकिन पुलिस की लाठी व हथकड़ी अपराधियों तक नहीं पहुँच पाई और अपराधी अभी भी बेखौफ घूम रहें है। वहीं विधायक रोत ने बताया कि उदयपुर सम्भाग की दुसरी सबसे बड़ी घटना सितम्बर 2020 में नेशनल हाइवे नम्बर 08 पर कांकरी डूगरी पहाड़ी पर घटित हुई। उन्होंने बताया कि कांकरी डूंगरी में जो घटनाक्रम हुआ वह गलत हुआ, ये हम भी मानते हैं, लेकिन जिस तरह गरीब आदिवासियों पर पुलिस की लाठियां व हथकडियों ने कार्य किया वो एक निंदनीय तरिके से किया गया कार्य है और अब तक सैकडो आदिवासियों को जेल में डाल दिया गया है और आज भी पुलिस घरों में दबिश दे रही हैं। उन्होंने पुलिस महानिदेशक को बताया कि कानुन व्यवस्था ही अमीर-गरीब व जाति-धर्म देखकर भेदभाव पूर्ण तरिके से उदयपुर सम्भाग में कार्य कर रही हैं जिसे जल्द रोकने की अपिल की और कहा कि 2 अप्रैल 2018 में गठित घटना में दर्ज मुकदमा न. 71/2018, 72/2018 में कार्यवाही करे और कांकरी डूगरी घटना में जो दयनीय तरिके से की जा रही कार्यवाही को रोककर गरीब, पिछड़े व आदिवासी समाज में कानुन के प्रति विश्वास पैदा करें।